नोटबंदी से
ज्यादा 4 लाकडाउन ने किये हालात खराब, काम और पैसा नहीं घर की व्यवस्था
कैसे हो
अनूपपुर। घर की जरूरतें पैसो के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही है। इनमें
गली मोहल्लों में रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े काम धंधों जैसे प्रेस करने वाले,
हेयर
ड्रेसर, ठेला चालकों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। 8 नवम्बर 2016
को देश के प्रधानमंत्री द्वारा भारत के 500 और 1000 रूपए के नोटों में विमुद्रीकरण
के लिए की गई घोषणा में हालात खराब नही हुए जितना 24 मार्च को कोरोना संक्रमण से
बचाव में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा में उपजा संकट विकराल रूप धारण कर सकता है। धन के
साथ साथ कारोबार भी नहीं है। पिछले 21 दिनों से दुकानों पर ताला लटका
हुआ है।
जिला
मुख्यालय के रोज दुकान खोलकर बाल काटने का कार्य करने वाले रामलाल नापित ने बताया
कि लॉकडाउन में सबसे अधिक रोजमर्रा से जीवकोर्पाजन करने वाले लोग प्रभावित हुए
हैं। ग्राहकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घर में रखा धन भी साथ
छोड़ रहा है, यही हाल रहा तो परिवार को पालना कठिन होगा। लॉकडाउन में शासन
ने फल विक्रेताओं को थोड़ी राहत देते हुए गलियों व वार्डो में भ्रमण कर बेचने की
छूट दी है। अगर इसी तरह हमें भी ग्राहकों के घर जाने और हजामत बनाने की छूट मिले
तो कुछ आय की व्यवस्था बन सकती है। इसके लिए शासकीय निर्देशों के तहत साफ की सफाई,
औजारों
की सैनिटाइजिंग, चेहरे पर मास्क या गमछा का उपयोग किया जा सकता है। यथा सम्भव
हो तो एक-दूसरे ग्राहक की हजामत में धुले हुए कपड़े का उपयोग कर आगामी कार्य में
उसे भी कैमिकल्स से धुलाई कर दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। इससे ग्राहकों को
सुरक्षा के तहत उनकी जरूरतों को पूरा करने के साथ खुद के लिए आय के स्त्रोत बनाने
तथा सुविधाजनक परिवार के जीवकोर्पाजन में मदद मिलेगी।
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