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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

वनाधिकार पट्टा और फसल को नुकसान न पहुंचाने कलेक्ट्रेट पहुंचे बैगा परिवार,सौंपा ज्ञापन



वर्षो से काबिज बैगा परिवारों की भूमि पर वनविभाग ने किया कब्जा
अनूपपुर वनपरिक्षेत्र के राजेन्द्रग्राम बम्हनी बीट कक्ष क्रमांक पीएफ 162 के अंतर्गत 25 हेक्टेयर वनभूमि पर बुधवार को वनविभाग द्वारा अतिक्रमण हटाकर किए गए कब्जे के विरोध में गुरूवार को आधा सैकड़ा बैगा परिवार कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर अपर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें राष्ट्रीय जायस के बैनर तले बेंदी, डूमरटोला के आधा सैकड़ा बैगा परिवारों ने वन अधिकार पट्टा दिलाने और वनविभाग द्वारा धान की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की है।

अपर कलेक्टर सरोधन सिंह को सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि समस्त बैगा आदिवासी परिवार ग्राम पंचायत बेंदी, डूमरटोला के निवासी है। हमारा जीवन इसी भूमि पर निर्भर है और अब इसमें धान की फसल लगी है। 22 जुलाई को वनविभाग द्वारा अचानक आकर उस जमीन को वनविभाग का बताकर वहां खड़ी फसल में ट्रैक्टर चलवाने लगे और आवारा पशुओं को धान के फसलों में चरने छोड़ दिया गया। इसके बाद वहां पर चारो ओर से बाउंड्री करवाने लगे। हम बैगा परिवार ने वनविभाग के अधिकारियों से निवेदन किया कि हमारी फसल को नष्ट न किया जाए, लेकिन उन लोगों ने हमारी एक बात भी नहीं सुनी और बल पूर्वक हमें वहां से भगा दिया। बैगा परिवारों ने बताया कि फसल को नष्ट न किया जाए क्योंकि हमारा जीवन यापन इसी से चलता है। अगर वनविभाग हमारे साथ ऐसा करता है तो हम आत्महत्या करने के कगार पर आ जाएंगे।
उप वनमंडलाधिकारी राजेन्द्रग्राम मान सिंह मरावी का कहना है कि ने पीएफ 162 के ग्राम थमरदर के डूमरटोला निवासी बिरसू पिता पंचम बैगा, पंचम बैगा का पुत्र, फागू पिता चरकू बैगा एवं दरवारी पिता संचू बैगा द्वारा वर्ष 2018 में पौधारोपण के लिए किए गए तैयारी एवं गड्ढो को पाटकर 25 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण कर खेती कर लिया था। इसकी सूचना पर न्यायालयीन कार्रवाई किए जाने के बाद भी भूमि न छोडऩे पर मुख्य वन संरक्षक शहडोल पीके वर्मा के निर्देश पर शहडोल, अनूपपुर की टीम ने वन मंडलाधिकारी अनूपपुर अधर गुप्ता के नेतत्व में बुधवार की सुबह सम्बंधित वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है। सुरक्षा घेरा के साथ पौधारोपण किया गया है। इस दौरान कुछ युवको एवं बैगा समाज के व्यक्तियों, महिलाओं ने इस कार्रवाई का विरोध किया था। फिलहाल एक ओर जहां बैगा परिवार जमीन पर वर्षो से काबिज होकर खेती की बात कह रहे हैं वहीं वनविभाग इसे दो साल पूर्व का मामला बताकर अतिक्रमण हटाने की बात कह रही है।

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