गौवंश में
वायरस जनित बीमारी 109 गाँव 1305 पशु चपेट
में विशेषज्ञ दल ने की जाँच
अनूपपुर। जिले में गौवंश पशुओं में नये वायरस जनित बीमारी की बढ़ती घटनाओं के
सम्बंध में विशेषज्ञ दल द्वारा संदर्भित ग्रामों में संक्रमित पशुओं का निरीक्षण
कर नमूने लिए गए। अज्ञात लम्पी स्किन डिसीज (विषाणु जनित) के लक्षणों के समान
प्रतीत होने की सूचना पर बीमारी की जांच हेतु संभागीय रोग अनुसंधान केन्द्र जबलपुर
(एलिसा) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सोलंकी के नेतृत्व में बीमार पशुओं के
जांच और नमूने लिए गए।
विशेषज्ञ दल
द्वारा विकासखण्ड जैतहरी के ग्राम पपरोड़ी, धनगवां,
कुकुरगोड़ा,
चोलना,
विकासखण्ड
अनूपपुर के ग्राम भालूमाडा, पसान तथा विकासखण्ड कोतमा के ग्राम
गोविंदा कॉलरी, जनपद पंचायत जैतहरी के ग्राम पटना कला,
पोड़ी,
विकासखण्ड
अनूपपुर के ग्राम दैखल, पयारी नं-1, मुड़धोवा
तथा विकासखण्ड कोतमा के ग्राम बरगवां, पिपरिया तथा
विकासखण्ड पुष्पराजगढ़ के ग्राम कोहका (बेलडोंगरी) में गोवंशज पशुओं का रक्त सीरम,
रक्तपट्टिका,
नोजलस्वाब,
नायडूल्स
के स्लाईड्स आदि नमूने एकत्र किए गए।
डॉ सोलंकी ने
बताया कि यह एक नई बीमारी है जिसके लक्षण विगत वर्ष इन्हीं माहों में उड़ीसा
प्रदेश में देखी गई थी। जिसकी पहचान लम्पी स्किन डिसीज (विषाणु जनित) वायरल के नाम
पर हुई थी जो कि एक प्रकार का विषाणुजनित वायरस से फैलती है। यह वायरस कैप्री
पोक्स परिवार का होता है। डॉ सोलंकी ने उक्त बीमारी के बचाव हेतु सलाह दी है कि
बीमार पशु को चरने न जाने दें एवं स्थानीय चिकित्सकों से लक्षण के आधार पर
एंटीबायोटिक, एन्टीहिस्टेमिनिक, एन्टीपायरेटिक
एवं मल्टीविटामिन की दवा दिलवाकर उपचार करवायें एवं फटे हुए नाडूल्स के घाव को एंटीसेप्टिक
कीम, स्प्रे से प्रतिदिन ड्रेसिंग करायें।
उप संचालक
पशु चिकित्सा ने बताया कि यह बीमारी विगत एक सप्ताह से जिले के गोवंशज में
परिलक्षित हुई है। जिले के विकासखण्ड जैतहरी के 58 गांव,
अनूपपुर
के 34 गाँव, कोतमा के 16 गांव
एवं पुष्पराजगढ़ के 01 गांव, जिले के कुल 109
गांवों
के 1305 पशुओं में यह संक्रमण अब तक चिह्नांकित किया जा चुका है जिसकी
संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। संक्रमित गोवंशज पशुओं के शरीर में छोटे-बड़े
नाड्यूल्स तथा शरीर के लिम्फ नोड्स में सूजन तथा अगले पैरों में सोल्डरज्वाइंट के
पास हार्डी पेनफुल स्वेलिंग (की दर्दयुक्त सूजन) के कारण लंगड़ाना तथा नाक से पीले
रंग का स्त्राव, शरीर का तापमान 104 से 105
डिग्री
सेल्सियस तथा कुछ प्रकरणो में शरीर के नाड्यूल्स पककर फूटने के कारण घाव का रूप ले
रहे हैं। हालांकि अब तक इस बीमारी के कारण पशुओं मृत्यु की घटना सामने नही आयी है।
पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों द्वारा विशेषज्ञ की सलाह अनुसार बीमार पशुओं का
उपचार किया जा रहा है। पशुपालकों से अपील की है कि पशुओं में ऐसे लक्षण आने पर
तुरंत पशु चिकित्सा विभाग, संजीवनी हेल्पलाइन 1962 में
सम्पर्क करें।
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