कमलनाथ मंत्रिमंडल में फेरबदल
रूठे विधायकों को मानाने बजट सत्र से पहले हो सकता है
अनूपपुर।मध्यप्रदेश में बीते कुछ समय से सियासी उठापटक लगातार जारी है। प्रदेश में सत्ता में बैठी कमलनाथ सरकार को भाजपा की ओर से लगातार सियासी पटकनी देने की कोशिश की जा रही है जिसने मुख्यमंत्री कमलनाथ की चिंता बढ़ा दी है।कमलनाथ सरकार इस सियासी संकट को टालने के लिए जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है। सभी मंत्रियों को 8 मार्च तक को भोपाल में रहने के निर्देश दिए गए हैं।निर्दलीय और सपा और बसपा और कांग्रेस के नाराज विधायकों को साधने के लिए कमलनाथ नए सिरे से कैबिनेट की शपथ करवा सकते हैं। कुछ मंत्रियो ने इस्तीफे की भी पेशकश की , जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने शनिवार को कहा कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार बजट सत्र के बाद होगा। इसके साथ ही उन्होंने इन चर्चाओं को विराम लगा दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार एक-दो दिन में हो सकता है। लेकिन बीते घटना क्रम को देखने पर कांग्रेस और निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायक सरकार से मंत्री पद ना मिलने की वजह से रूठे नजर आए हैं और सरकार को चेतावनी के साथ ही पाला बदलने तक के बयां बाज़ी करते नज़र आये नजर आए हैं।कांग्रेस के बागी और निर्दलीय विधायक चाहते हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार होली के बाद और बजट सत्र से पहले हो। राजधानी में लगातार बैठकों का दौर जारी है जिसमें यह उत्पन्न हुए सियासी संकट को हल करने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई बैठक में सियासी गणित बैठाने की बात हुई है। जिसमें प्रदेश के तीनो दिग्गज नेताओं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुटों के मंत्रियों की संख्या में कटौती हो सकती है,साथ ही साथ खबरों के मुताबिक कुछ मंत्रियों के मंत्रालयों में भी कटौती की जा सकती है । प्रदेश में 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से 34 सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 29 मंत्री है। 5 मंत्री और शामिल किए जा सकते हैं कांग्रेस के नाराज वरिष्ठ विधायकों की ही संख्या करीब एक दर्जन हैं।ताजा राजनीतिक असंतोष को शांत करने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना ही एक मात्र उपाय बचा है। ऐंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, केपी सिंह और और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का मंत्री बनना तय है। इसके अलावा कुछ नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं। निर्दलीय विधायकों में बसपा से रामबाई और संजीव में से किसी एक को मंत्री और एक को किसी निगम मंडल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। सपा के राजेश शुक्ला, निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा, हीरा अलावा को या तो राज्यमंत्री या निगम मंडल में जगह दिया जा सकता है।
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