जिले की 18 खदानों में उत्पादन रहा प्रभावित,करोड़ों का नुकसान
अनूपपुर। भारत सरकार द्वारा कमर्शियल माइनिंग की आड़ में कोल ब्लॉकों को निजी हाथो में सौंपने, काम के घंटे बढ़ाए जाने, तथा सीएमपीडीआई के विलयीकरण के विरोध में पांचों श्रमिक संगठनों ने 2 जुलाई से सामूहिक तीन दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन 3 जुलाई को अनूपपुर जिले के 18 कोल खदानों पर व्यापक असर पड़ा है। पांचो श्रमिक संगठनों एचएमएस, सीटू, एटक, इंटक, बीएमएसएच के पदाधिकारियों ने पहले दिन सभी खदानों के प्रवेश द्वार पर मोर्चा सम्भालते हुए आने वाले श्रमिकों से कामर्शियल माइनिंग से होने वाले नुकसान को बताते हुए काम पर नहीं जाने की अपील के बाद मजदूर वापस लौट गए। जिससे आंशिक उत्पाद के साथ खदानों पर उत्पादन शून्य दर्ज की गई।
महामंत्री एटक एसईसीएल हरिद्वार सिंह ने कोल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा दूसरे दिन भी हड़ताल शत प्रतिशत सफल है एसईसीएल के अंदर कोयला मजदूरों की एकता के साथ खदान को पूरी तरह से ठप्प है। प्रबंधन अपनी साख बचाने के लिए झूठ का सहारा लेकर फर्जी डिस्पैच और उत्पादन दिखाकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रहा हैं। सच्चाई यह है कि जब मजदूर काम पर गया ही नहीं तो कोयला उत्पादन कहा से होगा। रखे हुए कोयले के भंडार को ही उत्पादन बता कर के और बयान बाजी कर रहे हैं।
एटक एसईसीएल के महामंत्री ने कहा कि यह हड़ताल ऐतिहासिक सफल हड़ताल है और मजदूर अपनी बातों को मनवा करके ही दम लेगा। सार्वजनिक क्षेत्र का लाभ मजदूरों के साथ अधिकारियों को भी भरपूर मिलता है। सभी चाहते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण ना हो कोल ब्लॉक का निजी कंपनियों को बिक्री ना हो लेकिन बिवस हैं। सरकार 3 दिन के जबरदस्त हड़ताल के बाद भी होश में नहीं आया तो हम कोयला उद्योग को बचाने के लिए अगली रणनीति पर विचार होगा।
एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के 8 कोल खदानों सहित हसदेव क्षेत्र की 10 खदानों के लगभग सभी खदानों से कोयला उत्पादन का कार्य बंद रहा। कॉलरी सूत्रों के अनुसार पांचों श्रमिक संगठनों के तीन दिनी हड़ताल में जिले के समस्त कोयला खदानों में उत्पादन नहीं होने से सरकार को लगभग 400 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कॉलरी सूत्रों का कहना है कि कॉलरी में ऐसे ही कर्मचारी कायर्रत है, जिनकी जरूरत खदानों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जरूरी है। इसके अलावा उत्पादन से सम्बंधित समस्त श्रमिक और कर्मचारी हड़ताल में शामिल है। जिसके कारण दूसरे दिन 3 जुलाई को श्रमिकों की लगभग 100 फीसदी हड़ताल सफल साबित हुई।
एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आनेवाली 9/10 बंद होने के कारण यहां उत्पादन बंद है, जबकि मीरा खदान, आमाडांड भूमि खदान, आमाडांड ओसीएम, जमुना 1/2, जमुना कॉलरी वर्कशॉप, जमुना कोतमा 7/8 खदान , गोंविदा खदान में सुबह से कोई उत्पादन कार्य नहीं हुए। इसी तरह हसदेव क्षेत्र अंतर्गत आने वाली 10 खदानों में बिजुरी, बहेराबांध, कपिलधारा, कुरजा भूमिगत खदान, राजनगर आरओ, राजनगर ओसीएम, झिरिया खदान, बेस्ट जेकडी, तथा हल्दीबाड़ी खदानों में भी उत्पादन नहीं हुआ। कपिलधारा में मात्र 150 टन उत्पादन दर्ज किया गया है। जबकि बिजुरी खदान की क्षमता 600 टन, बेहराबांध में 1600 टन, कपिलधारा 600 टन, कुरजा भूमिगत खदान 800 टन, राजनगर के दो खदानों में 1000 टन, झिरिया खदान 400 टन, बेस्ट जेकड़ी 400, हल्दीबाड़ी 1600 टन प्रतिदिन क्षमता है।
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