अनूपपुर। जिले के
राजेंद्रग्राम में पदस्थ पटवारी मंगलवार को
शहडोल में जहर खाकर आत्महत्या कर लिया। पटवारी की पत्नी का आरोप है कि उसके
पति को लम्बे समय से वेतन नहीं दिया जा रहा था। उसका परिवार आर्थिक बदहाली के दौर
से गुजर रहा था। हालात जब असहनीय हो गया तो उसके पति को आत्महत्या करनी पड़ी।
धुरवार गांव केपास रहने वाले पटवारी नर्मदा प्रसाद बैगा मंगलवार की सुबह अपने घर
में जहर खा लिया। हालत बिगडऩे पर उसे शहडोल जिला अस्पताल लाया गया जहां उसकी मौत
हो गयी। आत्महत्या की वजह आर्थिकतंगी बताया जा रहा है। पुष्पराजगढ़ तहसीलदार पंकज
नयन तिवारी ने बताया कि पटवारी नर्मदा प्रसाद 6
सितम्बर 2016 से
डियूटी पर नहीं आ रहा था। एक साल से अधिक समय से बिना सूचना के गायब रहने के कारण 5 महीने पहले 4 अन्य पटवारियों के
साथ उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद न तो नोटिस का जवाब आया और न
ही पटवारी नर्मदा खुद उपस्थित हुवा। पटवारी नर्मदा को करीब से जानने वाले बता रहे
हैं कि उसका कामकाज ठीक था। कुछ माह पूर्व उसके बेटे का देहांत हो गया था जिसके
बाद वह बेहद परेशान रहा। वेतन नहीं मिलने के कारण खेती व मजदूरी कर अपने परिवार का
पेट पाल रहा था। पटवारी नर्मदा की आत्महत्या अधिकारियों के कामकाज के तरीके पर कई
तरह के सवाल खड़ा करती है। अगर पटवारी इतने लम्बे समय से गायब था उसका हाल जानने
का प्रयास विभाग द्वारा ईमानदारी से नहीं किया गया।मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018
पटवारी ने की आत्महत्या,17 महीने से नहीं मिला था वेतन
अनूपपुर। जिले के
राजेंद्रग्राम में पदस्थ पटवारी मंगलवार को
शहडोल में जहर खाकर आत्महत्या कर लिया। पटवारी की पत्नी का आरोप है कि उसके
पति को लम्बे समय से वेतन नहीं दिया जा रहा था। उसका परिवार आर्थिक बदहाली के दौर
से गुजर रहा था। हालात जब असहनीय हो गया तो उसके पति को आत्महत्या करनी पड़ी।
धुरवार गांव केपास रहने वाले पटवारी नर्मदा प्रसाद बैगा मंगलवार की सुबह अपने घर
में जहर खा लिया। हालत बिगडऩे पर उसे शहडोल जिला अस्पताल लाया गया जहां उसकी मौत
हो गयी। आत्महत्या की वजह आर्थिकतंगी बताया जा रहा है। पुष्पराजगढ़ तहसीलदार पंकज
नयन तिवारी ने बताया कि पटवारी नर्मदा प्रसाद 6
सितम्बर 2016 से
डियूटी पर नहीं आ रहा था। एक साल से अधिक समय से बिना सूचना के गायब रहने के कारण 5 महीने पहले 4 अन्य पटवारियों के
साथ उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद न तो नोटिस का जवाब आया और न
ही पटवारी नर्मदा खुद उपस्थित हुवा। पटवारी नर्मदा को करीब से जानने वाले बता रहे
हैं कि उसका कामकाज ठीक था। कुछ माह पूर्व उसके बेटे का देहांत हो गया था जिसके
बाद वह बेहद परेशान रहा। वेतन नहीं मिलने के कारण खेती व मजदूरी कर अपने परिवार का
पेट पाल रहा था। पटवारी नर्मदा की आत्महत्या अधिकारियों के कामकाज के तरीके पर कई
तरह के सवाल खड़ा करती है। अगर पटवारी इतने लम्बे समय से गायब था उसका हाल जानने
का प्रयास विभाग द्वारा ईमानदारी से नहीं किया गया।
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