देखरेख के
अभाव में पसरा है सन्नाटा
अनूपपुर। बच्चो के खेलने के
लिये पार्क निर्माण कराया गया जिसकी दीवारों पर आदिवासी लोक कला संस्कृति उकेरी गई
इस शांत स्थल को देखकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भ्रमण के दौरान
इसकी तारीफ की थी और पार्क को बेहतर बनाने प्रशासकीय स्तर पर प्रयास के निर्देश
दिए थे। लेकिन २५ लाख से अधिक के खर्च किए बच्चो का पार्क वीरानी में गुम सा हो
गया है। यहीं नहीं लाखों रूपए के लगाए गए कीमती फलदार पौधें भी पानी के अभाव में
सुख चुके है। मैदान की सौन्दर्यता नष्ट होकर सपाट व सूखी बंजरभूमि में नजर आने लगा
है। वहीं लोगों के बैठने के लिए बिछाई गई विशेष घास का अब कभी भी नामोनिशान तक
नहीं बचा है।
जनभागीदारी व
जिला प्रशासन की सहभागिता के तौर पर निर्मित किए पार्क की सौन्दर्यीकरण के लिए नगर
पालिका ने छत्तीसगढ़ और प्रदेश के कई शहरो से पॉम, गुलमोहर, नारियल, नींबू, नीम,
सुपारी, सहित
अन्य लगभग ३०० फलदार पौधों को मंगवाया था। इसके अलावा पार्क के मैदान में विशेष
घास की चादर बिछाई गई थी। जिसमें नगरपालिका ने पौधों में ३ लाख से अधिक की राशि
खर्च की, जबकि
विशेष घासों के लिए भी सवा लाख से अधिक राशि खर्च किए। लेकिन अब लगाएं गए पौधों
में गुलमोहर, पॉम, नारियल सहित अन्य दो
सैकड़ा फलदार पौधे सूख गए। जबकि घास की परत पानी के अभाव में पीली होकर सूख गई है।
सुरक्षा के लिए रखे गए माली का कहना है कि पानी की लगातार कमी होने के कारण पौधे
सूखे है। इसके अलावा पार्क को बेहतर बनाने दुबारा इसपर कार्य नहीं किया गया। वहीं
नगरपालिक ने अपने कबाड़ के सामान को पार्क के कोनों में लाकर खड़ा कर दिया है।
इसके लिए नगरपालिका अधिकारियों से शिकायत की गई थी। लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था
नहीं कराई गई है। वहीं तत्कालीन कलेक्टर नंद कुमारम् के प्रयास से पुष्पराजगढ़ से
ध्वस्त १२वीं सदी के कल्चुरीकालीन मंदिर को फिर से संहजने के प्रयास पुरातत्व
विभाग भोपाल और जबलपुर द्वारा किए गए। मंदिर खड़ी हुई, लेकिन लोगों की
पहुंच में अब सिर्फ धरोहर बनकर रह गई है। हालांकि नगरीय प्रशासन अनूपपुर भी यह
मानती है कि जिस तरह से चिल्ड्रेन को तैयार किया गया था, उस स्तर से उसकी
देखभाल नहीं हो सकी। जिसके कारण पार्क की सौन्र्दयता गायब हो गई।
बच्चो के
पार्क नगरवासियों के लिए अतीत का स्थल बन गया है। वर्ष २०१४ के दौरान जिला प्रशासन
व जनभागीदारी व्यवस्था के तहत बच्चों के साथ नगरवासियों के लिए सुकून के दो पल
बिताने के लिए बनाए गए पार्क पर अब ताला लटका हुआ है। कभी बच्चों के किलकारियों से
गुंजने वाला बच्चो का पार्क अब बिल्कुल खामोश और विरान है। नगरवासियों के कदमों की
आहट पार्क के अब सुनाई नहीं देती। पार्क में लगे हर पेड़ की पत्तियां शांत है।
जबकि १२वीं सदी के कल्चुरीकालानी मंदिर को नए स्वरूप में बनाकर लोगों को आकर्षित
करने की योजना पर नगरपालिका की लापरवाही ने पानी फेर दिया।
तो ठेके पर
संवारने की होगी कवायद
एक ओर लाखों
खर्च के बाद भी चिल्ड्रेन पार्क की बदहाली कायम है। वहीं अब नगरपालिका ठेके पर
पार्क को संवारने की रणनीति बना रही है। जिसमें ठेका लेने वाली कंपनी ही पौधों को
लगाने, पानी
की व्यवस्था कराने तथा सफाई के साथ समय पर पार्क को खोलने की जिम्मेदारी निभाएंगे।
इनका कहना है
जनभागीदारी व
प्रशासन के प्रयास से बसाया गया चिल्ड्रेन पार्क जरूर वीरान है। देख-रेख के अभाव
में पार्क की सौन्दर्यता को बरकरार नहीं रखा जा सका। लेकिन अब इसे ठेके पर देकर
पुर्नउद्धार किया जाएगा।
रामखेलावन
राठौर, अध्यक्ष
नगरपालिका अनूपपुर।
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