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सोमवार, 23 अप्रैल 2018

कांग्रेस का लोकतंत्र खतरे मे है ? अन्तिम मुगल हो सकते हैं राहुल

 ( चुभती बात -- मनोज द्विवेदी, कोतमा- अनूपपुर)
अनूपपुर। कांग्रेस सल्तनत ( !!) के युवराज राहुल गांधी जब यह कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे मे है तो वस्तुत: वे अपनी ही पार्टी के उस आन्तरिक लोकतंत्र की बात कर रहे होते हैं जो कभी थी ही नहीं। या ऐसा कहें कि उन्हे यह देखने का कभी अवसर ही नही मिला। यह इस लिये कि देश के लोकतंत्र की न उन्हे कोई जानकारी है , न वे जानकारी रखना चाहते हैं ।  २०१४ आम चुनाव  मे पराजय के वक्त उनकी मम्मी सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं , वे स्वयं उपाध्यक्ष थे। इसके बाद बहुत से राज्यों मे अन्य दलों की तरह कांग्रेस भी मैदान मे थी,लेकिन दशा दूसरों की तुलना मे ज्यादा खराब हुई। किसी समय देश की सबसे बडी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का पतन शीघ्र हो गया ,अब वह इक्का दुक्का राज्यों मे सिमट गयी है। विभिन्न राज्यों मे छोटी छोटी पार्टियों के सहारे को मोहताज कांग्रेस की चिन्ता २०१९ का आम चुनाव है जिसका रास्ता २०१८ मे होने वाले म प्र , छग ,राजस्थान विधानसभा चुनाव से होकर जाता है।  यह आसान नही है ,यह चिन्ता कांग्रेस को फ्रस्टेशन की ओर ले जा रही है। हडबडी मे वह ऐसा कुछ कर रही है जिससे सवाल अधिक खडे हो रहे हैं, जवाब एक भी नही सूझ रहा। धारदार नेता का आभाव व नेताओं में  एकजुटता की कमी से पार्टी हलाकान है। हमेशा सत्ता मे रही कांग्रेस को सत्ता का बिछोह सहा नही जा रहा। नेता एक से एक मलाईदार व्यवसाय मे जुटे हैं तो धन्धा भी बचाना है। यही कारण है कि न्याय यात्रा भी निकालते हैं तो वह गुटबाजी तथा संवेदनहीनता की शिकार हो जाती है। हद तो तब हो जाती है जब संविधान रक्षा की दुहाई देते राहुल बाबा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन मे पन्द्रह मिनट देने तथा प्रधानमंत्री के खडे तक हो पाने का भोंडा चैलेन्ज देते हैं।
अब कांग्रेस एक जुट हो  भला किसी को क्या  आपत्ति हो सकती है। लेकिन भाजपा से लोकतंत्र को खतरा है ,यह देश की जागरुक जनता के लिये किसी मजाक से कम नही। अब जरा आप अवलोकन करें कि -- १. न्यायालय से केस हारने के बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया।
२.राजीव गांधी का शाहबानो प्रकरण तो पता ही होगा।
३.चुनाव हारते ही कांग्रेस इलेक्शन कमीशन ,ईव्हीएम पर ऊंगली उठाती  रही है।।४. सर्जिकल अटैक के बाद इनके नेता सेना पर ऊंगली उठाते दिखे।
५. अब राम मन्दिर पर कोई निर्णय आने से ठीक पहले सीजेआई के विरुद्ध न केवल महाभियोग लाती है बल्कि पत्रकार वार्ता भी करती है।
*** तो महोदय राहुल जी, यह न कहें कि भाजपा से लोकतंत्र को खतरा है। यह जरुर कहें कि कांग्रेस को कांग्रेस से...कांग्रेस को उसके नेत्रत्व से खतरा है जिसने न केवल पार्टी को सिद्धान्त विहीन कर दिया बल्कि अच्छे कद्दावर नेता विहीन भी। कांग्रेस के नेताओं ने अभी भी पार्टी हित- देश हित मे पप्पूनुमा नेत्रत्व से पल्ला नही झाडा तो लोकतंत्र नहीं...कांग्रेस खतरे मे है।इसे समूचा देश मान रहा है सिवाय आपके।यह दुनिया जानती है कि सदन के भीतर - बाहर कांग्रेस का आचरण कैसा रहा , इस लिये पन्द्रह मिनट तो क्या मोदी के सामने आप जैसा कोई व्यक्ति पांच मिनट भी नही टिक सकता। यदि टिक गये तो सच मानो न इटली की याद आ गयी , तो बताना। राजनीतिक पंडितों ( आप जैसा कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वाला नहीं) ने यह भविष्य वाणी पहले ही कर दी है कि राहुल गांधी कांग्रेसी साम्राज्य के अंतिम शहजादे हो सकते हैं। मै भी सहमत हूं लेकिन थोडा अलग तरीके से। मेरा मानना है कि कांग्रेस मे बहुत से ( अधिकांश) जिम्मेदार ,स्वाभिमानी नेता / कार्यकर्ताओ का धैर्य तब चुक जाएगा जब २०१९ मे भी कांग्रेस राहुल के नेत्रत्व में सत्ता से बाहर रहेगी। तब सचिन पायलट,ज्योतिरादित्य सिंधिया या अन्य गैर गांधी ( ?) खानदान का नेता या सामूहिक नेत्रत्व अपनी जडों की ओर लॊटेगा तब जाकर २०२३ - २०२८ तक कांग्रेस का संगठन जिला - गाँव स्तर पर खडा हो सकेगा। शहडोल संसदीय उप चुनाव मे हमने‌ देखा है कि हिमाद्री सिंह के पक्ष मे बहुत से मतदान केन्द्रों मे इनके ऐजेन्ट तक नहीं थे। यह स्थिति आज भी है। कांग्रेस सेवा दल का सालों पहले पतन हो चुका है। इसलिये मोदी से आप पन्द्रह मिनट नही ,पन्द्रह साल का वक्त मांगे,तय करें ,तब सामने आएं।

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