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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

ओवैसी उवाच ....कहा तो सही है...लेकिन

मनोज द्विवेदी कोतमा
सांसद असद्दुदीन ओवैसी किसी चटकारेदार तीखी चटनी से कम नहीं हैं। अब व्यक्ति की खाने पीने की चीजों से तुलना होनी चाहिये या नहीं ,बहस का विषय हो सकता है। ओवैसी के बयानों को गौर करें तो शायद मेरी गुस्ताखी का अर्थ समझ आ जाए।वे अपनी तीखी,चटखारेदार बयानबाजी से जाने जाते हैं। अब किसी को चटनी पसंद है,नहीं है..मेरा विषय नहीं है।
    बहरहाल,ओवैसी ने संसद मे मांग की है कि किसी मुसलमान को पाकिस्तानी कहने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा का प्रावधान हो। जैसे एस सी - एस टी के मामले मे है। ?वैसी की मांग के क्या हितार्थ हैं,इसे वही समझ सकते हैं। मुझ जैसे ग्रामीण परिवेश के व्यक्ति को बात उनकी जो सीधे - सीधे समझ में आई तो मन हुआ कि ओवैसी जिन्दाबाद के नारे लगा दूं। लेकिन नहीं लगा सकता वो इसलिये कि कहीं कोई हिडेन एजेण्डा न हो,बेवजह मैं बेचारा पिस जाऊं। ओवैसी ने जिन्नावाद को खारिज किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि किसी भी भारतीय मुसलमान को बेवजह कुछ लोग पाकिस्तानी कह देते हैं। यह नहीं होना चाहिए। भारत के मुसलमान उतने ही देश भक्त हैं, जितने हम या आप।
गद्दारों की कोई कौम ..कोई जाति नहीं होती। यदि ओवैसी ने पाकिस्तानी कहे जाने पर ऐतराज किया है तो यह पाकिस्तान, पाकिस्तानी, पाकिस्तान परस्तों के मुंह पर तमाचा है। वस्तुत: देश का मुसलमान यदि पाकिस्तानी शब्द पर ऐतराज जता रहा है तो यह तय है कि वह इसे गाली की तरह ले रहा है जो उसे स्वीकार नहीं। अब इसके लिये सरकार दण्डनीय अपराध मानती है,कानून बनाती है या नहीं,भविष्य के गर्त मे है। इसी बहाने ओवैसी ने नयी बहस को जन्म जरुर दिया है।
   इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि  किसी को कोई पाकिस्तानी यूं ही नहीं कह देता। कोई पाकिस्तानी झंडे लहराए, पाकिस्तान के पक्ष मे नारे लगाए,अपने ही देश के प्रतीकों की अवहेलना करे, देश को तोडने,देश को कमजोर करने की साजिश करे,तो उसे भारतीय तो नही ही कहेंगे। तब उसे कोई पाकिस्तानी कहे,बांग्लादेशी या चीनी क्या फर्क पडता है?

ओवैसी सांसद हैं, संसद में उन्होने बांग्लादेशी या चीनी कहे जाने पर नहीं,सिर्फ मुसलमानों को पाकिस्तानी कहे जाने पर आपत्ति की है, सजा की मांग की है। यह हिन्दू-मुस्लिम के बीच का नहीं राष्ट्रीयता,राष्ट्र से जुडा मामला है। या तो आप देशभक्त हैं या नहीं हैं। आप भारतीय हैं तो यह हमारे लिये मायने रखता है,कुछ और हैं तो रहिये,कोई विषय ही नहीं है। कोई विदेशी-देशी ताकत भारत की जड खोदती है तो वह मुसलमान ,ईसाई, हिन्दू,बौद्ध कोई हो...हमारा दुश्मन है,इसे जाति-धर्म-सम्प्रदाय के चश्मे से नहीं देखा जा सकता। पाकिस्तानी हिन्दू-मुसलमान कोई हो सकता है। आपत्ति तब है जब वह भारतीय होते हुए पाकिस्तानी भाव रखे। ओवैसी को बुरा लगा,नहीं लगा यह पता नहीं। उन्होंने आपत्ति दर्ज की तो इसे व्यापक तरीके से किया - लिया जाना चाहिये था न कि संकुचित तरीके से। बहरहाल उन्होंने जिन्नावाद को दुत्कारते हुए भारतीय मुसलमानों की आवाज बनने की कोशिश की है। यदि इस आवाज को संकेत मानें तो पाकिस्तान के लिये इससे अच्छा जवाब नही हो सकता।

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