मिट्टी और पानी संबंधी चुनौतियों का हल खोज सकेंगे
अनूपपुर। इंदिरा गांधी
राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक
के रसायन विभाग की महत्वकांक्षी परियोजना को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
(डीएसटी) ने स्वीकृति प्रदान की है। पांच वर्षीय परियोजना की पहली किश्त के रूप
में 1.15 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। परियोजना के अंतर्गत विभाग की लैब को
अत्याधुनिक उपकरण प्रदान किए जाएंगे जिससे विभिन्न विभागों के मध्य कई प्रकार के
संयुक्त शोध संभव हो सकेंगे जिनमें मिट्टी और जल में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार
के अवयवों का अध्ययन शामिल है। इनकी वैज्ञानिक व्याख्या के बाद इनसे पैदा होने वाली
चुनौतियों का अध्ययन करने में आसानी हो जाएगी। केंद्र सरकार का विज्ञान और
प्रौद्योगिकी मंत्रालय फंड फॉर इंप्रूवमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (फिस्ट) के
अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों को विज्ञान संबंधी नई तकनीक प्राप्त करने के लिए
वित्तीय सहायता प्रदान करता है। फिस्ट के लिए विश्वविद्यालय के रसायन विभाग ने
पांच वर्षीय परियोजना का आवेदन किया था जिसे हाल ही में विभाग ने मंजूरी प्रदान कर
दी है। पहली किश्त के रूप में 1.15 मंजूर किए गए हैं। परियोजना का क्रियान्वयन
विभागाध्यक्ष डॉ.तन्मय कुमार गोहराई, डॉ.सुब्रता
जना,डॉ.खेमचंद
देवांगन, डॉ.अदिश
जायसवाल, डॉ.
बिस्वाजीत माजी और डॉ. साधुचरण मलिक द्वारा संयुक्त रूप से डीन प्रो.नवीन शर्मा के
निर्देशन में किया जाएगा। परियोजना के अंतर्गत रसायन विभाग की प्रोयगशालाओं में
अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किए जाएंगे। इनमें एक्सआरडी, एटोमिक एब्सोपर्शन
स्पेक्ट्रोस्कोपी,फ्लोरोसेंस
स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, लो
टेंपरेचर बैंच, रोटरी
एवेपोरेटर आदि शामिल होंगे।
एक्सआरडी का
प्रयोग मैटेरियल साइंस में विभिन्न प्रकार के तत्वों की जानकारी लेने में किया
जाता है। इसकी मदद से जियोलॉजी और जियोग्राफी में मिट्टी में उपस्थित विभिन्न
प्रकार के तत्वों की पहचान की जाती है जिससे उनका आवश्यक उपचार किया जा सके।
एटोमिक एब्जोपर्शन स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से मिट्टी और पानी में भारी तत्वों की
पहचान में आसानी होती है। परियोजना के अंतर्गत विभाग की कंप्यूटर लैब को भी
अत्याधुनिक बनाया जाएगा। इन सभी उपकरणों का प्रयोग नैनोसाइंस, मैटेरियल कैमिस्ट्री, सिंथेटिक आर्गेनिक
कैमिस्ट्री आदि में होगा। इससे लाइफसाइंस, एनवायरमेंटल
साइंस, भौतिकी
आदि विभागों के बीच संयुक्त शोध की राह और आसान हो जाएगी। कुलपति प्रो. टी.वी.
कटटीमनी ने परियोजना की मंजूरी पर विभाग को बधाई देते हुए आशा प्रकट की है कि इससे
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कई समस्याओं का वैज्ञानिक समाधान ढूंढने में मदद
मिलेगी।
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