महोत्सव
में करोड़ो खर्च करने वाले एक घाट के जीर्णोद्वार का बीड़ा उठाने असक्षम
अनूपपुर। प्रदेश की
जीवन दायनी माँ नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अनूपपुर जिले की पहचान है, सदियों से तपस्या कर
ऋषि-मुनियों ने तपोभूमि की दृष्टि व जनजातियों ने कलाकृतियों और प्रकृति ने
सौंदर्यबोधता को जन्म दिया है, माँ नर्मदा की पावन धरा, कलाकृतियां और वहां की सुंदर शांत हवाओं ने देश ही नही अपितु विदेशी
सैलानियों और धार्मिक आस्था से दर्शन लाभ के लिए आने वाले श्रृद्धालुओं का मन मोहा
है, लेकिन
प्रशासनिक बेसुधी के कारण पवित्र नगरी उपेक्षित नजर जा रही है, जीर्णोद्वार और पैसे के
अभाव में रामघाट सहित अन्य स्थल अपने अस्तित्व से जूझ रहे है, महोत्सव में करोड़ो खर्च
करने वाले अब एक घाट का भी बीड़ा नही उठा पा रहे है।
जिम्मेदार
और प्रशासनिक लोगों ने कभी नि:स्वार्थ भाव से
माता की धरा का सेवा ही नहीकर सकें। कभी राजनैतिक स्वार्थ ने तो कभी इनके
कठपुतलियों ने यहां की रम्यता को तोडऩे के लिए हाथ आगे बढ़ाते रहे। फरवरी 2020 में
पहली बार विशाल रूप से अमरकंटक में नर्मदा महोत्सव का आयोजन किया गया, जहां करोड़ो रूपए खर्च कर
तीन दिन के लिए धरती को रंगीन बना दिया था।
सूखे
नाले को देखकर लौट रहें श्रद्धालु- पुजारी
नर्मदा
नदी के पुजारी नीलू महराज का कहना हैं कि महाशिवरात्रि मेला नजदीक और अमरकंटक की
हृदय स्थली पुष्कर सरोवर की दुर्दशा जहां प्रशासन का स्वच्छता पर ध्यान नही,नर्मदा महोत्सव का आयोजन का
कुछ अंश
यहां
के दार्शनिक स्थलों में खर्च किये जाते और समय रहते डैम व अन्य अव्यस्थाओं की तरफ
ध्यान दिया जाता तो आज रामघाट जैसे पवित्र स्थल अपने अस्तित्व से न जूझ रहा होता।
नीलू
महराज बताते हैं कि मां नर्मदा की पावन धरा इन दिनों अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही
है, महीनों
पूर्व टूट चुके बांध के कारण मां नर्मदा के उद्गम स्थल में मौजूद पानी समाप्त हो
चुका है, रामघाट
में पहुंचने वाले श्रद्धालु महज सूखे नाले को देखकर लौट जा रहे हैं,एक समय लाखों लीटर पानी से
मां नर्मदा के उद्गम स्थल लबालब दिखाई देता था वही आज पूरी तरह सूखा और चारागाह के
रूप में दिखाई देने लगा है, कारण जो भी हो लेकिन यह दृश्य प्रशासनिक नाकामी को साबित करता है।
कायाकल्प
के इंतजार में रामघाट
महोत्सव
के समय जिस स्थल अर्थात रामघाट में संध्या के समय भव्य आरती का आयोजन किया जाता
रहा है, वर्तमान
में उस स्थल को श्रृद्धालू और निवासी देख कर हैरान है, कायाकल्प और पानी के अभाव
में पूरे घाट में कचरे के सिवा कुछ नजर नही आ रहा है, कुछ माह पूर्व कचरा साफ
करने पहुंचे दर्जनो प्रशासनिक अधिकारी मंत्री और जनप्रतिनिधि अब मुंह मोड़ लिया है, हालांकि बांध टूटने के बाद
फिर से बना दिया गया है, धीरे-धीरे पानी का भराव हो रहा है,पर बिना जीर्णोद्वार के श्रृद्वालू महज पानी ही देख पायेंगे।
व्यवस्था
छोड़ नपा में फेर बदल
नगरीय
और जिला प्रशासन विकास की तेजी दिखाते हुए तीन महीनें में तीन सीएमओ और इंजीनियर
बदले डाले, उनके
डिजिटल हस्ताक्षर तैयार होते ही उन्हे बदलने की योजना बन जाती है, बजट के अभाव में न तो
कायाकल्प हो पा रहा है और न ही विधिवत परिषद का संचालन, परिषद के अध्यक्ष प्रभा
पनारिया और उपाध्यक्ष रामगोपाल द्विवेदी द्वारा कई बार शासन-प्रशासन के पास समस्या
को लेकर पत्र दिया और अवगत भी कराया, लेकिन किसी ने भी अभी तक नगर की समस्या पर ध्यान नही दिया।
कैसे
होगी नर्मदा जयंती -नपध्यक्ष
नगर
परिषद अध्यक्ष प्रभा पनारिया ने बताया कि मां नर्मदा की पावन धरा पर देश ही नहीं
अपितु विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं, कुंड और नालों पर बहती स्वच्छ पानी में श्रद्धालु डुबकी लगाकर स्नान
करते हैं वहां आज आचमन करने के लिए भी पानी नहीं बचा हुआ है, जिसको लेकर शासन प्रशासन से
पत्राचार कर व्यवस्था के लिए लगातार मांग की। उन्होंने ने बताया कि परिषद के पास
वेतन देने के लिए भी पैसे नही है, कोरोनाकाल से सब कार्य बंद है, जिसके बाद भी आज तक प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार से सुध नहीं ली गई
है, अगले
माह नर्मदा महोत्सव का आयोजन होना है, लेकिन मां नर्मदा की पावन धरा उपेक्षित नजर आ रही है। अगर समय रहते
व्यवस्था ठीक नही किया गया तो शासन-प्रशासन सहित प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को बुलवाकर
यहां ही अनशन पर बैठ जाऊंगी।
आंदोलन
के लिए होंगे विवश- उपाध्यक्ष
नगर
परिषद अमरकंटक के उपाध्यक्ष राम गोपाल द्विवेदी के साथ वार्ड पार्षदों ने शासन
प्रशासन को चुनौती देते हुए जल्द से जल्द मां नर्मदा को व्यवस्थित करने की मांग की
है, श्री
द्विवेदी ने कहा कि अगर समय रहते मां नर्मदा के पावन धरा को ध्यान नहीं दिया गया
तो वह आंदोलन के लिए विवश होंगे। हमारे द्वारा कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक इस
अव्यवस्था को लेकर पत्र दिया है, उसके बाद भी किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दिया गया। परिषद में
लगातार सीएमओ और इंजीनियर बदले जा रहे है, जिसके कारण अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे है, आगामी समय में महोत्सव का आयोजना
होना है, अगर
पवित्र नगरी की ऐसी स्थिति रही तो अमरकंटक का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।