अनूपपुर। प्रदेश सरकार बैगओ के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है।
लेकिन हकीकत है कि ग्राम पड़ौर के लगभग 70 बैगा परिवारों को कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। नाले का दूषित पानी
कभी भी महामारी का रूप ले सकती है। वही जिला प्रशासन भी इनकी शिकायत पर कोई ध्यान
नहीं दे रहा है। गांव के सरपंच व पंच शिकायत कर थक चुके हैं पर कोई सुनने को तैयार
नहीं। ग्राम सरपंच व पंचों के अनुसार ग्राम पंचायत पडौर में भीषण जल संकट है।
ग्रीष्मकाल के
दौरान बनने वाली जलसंकट की समस्याओं को दूर करने शासन प्रशासन के द्वारा माहभर
पूर्व से दिए जा रहे आदेश के बाद भी जनपद पंचायत अनूपपुर के ग्राम पंचायत पडौर के
वार्ड क्रमांक ८-९ के लगभग ४०० बैगा सहित आदिवासी परिवार पानी के लिए तरस रहे हैं।
गांव की हैंडपम्प चार माह पूर्व फेल हो गई। चालू हालत की एक हैंडपम्प से पर्याप्त
पानी की धार नहीं फूट रही है। जिसके कारण गांव के ७५ बैगा परिवार सहित ८०-८५
आदिवासी परिवार पानी के लिए १ किलोमीटर दूर से सामूहिक पैदल यात्रा कर नाला से
पानी भर कर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत
पडौर वार्ड क्रमांक 8 एवं 9 बैगा बस्ती एवं गोंड बस्ती के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। वार्ड
क्रमांक 8 एवं 9 में लगभग 70 बैगा परिवार एवं इससे अधिक गोंड
आदिवासी परिवार सहित चार-छह घर केवट परिवार निवास करते हैं। जहां इन दोनों वार्ड
के लगभग 400 लोग प्रतिदिन गांव से बाहर नाला से
पानी लाते हैं। सरपंच ने बताया कि गांव में 3 साल पहले नल जल योजना में समर्सिबल पंप डाला गया था। पाइप लाइन भी बिछाई गई।
लेकिन आज तक नल नहीं बही। वहीं विद्युत विभाग द्वारा हर माह 70-75 हजार का बिल पंचायत में थमाया जाता है। जबकि गांव के वार्ड 8 व 9 में कुल 5 हैंडपंप हैं। जिनमें एक हैंडपंप चालू है। शेष हैंडपम्प चार महीनें से बंद
पड़े हैं। एक हैंडपंप में सुबह से शाम तक भीड़ होती है। वहीं लोगों द्वारा
थोड़ा-थोड़ा पानी लिया जाता है। उन्हें डर है कि ज्यादा देर तक चलाने से कहीं यह
भी हैंडपम्प बंद न हो जाए। गांव में लगभग 25 हैंडपंप हैं जिनमें से 10 हैंडपंप ही चल रहे
हैं बांकी बंद पड़े हैं।
सीएम हेल्पलाइन
में शिकायत का असर नही
ग्रामीणों के
अनुसार इन दोनों वार्डो के अलावा सबसे ज्यादा समस्या वार्ड क्रमांक 5 एवं 6 सहित वार्ड क्रमंाक ८ और ०९ भी जलसकंट
से अछूता नहीं है। जहां पर हैंडपंप के अलावा कोई विकल्प नहीं है। गांव में एक भी
कुंआ जीवित हालत में नहीं है। पूर्व में एक-दो कुंआ थे वह भी सूख चुके हैं। वार्ड
क्रमांक 9 के पंच पति कमलेश ने बताया कि 4 अप्रैल को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन आजतक कोई सुनवाई नहीं
हुई। वहीं वार्ड क्रमांक 8 के पंच समय लाल बैगा
ने बताया कि पानी के लिए पंचायत एवं जनपद में कई बार बोले, लेकिन हमारी कोई सुनता ही नहीं हम बैगा जो ठहरे। पडौर सरपंच उमाकांत उइके ने
बताया कि गांव में हैंडपंप खराब की सूचना जनपद में एवं सीएम हेल्पलाइन में दिया
गया था। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
बैगा परियोजना
में करोड़ा का बजट आवंटन
यह आश्चर्य की
बात है कि जिले में बैगा विकास परियोजना के तहत करोड़ा का बजट आवंटन होता है। साथ
ही अब शासन ने रेत खदानों से आने वाले रायल्टी से भी विकास की बात कही है। जबकि
माहभर पूर्व से शासन व प्रशासन द्वारा जल सकंट की समस्याओं के निराकरण के आदेश दिए
थे। बावजूद पीएचई विभाग ने अबतक सुधार कराने में कोताही बरती।
इनका कहना है
हैंडपंप खराब
है तो पीएचई से बात कर सुधार करवाता हूं।
के.पी.राजौरिया, सीईओ जनपद पंचायत अनूपपुर।
हैंडपंप सुधार
करा दिया जाएगा। रही बात नलजल की तो समर्सिबल पंप चलता था, गांव के लोग चलाते ही नहीं इसलिए बंद हो गया है उसका भी सुधार कराया जाएगा।
एचएस धुर्वे, कार्यपालनयंत्री पीएचई अनूपपुर।
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