चोरी के कोयला, पानी एवं मिट्टी का किया जा रहा उपयोग
अनूपपुर। जल संकट को ध्यान में रखते हुए जहां जिला प्रशासन द्वारा नदी-तालाबों के पानी
के दुरूपयोग पर प्रतिबंध लगा गाया है। बावजूद इसके कोतमा नगर सहित आसपास के
क्षेत्र से निकलने वाली जीवन दायिनी केवई
नदी के पानी का दुरूपयोग खुलेआम अवैध ईट भट्टा संचालक द्वारा किया जा रहा है। जिस
कारण पूरे नगर पालिका क्षेत्र वासियो को पेयजल के लिए लगातार परेशान होना पड़ रहा
है। ईट भट्टो के लिए चोरी की जा रहे पानी के कारण जहां नदी की धार सूखती जा रही है, वहीं इस भीषण गर्मी मे लोग पेयजल के लिए लगातार परेशान हो रहे है।
पंप लगाकर चोरी
किया जा रहा पानी
भीषण गर्मी में
नगरवासियो को जल संकट का सामना करना पड रहा है, वही दूसरी ओर पानी की चोरी रोकने को लेकर प्रशासन द्वारा किसी तरह की
कार्यवाही नही की जा रही है, जिसके कारण अवैध ईट भट्टो के संचालक अपनी मनमानी पर उतारू है
और केवई नदी में बडे-बडे पंप लगाकर पानी की चोरी कर उसका उपयोग ईट बनाने में की जा
रही है। स्थानीय नागकरिको एवं जल बचाओ समिति ने आरोपित किया कि केवई नदी किनारे
सैकडो की तादाद में धधक रहे ईट भट्टो के संचालको पर कार्यवाही ना होने से नदी के पानी का लगातार दुरूपयोग किया जा
रहा है।
नदी के ऊपर धधक
रहे सैकडो ईट भट्टे
क्षेत्र की
जीवनदायनी कही जाने वाली केवई नदी के ऊपर सैकडो की तदाद में ईट भट्टो का संचालन हो रहा है, वहीं इन ईट भट्टो के संचालको द्वारा लगातार पंप के माध्यम से पानी चोरी कर ईट बनाई जा रही है, जगह-जगह पंप लगे होने के कारण जहां केवई नदी की धार टूट चुकी है। बावजूद इसके
इन अब तक किसी तरह की कार्यवाही नही की जा सकी है।
बिना अनुमति
सुलग रहे ईट भट्टे
कोतमा नगर सहित
आसपास के क्षेत्र में केवई नदी के किनारे व आसपास सैकडो अवैध ईट भठ्ठो का संचालन
हो रहा है, जिसकी अनुमति प्रशासन से नही ली गई है।
वहीं नगर सहित आसपास के क्षेत्रो में पेयजल के साधनो का तो दुरूपयोग हो रहा है साथ
ही चोरी के कोयले एवं मिट्टी का भी अवैध उत्खन्न प्रारंभ है। जिले मे इस भीषण
गर्मी व जल संकट की स्थिति व लगातार जल स्तर में गिरावट आने के बावजूद पानी के
दुरूपयोग पर रोक नही लगाया जा सका है।
कागजी खाना
पूर्ति बनी कार्यवाही
जानकारी के
अनुसार अवैध ईट भट्टो में प्रयोग किए जा रहे चोरी के कोयले, पानी व मिट्टी के उपयोग की लगातार शिकायत होती रही है, जिस पर प्रशासन द्वारा सिर्फ दिखावे के लिए छोटे मोटे ईट भट्टो पर कार्यवाही
कर अपना कागजी कोरम पूरा कर लेते है। नदी तालाबो के आसपास इन भट्टो का संचालन
खुलेआम होने पर नाममात्र की कार्यवाही की जाती है। जिससे आमजन में असंतोष व्याप्त
है।
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