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रविवार, 22 अप्रैल 2018

रिश्तों की मधुरता को संरक्षित कर न्याय दिलाने का कार्य कर रही है लोक अदालत- जिला एवं सत्र न्यायाधीश

राष्ट्रीय लोक अदालत में १५२६ प्रकरणों में १५९ प्रकरणों का हुआ निराकरण 
अनूपपुर। मानव-मानव के बीच बढ़ती दूरी ही विवाद का कारण बनती है। जिसके कारण न्यायालयों में प्रकरणों की संख्या बढ़ती है तथा पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी होती है। पूरे देश में लोक अदालतों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। लोक अदालतें जन आंदोलन का स्वरूप ले रही है। जिसके कारण न्यायालयों में प्रकरणों की संख्या बढ़ती है तथा पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी होती है। न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कारण पक्षकारों का मानव श्रम बेकार होता है। जिसका दुष्प्रभाव परिवार, समाज एवं देश के विकास पर परिलक्षित होता है। रिश्तों की मधुरता को संरक्षित कर न्याय दिलाने का कार्य कर रही है लोक अदालत। यह बात जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि कुमार नायक ने रविवार २२ अप्रैल को जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर अनूपपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ के दौरान कही। कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि कुमार नायक,सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जीएस नेताम, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश महेश कुमार सैनी, वारीन्द्र कुमार तिवारी,ज्योति राजपूत, जिला विधिक सहायक अधिकारी जीतेन्द्र मोहन धुर्वे, न्यायालय अधीक्षक काम सिंह राणा, उपाधीक्षक जीतेन्द्र कुमार मिश्रा, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, अधिवक्तागण, पक्षकार मौजूद रहे। बताया जाता है कि जिला न्यायालय अनूपपुर एवं तहसील न्यायालय कोतमा व राजेन्द्रग्राम में कुल १० खंडपीठों का गठन किया गया था। जिसमें शमनीय प्रकरण, चेक अनादरण प्रकरण, बैंक वसूली प्रकरण, मोटर दुर्घटना प्रकरण, वैवाहिक प्रकरण, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, सिविल प्रकरण एवं बिजली व पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों का निराकरण किया गया। अनूपपुर, तहसील कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम में लंबित प्रकरणों मेें से १५२६ प्रकरणों को लोक अदालत मे रेफर किए गए। जिनमें से कुल १५९ प्रकरणों का निराकरण हुआ। इनमें ३३१ व्यक्तियों को लाभांवित किया गया। इसमें कुल ४७९७८२८ रूपए अवार्ड प्राप्त हुए। जबकि प्रीलिटिगेशन के ६४७ प्रकरण लोक अदालत में प्रस्तुत हुए जिनमें से १२ प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत के माध्यम से हुआ। इसमें ३४४२५ रूपए अवार्ड हुई। वहीं जल प्रकरण में ११२ मामलों में ८ मामलों का निराकरण किया गया, इसमें २३४२५ रूपए अवार्ड प्राप्त हुआ।
दम्पत्ति के चेहरों पर खिली मुस्कान
भरण पोषण के मामले में पति पत्नी के मध्य समझौते ने दम्पत्ति के मुरझे चेहरे पर खुशी बिखेर दी। सोनिया और कैलाश केवट के प्रकरण में कैलाश ने सम्पूर्ण राशि पत्नी को एकमुश्त प्रदान की। वहीं एक अन्य मामले में शबाना और अकबर कुरैशी के प्रकरण में अकबर कुरैशी ने अपनी पत्नी को प्रतिमाह ३ हजार रूपए देने की सहमति प्रदान की। वहीं मां बेटे के बीच चल रहे विवाद में बेटा निशांत कुमार ने अपनी मां के गुजारे भत्ते की राशि देने की हामी भरी।

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