चिकित्सालय का उन्नयन जरुरी
अनूपपुर। जिले
के अंतिम छोर पर बसे बिजुरी क्षेत्र का आम आवाम सरकार के तमाम विकास परक दांवों के
बीच गोता लगा रहा है। उसे समझने में मुश्किल हो रहा कि वह जो देख रहा वह सही है या
सत्तासीन सरकार का दावा। लाखों की आबादी लिये कोयलांचल नगरी जिस पर आदिवासी
बाहुल्य अंचल का तमगा लगा है सरकार के विकास पर के दांवों में अपने को टटोलने में
लगा है। उसके पास भोपाल से लेकर दिल्ली तक ऊंची पकड बताने वाले जनप्रतिनिधियों से
लेकर तमाम राजनीतिक लोग हैं जो हर जगह पान ठेला चौराहों पर गप्प लड़ाते नजर आते हैं
कि वों जो चाहे करा सकतें हैं फिर प्रश्न यह उठता है कि गत 15 वर्षों से सत्ता में
रहते ओहदेवान जनप्रतिनिधि नगर के प्रमुख बुनियादी समस्याओं का सामाधान करा पाने
में असफल साबित हो रहे है या फिर पान ठेलों और चौराहों में खड़े होकर अपने मुह अपनी
बड़ाई कर अपनी ही पीठ थपथपा रहे है। वैसे तो जिले का बिजुरी क्षेत्र कोयलांचल
क्षेत्र के नाम से जाना जाता है जहां विकास की गंगा बहाने वाली बड़े से बड़े महारथी
नगर की समस्याओं से किनारा कर अपनी नैया को बेरोक टोक पार लगाने में लगे हुए है।
जिले की
कोयलांचल नगरी बिजुरी में बहुत सारी समस्याएं है लेकिन समस्याओं में अगर
प्राथमिकता दी जाये तो हम यह माने कि अगर जिस क्षेत्र में उपचार का साधन आसानी से
मुहैया होते है वहां के लोग निश्चिंत होकर अपना तथा अपने परिवार का जीवन यापन करते
है। वर्षो से बिजुरी की जनता सरकार तथा अपने ही चुने हुए दिग्गज जनप्रतिनिधियों से
बहुत सारी आशाएं लगाते हुए है जिसमें अगर इनकी मांगों को गिना जाये तो आशान नही है
कि हम इनकी मांगों को चंद लब्जों में बयां कर सके। इन्ही मांगों मे से
बहुप्रतिक्षित मांग यहां बने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य
केन्द्र का दर्जा दिलाना है जिसके लिए बिजुरी की जनता नीचे से लेकर ऊपर तक लिखित
तथा मौखिक कई बार गुजारिस कर चुकी है लेकिन प्रशासन शासन व यहां के दिग्गज
जनप्रतिनिधि ऐसा कर पाने में असमर्थ नजर आ रहे है। कहने को तो यहां प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र है लेकिन आसपास के लाखों की आबादी को जीवन देने का एक मात्र
चिकित्सालय जहां पर सरकारी योजनाएॅ हैं पर योजनाओं को मूर्त रुप देने वाले
चिकित्सक, कार्यालयीन
कर्मचारी, संसाधन
का पता नही।
एक चिकित्सक
के भरोसे क्षेत्र की जनता
नगर के
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द में सरकार की संपूर्ण योजनाएं लागू है जिसका लाभ क्षेत्र
के जागरुक आवाम को मिल रहा है। नगर में स्थित चिकित्सालय आसपास के सुदूर ग्रामीण
अंचल क्षेत्र कोठी से लेकर बेलगॉव व संपूर्ण कोयलांचल में निवासरत लोगों के
प्राथमिक उपचार का केन्द्र है। इस केन्द्र में लाखों की आबादी का जिम्मा है जिसे
पूरा करने का काम चिकित्सक का है। नगर प्राथमिक केन्द्र में वर्तमान में केवल एक
चिकित्सक डॉ. मनोज सिंह हैं। प्रशासनिक फेरबदल के कारण पदस्थ चिकित्सक डॉ.
त्रिपाठी को मलगा का प्रभार दिया गया है। लाखों की आबादी वाले एक मात्र केन्द्र एक
चिकित्सक के भरोसे जिसके जिम्मे प्रशासनिक कार्यो के अलावा मरीजों का उपचार भी
शामिल है। चिकित्सक की कमी से क्षेत्र कराह रहा है अतिरिक्त चिकित्सकों की
पदास्थापना की मांग बदलती नजर आ रही है जिसे जहन में लाने का काम अब तक नही किया
जा सका है।
नर्स
वार्डब्वॉय सहित ड्रेसर का आभाव
प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र आभावों के बीच खडा है उसके पास केवल 2 नर्स हैं व वार्डब्वॉय की
कमी पहले से ही है ड्रेसर का पद पदस्थ ड्रेसर रामचरित श्रीवास्तव के सेवानिवृत्ति
के बाद अब तक नही भरा जा सका है। मसलन चिकिसालय का लाभ जख्मी सख्स व मरीज को नही
मिल पा रहा है। तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद कर्मचारियों की कमी का दंश क्षेत्र
की आम जनता प्रशासनिक उदासीनता के कारण भोगने को विवश है।
महिला
चिकित्सक की भी कमी
महिला प्रसव
को सरकारी अस्पताल में कराये जाने को लेकर सरकार विज्ञापनों पर करोडों खर्च करती
चली आ रही है। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने संबंधी विज्ञापन को लेकर जागरुक
महिला जब सरकारी अस्पताल की चौखट पर पांव रखती हैं तो उन्हे महिला चिकित्सक की कमी
खलती है। जिसका लाभ निजी चिकित्सालय ले रहा है तथा सरकारी योजनाओं को करारा तमाचा
लग रहा है। महिला हित में महिला चिकित्सक न मिल सका। सरकार के महिला हितों के
दावों की पोल नगर में खुलती नजर आ रही है।
न बिस्तर न
जांच उपकरण
नगर के
दानदाताओं के भरोसे दो चार बिस्तर के भरोसे मरीजों को भर्ती कर इलाज करने का काम
किया जाता है। मरीज बढे तो जमीन पर लिटा कर इलाज किया जाता है जिससे मानवता तारतार
होती है। क्या मरीज क्या चिकित्सक सभी यही कोसते हैं कि बीमार व्यक्ति जाने कैसे
जमीन में पडकर लाभ ले सकेगा। बरसात का मौसम अस्पताल की व्यवस्था पर आसू बहाने जैसा
ही होता है। जाच उपकरण का न होना दुर्घटनाग्रस्त मरीज, महिलाओ के लिए एक
बडा दंश दे जाता है।
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