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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

70 हजार हेक्टेयर भूमि पर अबतक मात्र 75 फीसदी बुवाई

जिले में रबी फसल गेहूं के बुवाई का घटा रकबा  दो दिन की वर्षा से किसानो के चेहरो खुशी
अनूपपुर जिले में अल्पवर्षा ग्रस्त घोषित किए जाने के बाद किसानेा के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नही होने पर रबी फसल की पैदावार में किसानो ने किसी तरह की रूचि नही दिखाई दी है। जिसके कारण वर्ष 2017-18 के लिए रबी फसल की बोवाई में अबतक 75 फीसदी ही बोवाई हो सकी है। जिले के चारों विकासखंड में 52 जलाशय सहित 8 हजार से अधिक कच्ची-पक्की कुएं एवं तालाबों की जलस्त्रोत का जल स्तर कम होने पर वर्ष 2017-18 में रबी की निर्धारित लक्ष्य 1 हजार हेक्टेयर भूमि की कमी हो गई है। जिसके कारण किसानों अब मोटी अनाज की जगह तिलहनों की ओर अधिक हो गया है। जिसके कारण रबी में गेहूं, जौ एवं अन्य अनाजों का वास्तविक रकबा भी 4 हजार हेक्टेयर भूमि कम हो गया है। इसका मुख्य कारण जिले में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं होना बताया जा रहा है।
पिछले वर्ष की तुलना में रकबा में आई कमी
कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार चारों विकासखंड में रबी फसल के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 1.964 हजार हेक्टेयर कम रकबा करते हुए अनाज के लिए 13 हजार ८२ हेक्टेयर रकबा निर्धारित किया है। जिसमें गेहूं के लिए 13.96 हजार हेक्टेयर, जौ एवं अन्य 0.13 हेक्टेयर। दलहन की निर्धारित 39.10 हजार हेक्टेयर में चना 16 हजार हेक्टेयर, मटर 2.80 हजार हेक्टेयर, मसूर 20 हजार हेक्टेयर, अन्य दलहन 0.30 हेक्टेयर। तिलहन की निर्धारित 17.10 हजार हेक्टेयर में राई-सरसो 10 हजार हेक्टेयर, अलसी 7 हजार हेक्टेयर, सूर्यमुखी 0.05 हेक्टेयर, कुसुम ०.०५ हेक्टेयर है जबकि गन्ना 0.007 हेक्टेयर। कुल मिलाकर ७०.०२७ हजार हेक्टेयर भूमि पर रबी के फसल उत्पाद की अनुमानित लक्ष्य रखी गई है। जिसमें मात्र 75 फीसदी बुवाई सम्भव हो सकी है। इसमें दलहन की अनुमानित बढ़ाए गए रकबे में ही मात्र 60 फीसदी फसल की बुवाई सम्भव हो सकी है।
दो दिनो की बारिश में किसानो की चेहरे पर छाई खुशी
रबी फसलो की बोवाई से अब तक जमीनो पर आसमान की बूंदे नही गिरने के कारण जहां किसानो के चेहरे मुरझाएं देखे जा रहे थे, जिसके बाद १२ फरवरी रविवार से लगातार दो दिनो तक हुई बारिश के कारण जहां किसानो के चेहरे में खुशी देखी गई है। उपसंचालक कृषि एनडी गुप्ता ने बताया कि इस वर्षा से फसलो को कोई नुकसान नही है, बल्कि यह पानी फसल के लिए अमृत है। अगर ओले नही गिरे तो फसल अच्छी होगी। वहीं इस पानी गेहूं के लिए सबसे ज्यादा फायदे मंद बताया गया है।
जिले में 1.4 मिमी औसत वर्षा दर्ज
अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि जिले में 13 फरवरी को 1.4 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई। जहां वर्षा मापी केन्द्र अनूपपुर में 1.3 मिमी, कोतमा में 4.3 मिमी, जैतहरी में 2.2 मिमी, बिजुरी में 2 मिमी तथा बेनीबारी में 1.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई। वहीं पुष्पराजगढ़, अमरकंटक तथा वेंकटनगर में वर्षा निरंक रही। 1 जून 2017 से अब तक जिले में 866 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। जबकि एक जून 2016 से 13 फरवरी 2017 तक जिले में 977 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई थी।
52 जलाशय तथा 7 हजार कुंआ-तालाब की उपयोगिता नहीं
जिले में कुल सिंचित भूमि 30 हजार हेक्टेयर मानी गई है। जिसमें लगभग 1 लाख 10 हजार 811 किसान वर्ष 2010 के जनगणना के अनुसार माने जाते हैं। जिसमें खेतों तक सिंचाई के लिए जिलेभर में कुल ५२ जलाशय सहित   8-8  से अधिक कच्ची और पक्की तालाब व कुंए है। विभागीय आंकड़ों में अनूपपुर में नहर से 10410 हेक्टेयर, तालाब से 803 हेक्टेयर,कूप से 2543 हेक्टेयर  से 7 हजार हेक्टेयर, अन्य स्त्रोत से 9880 हेक्टेयर भूमि सिंचाई की जाती है। लेकिन वास्तविक में इनमें अधिकांश जलाशयों के पानी ही सूख चुके है। वहीं कुंए और तालाब का जलस्तर नीचे चला गया है। 
इनका कहना है
दो दिनो के पानी पर रबी फसलो में गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।
एनडी गुप्ता, उपसंचालक कृषि विभाग अनूपपुर
  

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