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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

मालिक ने कहा जाओ,पुरानी साईकिल ले निकल पड़े घर,जमा पूंजी खत्म

रास्ते में जो मिला खा लिया नही पानी पीकर आगे बढ़े , पैरों में पड़े छाले
अनूपपुर। देश में कोरोना संक्रमण के आहट के बाद इसकी चैन तोडऩे के लिए केंद्र सरकार ने लगातार दो चरणो में देशभर में लाकडाउन कर इसके प्रभाव को कम करने का प्रयास का प्रयास जारी है। लाकडाउन के कारण अन्य प्रदेशो में काम करने वालो के साथ जो अन्य कारणो से गये लोग वही के रह गये। प्रदेश सरकार ने बाहर पढऩे वाले बच्चो को उनके घरो तक पहुंचाया, इसके बाद बाहर फंसे मजदूरो को लाने की घोषणा की बावजूद इसके लगातार मजदूर अन्य प्रदेशो से पलायन कर अपने घरो की ओर पैदल रेल पटरियो के सहारे तो कुछ अपने दो पहिया वाहनो सहित साईकिल से सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा कर अपने गांव जा रहे है। 
मंगलवार को लॉकडाउन से परेशान 7 युवकों की टोली छत्तीसगढ़ के रायपुर से साइकिल से अनूपपुर होकर अपने गांव लौट रहे युवको ने बताया कि रायपु में फैक्ट्री में काम कर रहे थे घर पहुंचने के लिए जमा पूंजी रखी थी लेकिन लॉकडाउन में आधे से ज्यादा भोजन में खत्म हो गई। जिस पर घर जाने का मन बनाया। पैदल जाना मुश्किल था, इसलिए साइकिल खरीदकर घर की ओर निकल पड़े। इसमें उप्र.,सीधी,सिंगरौली,सतना एवं रीवा के युवक रहे।
युवाओं ने बताया कि सभी किराये के मकान में रहते थे लॉकडाउन में फैक्ट्री में काम बंद हो गया, उस दिन से मालिक ने कुछ दिन इन्हें राशन दिया फिर जाने को कह दिया। घर पहुंचाने के लिए जो रुपए जोड़कर रखे थे, उसमें से ज्यादा तो खर्च हो गए। फिर अपने गांव जाने की सोची 150 किमी पैदल सफर तय करने के बाद जब पैरों में छाले पड़ गए तो जमा पूंजी से बिलासपुर में पुरानी सायकल खरीदीकर फिर घर के लिए निकल पड़े।

सीधी,सिंगरौली जा रहेक बब्बू और मिथलेश ने बताया रास्ते भर नजर आए दिहाड़ी मजदूर, पैदल सैकड़ों किमी का सफर रहे है जिनके पास कोई व्यावस्था नही होने पर जहां कोई भोजन दिया खा लिया नही पानी पीकर थोड़ा आराम कर आगे बढ़ जाते है। 280 किलोमीटर से आ रहे हमे पेंड्रा के पास समाजसेवियों ने भोजन करवाया और अब अनूपपूर के चचाई में भोजन मिला। मजदूरो के अन्य प्रदेशो से हो रहे पलायन से साफ है कि प्रदेश सरकारो के दावे झूठे साबित हो रहे है। एसे में कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ पाना सभ्भव दिखाई नही दे रहा। प्रशासन से बेहतर गांव और शहर के वह लोग है, जो तपती धूप में पैदल चल रहे मजदूरों को भोजन-पानी पहुंचा उपलब्ध करा रहे है।

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