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बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

छुलकारी ग्राम के आदिवासी परिवारों ने समिति गठन कर शुरु किया मत्स्य उत्पादन



अनूपपुर। जो अपनी मदद स्वयं करते हैं ,उनकी मदद तो सम्पूर्ण सृष्टि करती है। यह कहावत जिले की जैतहरी तहसील के ग्राम छुलकारी के आदिवासियों पर पूर्णरूपेण लागू होती है। जिले के मत्स्यपालकों की सफलता की कहानी समाचार पत्रों में जारी की जा रही हैं, उन कहानियों के पढने के बाद इन आदिवासी परिवारों ने भी मत्स्य पालन करने का निर्णय लिया। ग्राम छुलकारी के आदिवसी कृषकों के मन में जो विचार अपनी आर्थिक हालात को सुधारने के थे,उसकी पूर्ति के लिए उन्होने जिला मत्स्य अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क किया। इस प्रयोजन मे उनका साथ जिले के मत्स्यद्योग विभाग ने दिया।
संघठन मे शक्ति होती है और इसका उदाहरण बनते जा रहे हैं,ग्राम छुलकारी के ग्रामीण आदिवासी,अपने विचारों को अमलीजामा पहनाने के लिए एक-एक करके मत्य पालन विभाग द्वारा बतायी गयी प्रक्रियाओं को पूरा किया। सबसे पहले उन्होने मत्स्य उद्योग विभाग की अनुशंसा पर आदिवासी मत्स्य उद्योग सहकारी समिति छुलकारी का पंजीयन उपपंजीयक सहकारिता कार्यालय मे कराया। इस समिति मे कुल २४ सदस्य हैं जिनमे से ९ महिलाएं भी हैं। इसके बाद जनपद जैतहरी के प्रस्ताव एवं मत्स्य उद्योग विभाग की अनुशंसा पर शासन द्वारा समिति को २५ है०का छुलकारी जलाशय का आवंटन भी मिल गया।
 मत्स्य उद्योग  विभाग द्वारा समिति के सदस्यों को मछलीपालन व्यवसाय के संबंध मे ७ दिवसीय आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान समूह के सदस्यों को जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्य करने वाले सफल हितग्राहियों से रू-ब-रू कराया गया। साथ ही उन्हें सफलता की कहानियों के सेट वितरित कराए गए। इन हितग्राहियों को बहु उद्देशीय वाणसागर परियोजना देवलोन्द में स्थापित मत्स्यबीज संवर्धन केंद्र का भ्रमण कराकर सदस्यों को कार्यकारी अनुभव भी दिलाया गया। इसके अलावा आदिवासी विकास परियोजना के तहत ८००० रुपये प्रति व्यक्ति  लागत का जाल खरीदने हेतु अनुदान एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ०.१० हे० के २ तालाबों का भी मत्स्यबीज सवंर्धन के लिए आवंटन किया गया। मछुआ कल्याण बोर्ड के सदस्य राजमणि केवट एवं अन्य जनप्रतिनिधियो ने भी सदैव समिति का सहयोग एवं मार्गदर्शन किया गया। प्रशिक्षण एवं शासन द्वारा सतत रुप से समिति के सदस्यों चेतराम पाव, ललन सिंह, भगवानदीन,उषा बाई एवं गुडि़या आदि आत्मविश्वास जागा है। पहले ही साल इन किसानों ने बीज संवर्धन योजना के तहत २ लाख मत्स्य बीज डाला है। परिणाम की प्रतीक्षा है,किन्तु समूह के सदस्यों की मेहनत एवं लगाव को देखकर लगता है कि यह समिति एक माडल समिति के रुप में उभरकर आयेगी,जो अन्य मत्स्यपालकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेगी।

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