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रविवार, 19 अप्रैल 2020

कोरोना की लड़ाई में लॉकडाउन के पालन और प्रशासन की सतर्कता से बचाई लोगों की जान

फाईल फोटो 
सावधानी नहीं बरती होती तो प्रभावितों की श्रेणी में जिला होता शामिल
अनूपपुरकोरोना संक्रमण सकंट में पूरी दुनिया अपनी लापरवाहियों के कारण गभ्भीर समस्या से जूझ रही है। इसका मुख्य उदाहरण इटली, स्पेन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र हैं। लेकिन भारत ने इस संक्रमण से बचने अपने संसाधनों के आधार पर पूरी तरह घोंघे की भांति समय से कवच में बंद कर लिया। जिसका असर यह रहा कि यहां संक्रमण का प्रभाव कम रहा। मप्र के 27 जिले इसकी चपेट में है।
 अनूपपुर जिला कोरोना संक्रमण से आज भी अछूता है। यहां लगभग 8 लाख की आबादी में अबतक एक भी व्यक्ति संक्रमित होने की खबर नहीं है। हालात सामान्य हैं वजह जिला प्रशासन ने जबलपुर में पाए गए संक्रमण मामले पर गम्भीरता दिखाते हुए जिले की सीमाओं को तत्काल सील कर जिले में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। यह घोषणा शहडोल सम्भाग में पहल करवाने वाला अनूपपुर जिला पहला जिला था, प्रधानमंत्री की जनता कफ्र्यू की समाप्ति के साथ जिले में लॉकडाउन जैसी व्यवस्था बन गई। प्रशासन ने संक्रमण की सम्भावनाओं की तलाश में घर-घर स्क्रीनिंग जांच आरम्भ करवा दिया। यहां तक सोशल डिस्टेसिंग के पालन करवाने बाजारों का स्थान बदल दिया गया। जब यहां भी पालन में लापरवाही सामने आई तो पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के साथ घर-घर पहुंच सेवा की शुरूआत कर लोगों को घर के अंदर धकेल दिया। वहीं सड़कों पर पुलिस की गश्त ने लोगों को घर के अंदर रहने विवश कर दिया। इसके अलावा बीच-बीच में लॉकडाउन के बावजूद 24 घंटे का कफ्र्यू लगाते हुए लोगों के सम्पर्क को तोड़ दिया। जिले चारो विकासखंड कोतमा,अनूपपुर,जैतहरी और पुष्पराजगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों को बाहर से आने वाले व्यक्तियों पर नजर रखने तथा उसकी जांच परीक्षण के सख्त निर्देश दिए। परिणाम यह रहा कि अबतक कोरोना संक्रमण से यह जिला अछूता है।

कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने बताया कि अगर वे इस प्रकार की व्यवस्था नहीं बनाते तो चिकित्सीय संसाधानों के आधार पर यहा कोरोना संक्रमण मरीजों की तादाद अधिक बन सकती थी। इंदौर, भोपाल, जबलपुर के अलावा सीमावर्ती राज्य छग सहित अन्य राज्यो से आने वाले मजदूरों, विद्यार्थियों के सम्पर्क में यह जिला कोरोना संक्रमण जिले के रूप में सामने आ सकता था। हालांकि इसके लिए चुनौतियां भी बनी। तीन घंटे की खरीदारी छूट में सोशल डिस्टेंसिंग पालन कराना, लोगो को घरों के अंदर रखने, दिन-रात पुलिस गश्त लगाकर अपील कराना, दुष्परिणामों व सावधानियों की जानकारी देना, घर-घर स्वास्थ्य अमले को भेजकर स्क्रीनिंग कराना, बाहर से आए लोगों की सूचना एकत्रित कराना और जांच के लिए भेजना, विकासखंड स्तर पर मेडिकल टीम बनाना और स्थानीय स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर भी बनाना, गरीबों व जरूरतमंदों के बीच भोजन पहुंचाना, बाहर फंसे लोगों को भी सुरक्षित लाना और स्वास्थ्य परीक्षण कराना, आवश्यक बस्तुओं को घर-घर पहुंचाने की व्यवस्था बनाना, दूर-दराज ग्रामीण इलाकों में जरूरतमंदों की जानकारी लेना, राशन का उठाव की व्यवस्था बनाना सहित अन्य जरूरी कदम थे जो किसी भी प्रकार से सोशल डिस्टेसिंग को नुकसान नहीं पहुंचाए और संक्रमण से मुकाबला करने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया गया। अगर इनपर रोक नहीं लगाया जाता तो भविष्य में यहां कितने कोरोना संक्रमण के मरीज मिलते और कितनों की जान जा सकती थी यह कहना मुश्किल है। कलेक्टर ने इंदौर मामले को सामने लाते हुए बताया कि यहां लोगों ने प्रशासन के आदेशों की अनदेखी की,विरोध किया। जिसका नुकसान आज शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे ही शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन जैसे देशों ने लापरवाही बरती और उसका खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है।

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