100
इंफ्रारेड थर्मोमीटर की जरूरत, 5 से चला रहे काम थोड़ी चूक पड़ सकती है
भारी
अनूपपुर। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को नियंत्रण करने के लिए मंगलवार को
प्रधानमंत्री ने 3 मई तक लाकडाउन बढ़ाने के बाद प्रशासन और सर्तक हो गया है। दूसरी
ओर कोरोना संक्रमण के कारण मरीजों की सुरक्षा में अपनाए जाने वाले उपकरण स्वास्थ्य
अमले के पास इंफ्रारेड (नॉन कॉन्टेक्ट) थर्मामीटर ही नहीं है। पूर्व में कलेक्टर
ने 200 थर्मामीटर की मांग रखी थी, उपकरण की उपलब्धता कम होने पर 100 की
डिमांड भेजा, लेकिन इसमें भी पांच थर्मामीटर ही उपलब्ध हो सके हैं। 97
थर्मामीटर के एकाध दिनों में उपलब्धता होने की सम्भावना जताई गई है। जिला
चिकित्सालय सहित विकासखंड स्तर सीएचसी स्वास्थ्य केन्द्र मुख्यालय में 100
इंफ्रारेड थर्मामीटर की जगह मात्र 5 थर्मामीटर हैं। इनमें जिला चिकित्सालय में एक
तथा कोतमा, जैतहरी,पुष्पराजगढ़ एवं अनूपपुर विकासखंड
सीएचसी केन्द्र पर एक एक थर्मामीटर उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा जिले के लिए
110 किट ही उपलब्ध है।
कोरोना
संक्रमण की वास्तविक जानकारी के लिए जिला प्रशासन द्वारा 26 मार्च से जिलेभर में
574 ग्राम पंचायतों में ग्राम स्तर पर आशा, एनएमएम और
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेक्टर स्तर पर 33 दल को घर घर मरीजों की जांच पड़ताल
करने की ड्यूटी लगाई गई है। जिसमें 26 मार्च से आरम्भ हुए स्क्रीनिंग कार्य में 13
अप्रैल तक जिलेभर में 706899 नागरिकों की प्रारम्भिक जांच पड़ताल की
है। जिसमें 14957 बाहर से आए व्यक्तियों की संख्या, 83 विदेश
भ्रमण कर लौटे नागरिक, 11469 होम क्वारंटीन के लिए निर्देशित नागरिक,
सर्दी
से पीडि़त 3962 नागरिक, खांसी से 2788 पीडि़त नागरिक,बुखार
से 14210 प्रभावित नागरिक तथा सांस लेने की समस्या से 95 नागरिकों की सूची सामने आ
सकी है। इसमें अबतक स्वास्थ्य विभाग द्वारा 29 लोगों का सैम्पल जांच के लिए भेजा
गया, जो
निगेटिव आए हैं। लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह रही कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा
अबतक घर घर जाकर कराएग सर्वेक्षण में सारी रिपोर्ट बिना उपकरण जांच के कराए गए है।
इसमें स्वास्थ्य अमला टीमों द्वारा मौखिक रूप में घर के सदस्यों की जानकारी ली गई,
जिसमें
बाहर से आए लोग, बीमार, सर्दी, खांसी,
सांस
लेने की तकलीफ शामिल रही। किसी भी व्यक्ति या घर के सदस्यों जो सर्दी खांसी या
बुखार से भी प्रभावित रहें, उनकी इंफ्रारेड थर्मामीटर से रीडिंग
नहीं की।
अनूपपुर जिला
आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां आदिवासी परिवार जूड़ी-बूटियों पर अधिक विश्वास करते
हुए बीमारी के दौरान सेवन करते हैं। कोरोना संक्रमण के प्रभाव और उसके
दुष्परिणामों की थोड़ी भी गम्भीरता नहीं है। ऐसे हालात में स्वास्थ्य अमले द्वारा
एकमात्र बेहतर विकल्प थर्मामीटर से बुखार सहित किट की जांच के माध्यम से सम्भावित
मरीजों की जांच पड़ताल किया जाना उचित रहता। जिसमें संदेही नागरिकों के लिए
रजिस्टर में जांच लिखकर घेरा लगाते हुए बाद में सम्बंधित मरीज की जांच लैब द्वारा
कराया जाता। इसमें सर्दी, खांसी और बुखार के साथ सांस लेने में
प्रभावित मरीजों की वास्तविक जांच सामने आ पाता और एरिया से कोरोना जैसे आशंका
मिटती जाती। स्वास्थ्य अमला द्वारा किए जा रहे स्क्रीनिंग मामले में खुद स्वास्थ्य
अधिकारियों का मानना है कि कोरोना के लक्षणों और घर के सदस्यों द्वारा अमले को दी
जा रही जानकारी पर्याप्त नहीं है। इनमें अधिकांश परिवार जांच पड़ताल की झंझट से
जानकारी में झूठी जानकारी दर्ज करा देते हैं। यहां तक जिले की सीमा में बाहरी
लोगों के प्रवेश तथा उनके जांच पड़ताल में भी थर्माल स्क्रीनिंग की कमी के कारण
उनकी वास्तविक रोग लक्षण सामने नहीं दिख पाते। यहीं कारण है कि कोरोना से अबतक
अछूते रहे जिले में 29 सैम्पल जांच के लिए भेजे गए।
ऐसे बढ़ा
सैम्पल का आंकड़ा
19 दिनों में
घर घर जाकर किए गए सर्वे कार्य और बाहर से आए लोगों की जांच में अबतक 29
सैम्पल लिए गए हैं। जो निगेटिव हैं, यह राहत की बात है। लेकिन
दिनोंदिन बढ़ रहे सैम्पल के आंकड़े से संक्रमण के बढ़ते प्रकोप या अधिक जांच में
मरीजों की पहचान दोनों सामने आई। जानकारी के अनुसार 5 अप्रैल को जिले में 2 सैम्पल
लिए गए, 9 अप्रैल को 9 अन्य लोगों के सैम्पल जांच के लिए भेजे गए,
जबकि
10 अपै्रल को 20 लोगों का सैम्पल जांच के लिए भेजा गया, इस प्रकार
कुल 29 लोगों का सैम्पल भेजा गया और निगेटिव आए।
इस संबंध में
जिला चिकित्सालय के अधिक्षक डॉ.एससी राय ने बताया कि शासन से लगभग 100 से अधिक
इंफ्रारेड थर्मामीटर की मांग की गई थी। लेकिन अनुपलब्धता के कारण वर्तमान में
मात्र 5 हैं। 17 अप्रैल तक हमे और उपलब्ध हो जाएंगे।
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