नहीं बजी सकी शहनाई
अनूपपुर। इतिहास में पहली बार हिन्दू वर्ष के वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष
में आने वाली अक्षय तृतीया पर रविवार को जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में की
कन्याओं ने सोशल डिस्टेंसिंग मे गुड्डा-गुडियों को ब्याह झमा-झमा बारिश के बीच देर
रात तक चला रचाकर कर विवाह की रीति-रिवाज
से परचित हुई। लॉकडाउन की वजह से कहीं भी शहनाई नहीं बजी। गौरतलब है अक्षय तृतीया
को आखातीज भी कहते हैं। अक्षय तृतीया के दिन सम्पन्न की गई साधनाएं व दान अक्षय
रहकर शीघ्र फलदायी होते हैं। ऐसा मानना है कि इस दिन जिसका भी परिणय संस्कार होता
है और उसका सौभाग्य अखंड रहता है। बताया गया है कि अक्षय तृतीया से शुरू होने वाला
शादी का सीजन भगवान के देवशयन जाने पर थमेगा, लेकिन इस बार
कोरोना संक्रमण की वजह से शादी का सीजन पहले ही से थमा हुआ है।
मंडप सजाकर
किया खुशी का इजहार
कोरोना
संक्रमण के खौफ के बावजूद अक्षय तृतीया के दिन बच्चों में काफी उत्साह रहा।
अधिकांश घरों में बच्चों द्वारा आंगन में मंडप सजाए गए और अपनी खेल सामग्रियों का
बेहतर उपयोग कर अपनी खुशियों का इजहार किया। गौरतलब है कि अक्षय तृतीया के दिन
किसी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहुर्त की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि
इस दिन मुहुर्त की चारों दिशाएं खुली रहती है।
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