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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

सूखे जंगल, पानी का स्त्रोत न होने से परेशान वन्यप्राणी

अनूपपुर जिले के अधिकांश वनक्षेत्रों में ग्रीष्मकाल दौरान पेड-पौधे के साथ लेंटाना अधिकांश मात्रा में सूखे हुए हैं वहीं भूमि पर हरा चारा भी नहीं है। दूसरी ओर वनक्षेत्र एवं उसके आस-पास राजस्व भूमि पर स्थित बांध, तालाब, नाला एवं नदियां सूखी पडी हैं, जिससे वन्यप्राणी अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकते हुए गांव के नजदीक तक आ रहे हैं। भटकते हुए आने-जाने पर वाहनों की चपेट में आकर मृत, घायल हो रहे हैं, वहीं विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वनक्षेत्रों के मध्य स्थित नालों की बंधाई, तालाबों का गहरीकरण कराये जाने का विचार विगत वर्षों की तरह कागजों में कर रहा है। समुचित पेयजल व्यवस्था की संभावना न के बराबर है, वहीं दूसरी ओर वन्यप्राणियों के सामने जंगलों में भयावह स्थिति से लग रही आग से जूझना पड रहा है। जिससे विभिन्न प्रकार के वन्यप्राणी परेशान हैं। ज्ञातव्य है कि जिले के जैतहरी, कोतमा एवं बिजुरी वन परिक्षेत्र में वन्यप्राणी भालू की अधिकता अनूपपुर, बिजुरी एवं अहिरगवां वनपरिक्षेत्र में हिंसक वन्यप्राणी टाईगर (बाघ), तेंदुआ के साथ चीतल, जंगली सुअर सहित विभिन्न प्रकार के वन्यप्राणी हैं। विभाग के उच्चाधिकारियों को चाहिए कि 30-40 डिग्री तापमान से गुजर रहे जिले के वनक्षेत्रों में वन्यप्राणियों को पेयजल उपलब्ध कराने, वनों को आग से बचाने हेतु मैदानी स्तर पर तत्काल समुचित व्यवस्था कराई जावे।

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