भालूमाड़ा। क्षेत्र नक्सल प्रभावित जोन में
शामिल के होने के बाद भी कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल की मैगजीन (बारूद
विस्फोटक) भण्डार की सुरक्षा में अनदेखी बरती जा रही है। कॉलरी प्रबंधकों द्वारा इन १५ टन विस्फोटकों के लिए सुरक्षा की
कमान ऐसे व्यक्तियों को सौंप दिया है जो न तो सेवानिवृत्त फौजी है और न ही उनका
पुलिस वैरीफिकेशन के रूप में पंजीबद्ध कराया गया। कभी भी किसी रूप में हादसे से
निपटने के लिए न तो वहां पर्याप्त सुरक्षा संसाधन है और ना ही उसकी जांच के लिए
अधिकारी। परिणामस्वरूप आज भी जमुना कोतमा क्षेत्र के अतंर्गत आने वाली तीन मैगजीन
असुरक्षा के दायरे में संचालित हो रही है। जिसे देखने की सुध कॉलरी प्रबंधन द्वारा
नहीं लिया जा रहा है। बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के
निर्देशानुसार सार्वजनिक उपक्रमो की सुरक्षा के लिए सेवानिवृत्त सैनिक अधिकारी
कर्मचारी की एजेन्सी को जिम्मेदारी सौपी जाती है। जिसके एवज में सम्बंधिक उद्योग
अथवा उपक्रम द्वारा उन्हें भुगतान किया जाता है। इन एजेन्सियों के लिए यह अनिवार्य
शर्त है कि सिक्योरिटी गार्ड के रूप में 90 फीसदी पूर्व सैनिक जिनकी उम्र 60 वर्ष
से अधिक न हो रखे जाने चाहिए। साथ ही उन्हें नियमानुसार वेतन, आवास, चिकित्सा एवं अन्य सुरक्षा भी मुहैया
कराई जाए। लेकिन कॉलरी प्रबंधन द्वारा इसकी अनदेखी करते ३ हजार मासिक के रूप में
निजी हथडंडे सुरक्षा गार्ड के जिम्मे सौपी गई है। जबकि भालूमाड़ा में दो मैगजीन
जहां ९ टन विस्फोटक तथा जमुना में ६ टन विस्फोटक रखी जाती है। शनिवार, 28 अप्रैल 2018
औद्योगिक संस्थानों में बरती जा रही लापरवाही, बारूद की सुरक्षा में कॉलरी बरत रही अनदेखी
भालूमाड़ा। क्षेत्र नक्सल प्रभावित जोन में
शामिल के होने के बाद भी कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल की मैगजीन (बारूद
विस्फोटक) भण्डार की सुरक्षा में अनदेखी बरती जा रही है। कॉलरी प्रबंधकों द्वारा इन १५ टन विस्फोटकों के लिए सुरक्षा की
कमान ऐसे व्यक्तियों को सौंप दिया है जो न तो सेवानिवृत्त फौजी है और न ही उनका
पुलिस वैरीफिकेशन के रूप में पंजीबद्ध कराया गया। कभी भी किसी रूप में हादसे से
निपटने के लिए न तो वहां पर्याप्त सुरक्षा संसाधन है और ना ही उसकी जांच के लिए
अधिकारी। परिणामस्वरूप आज भी जमुना कोतमा क्षेत्र के अतंर्गत आने वाली तीन मैगजीन
असुरक्षा के दायरे में संचालित हो रही है। जिसे देखने की सुध कॉलरी प्रबंधन द्वारा
नहीं लिया जा रहा है। बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के
निर्देशानुसार सार्वजनिक उपक्रमो की सुरक्षा के लिए सेवानिवृत्त सैनिक अधिकारी
कर्मचारी की एजेन्सी को जिम्मेदारी सौपी जाती है। जिसके एवज में सम्बंधिक उद्योग
अथवा उपक्रम द्वारा उन्हें भुगतान किया जाता है। इन एजेन्सियों के लिए यह अनिवार्य
शर्त है कि सिक्योरिटी गार्ड के रूप में 90 फीसदी पूर्व सैनिक जिनकी उम्र 60 वर्ष
से अधिक न हो रखे जाने चाहिए। साथ ही उन्हें नियमानुसार वेतन, आवास, चिकित्सा एवं अन्य सुरक्षा भी मुहैया
कराई जाए। लेकिन कॉलरी प्रबंधन द्वारा इसकी अनदेखी करते ३ हजार मासिक के रूप में
निजी हथडंडे सुरक्षा गार्ड के जिम्मे सौपी गई है। जबकि भालूमाड़ा में दो मैगजीन
जहां ९ टन विस्फोटक तथा जमुना में ६ टन विस्फोटक रखी जाती है।
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