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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

मां नर्मदा को चढ़ाए बहुमूल्य धातू के बर्तन व जेवरो का समिति के पास नही है कोई लेखा-जोखा

श्रद्घालुओं को नही मिलती को रसीद,बदलने का लगा आरोप

अनूपपुर/अमरकंटक मां नर्मदा को श्रद्घालु सोना, चांदी के बर्तन व अन्य वस्तुएं भेंट करते हैं लेकिन अमरकंटक नर्मदा मंदिर में जो भेंट चढ़ा रहे हैं इसका कोई लेखा-जोखा नहीं रखा जा रहा। देश का बड़ा प्राचीन मंदिर है जहां बड़ी कमी को उजागर कर रहा है। यहां मंदिर में जो भी सामान धातुएं आती हैं, उन्हें ट्रेजरी में जमा होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। नगर परिषद के कर्मचारी अपनी देखरेख में उन्हें रख लेते हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर का एक ट्रस्ट भी है जिसके माध्यम से दान की जा रही वस्तुओं का एक रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए लेकिन यहां अलग से ऐसा कोई विभाग व कर्मचारी नहीं रखे गए हैं। नगर परिषद के कुछ कर्मचारियों द्वारा यह दायित्व संभाला जा रहा है। आरोप हैं कि मंदिर की धातु सामग्री सोने से चांदी और चांदी से एल्यूमीनियम में बदली जा रही है। वहीं कई सामग्रियों का पता नहीं चल रहा। कुछ दिन पूर्व मंदिर में कटोरा, गिलास, चम्मच सभी चांदी के पात्र मां नर्मदा के भक्त सतीश कुमार मिश्रा बरगवां द्वारा भेंट की गई किंतु उन्हें भी कोई रसीद नहीं दी गई।

नर्मदा मंदिर में एक अष्टधातु का बड़ा नगाड़ा वर्षों से लापता है। कोई बता नहीं पा रहा कि आखिर यह अब कहां गायब हो गया। यह नगाड़ा स्टोर रूम में भी अब नहीं है। कुछ वर्ष पहले इसका उपयोग हुआ फिर दोबारा दिखाई नहीं दिया। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यह नगाड़ा कहां है उन्हें भी नहीं पता।

माता नर्मदा को नवरात्रि के पावन अवसर पर सोने की सुतिया पहनाई जाती थी किंतु अब वह चांदी की हो गई है। यह सोना से चांदी में तब्दील हो चुकी है जबकि यह दान में दी गई थी तब सोना था। मंदिर के पुजारी धनेश द्विवेदी ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मंदिर के अंदर जो पूजन व श्रृंगार की चीजें होती थी उनमें भी मंदिर के अंदर कम ही देखी गई है। कान का कुंडल दो नग, चांदी का 2 नग नाग, दीपक कटोरा चांदी का, चांदी की 2 नग प्लेट वर्तमान में मंदिर में नहीं है।

नर्मदा मंदिर में कई भक्त ऐसे आते हैं जो सोने व चांदी के गहने तथा पात्र चढ़ाते हैं। बहुत से गुप्त दान में अनेक वस्तुएं दे जाते हैं लेकिन यहां माता व मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए जो सामग्री दी वह किस अवस्था में है और उपयोग किस तरह से हो रहा है यहां कोई पड़ताल नहीं की जा रही है।

बताया गया कि मंदिर में भक्तों द्वारा माताजी को श्रद्घा पूर्वक लोग जेवर व अन्य वस्तु अर्पित करते हैं उसे ट्रस्ट जमा कर लेता है लेकिन ऐसा नही होता और वह सोना चांदी में परिवर्तित हो जाती है और चांदी एल्यूमीनियम में। ऐसी कई यहां घटनाएं कई बार उजागर हो चुकी हैं जो एक जांच का विषय भी है और व्यवस्था में सुधार के लिए मंदिर ट्रस्ट के लिए आगे आने की जरूरत है। यहां दान करने वाले लोगों को रसीद भी दी जानी चाहिए।

इस संबंध में एसडीएम पुष्पराजगढ़ व मंदिर ट्रस्ट समिति व्यवस्था प्रभारी विजय डेहरिया ने बताया यहां जो कमियां हैं उसे दूर करने के संबंध में कार्य योजना बनाई जा रही है। दानदाताओं को रसीद देने का प्रावधान है। यहां कमी है स्थाई कर्मचारी की जो इस कार्य के लिए नहीं है। इसके लिए अब ट्रस्ट लेखा जोखा रखने के लिए कर्मचारी की नियुक्ति करने जा रहा है। अन्य जो अव्यवस्थाएं हैं उसे दूर किया जाएगा।

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