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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

रोजगार और मुआवजा की मांग को लेकर तहसीलदार को किसानो ने सौंपा ज्ञापन

अनूपपुर  6 फरवरी को आमाडाड, कुहका, निमहा के किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन कलेक्टर के नाम कोतमा तहसीलदार भावना डेहरिया को सौंपा ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि 20 फरवरी 2009 को कॉलरी प्रबंधन द्वारा कुहका, निमहा, आमाडाड के किसानों के साथ बैठक में दो एकड के आधार पर रोजगार देन का लिखित समझौता किया गया था। लिखित समझौता अनुसार भू-आश्रितों को रोजगार प्रदान किया जाना था। जिसकी जानकारी स्वयं एसईसीएल प्रबंधन द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसमें खदान संचालित हुआ किंतु एसईसीएल प्रबंधन द्वारा जानबुझकर कोमल केवट एवं अन्य के प्रकरणों में उक्त तथ्यों को एकल पीठ के समक्ष नही रखा गया। जिसकें कारण उच्च न्यायालय द्वारा म.प्र. पुर्नवास नियम 1991 संशोधित नियम 1995, 1998 तथा सीआईएल 2012 के परिपेक्ष्य में 516 प्राप्त रोजगारों के छटनी का आदेश दिया गया है। जिससे हम समूह में दो एकड के आधार पर प्राप्त रोजगार वालों को नौकरी से बेदखल होना पडेगा। वहीं कालरी द्वारा किसानों की जमीन खोद दी गई। जिला प्रशासन एवं एसईसीएल प्रबंधन द्वारा वर्ष 2006 में 730 भू आश्रितों को म.प्र. पुर्नवास निसम 1991 एवं संशोधित नियमों के तहत पात्र होना आया था। 730 व्यक्तियों को 3 वर्षों में रोजगार दिया जाना सुनिश्चित हुआ था। तात्कालीनन जिला प्रशासन के आदेशानुसार एसईसीएल प्रबंधन द्वारा प्रथम वर्ष में 303 रोजगारों की स्वीकृति प्रदान की गई थी।  506 रोजगार प्राप्त व्यक्तियों में कई भू आश्रित पुर्नवास नियमों के तहत भी पात्र थे, किंतु प्रबंधन द्वारा अलग अलग भू आश्रितों को सूचीबद्ध न कर समूह में दो एकड के आधार पर रोंजगार प्रदान किया गया। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय मं दिए गए शपथ पत्र में स्वयं स्वीकार किया है कि केवल 10 व्यक्तियों को म.प्र. पुर्नवास नियमों के तहत तथा 506 व्यक्तियों को सीआईएल 2008  पैकेज के कन्सेप्ट के तहत रोजगार दिया गया है। उच्च नयायालय के एकल पीठ में लंबित प्रकरण कोमल केवट एवं अन्य में उक्त तथ्यों को स्पष्टत नहीं रखने के कारण भारी क्षति उठानी पडेगी। एसईसीएल द्वारा 108 व्यक्तियों को हुए नोटिस में दबाव बना कर स्वयं इनके वकालत नामा ले लिया गया। प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के साथ मिलकर एसईसीएल प्रबंधन द्वारा अपना पक्ष रखने से न्यायालय में रोक दिया गया। 516 व्यक्तियों में से 506 व्यक्तियों को समूह में दो एकड के आधार पर एसईसीएल द्वारा दिए गए रोजगार को यथावत रखा जाए। जिससे किसी भी तरह की विषम परिस्थितियों से बचा जा सके। ज्ञापन सौंपने वालों में अशोक त्रिपाठी, अनूप त्रिपाठी, खेलावन सिंह, धनीराम, समय लाल, रामसिंह मार्कों, हरिलाल केवट, अशोक मिश्रा, जलकेश दुबे, नकुल प्रसाद, विश्वनाथ सिंह, प्रदीप सिंह, राजकुमार शर्मा, प्रदीप शर्मा, राजेश गौतम सहित सैकडों किसान उपस्थित रहे। 

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