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मंगलवार, 14 जनवरी 2020

कलेक्टर ने चहेते को बनाया जिला शिक्षाधिकारी, वित्त का प्रभार अपर कलेक्टर को

सहायक आयुक्त कार्यालय में तालाबंदी के बाद जिला शिक्षा कार्यालय में
अनूपपुर। कलेक्टर ने 13 जनवरी को अपने आदेश से जिला शिक्षा अधिकारी का वित्तिया प्रभार अपर कलेक्टर बी.डी.सिंह एवं प्रशासनिक प्राचार्य दयाशंकर राव को कार्यभार दिया है। कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर द्वारा दिया गया यह पहला मौका नही जब कलेक्टर और विभाग की कृपा डी.एस.राव पर बरसी है,वरिष्ठता की सूची में दर्जनों अन्य प्राचार्य भले ही कतार में खड़े हो, लेकिन शार्टकट के रास्ते से लक्ष्य तक पहुंचने का हुनर रखने वाले राव इससे पहले भी जिला शिक्षा केन्द्र के मुखिया (डीपीसी) के पद पर रह चुके है,यही नही इसी शार्टकट के रास्ते से राव ने बीते माहों में सहायक आयुक्त के पद को भी नवाजा था, राव के सहायक आयुक्त रहने के दौरान ही जिले में कलेक्टर ने प्रदेश का पहला प्रयोग करते हुए करीब 5 करोड़ रूपए छात्रों को मुफ्त कोचिंग देने के लिए बनाई गई योजना को लागू किया था।
डीएम के विशेषाधिकार
अनूपपुर जिले के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब कलेक्टर ने अपने अधिकारो का उपयोग खुल कर किया हो, कहने को तो उन्होने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और आदिवासी जिले के ग्रामीण अंचलों से होनहार छात्रों को निखारने के लिए यह पूरा कार्य किया, लेकिन कलेक्टर पर मनमर्जी करने के आरोप लगते रहे है, यह अलग बात है कि अपने सर्विस रिकार्ड के फिक्र के कारण जिला शिक्षा केन्द्र, आदिवासी विकास विभाग और जिला शिक्षा कार्यालय में पदस्थ वरिष्ठ प्राचार्य खुलकर कभी भी सामने नही आये, लेकिन जिस तरह 18 अक्टूबर 2019 को कलेक्टर ने चार प्राचार्यो को शिक्षा विभाग से आदिवासी विकास विभाग का प्रभार सौंपा और उसके बाद खफा प्राचार्यो ने संभागायुक्त से इस मामले में स्थगन लिया, लेकिन अक्टूबर से जनवरी आते-आते उन्हे इस हिमाकत के कारण निलंबन की मार तक झेलनी पड़ी,भले ही कागजों में आरोप जो भी लगाये गये हो, लेकिन वर्तमान में कोचिंग के फेर में जिले में जो चल रहा है वह वर्तमान से पहले शायद ही कभी चला हो।
तो क्या कोचिंग के फेर में नपे ओंकार
शिक्षा विभाग में बीते सत्र तक सब कुछ शांत चल रहा था, जिला शिक्षा केन्द्र सहित सहायक आयुक्त कार्यालय एवं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सभी अपने कार्यो में लगे हुए थे, लेकिन कोचिंग की व्यवस्था वाले प्रयोग के नतीजे से भविष्य में जो आये, लेकिन यह माना जा रहा है कि इसी फेर में ओंकार सिंह धुर्वे को मॉडल अनूपपुर से खांडा एवं मुलायम सिंह परिवहार को खांडा से मॉडल अनूपपुर और पी.के.लारिया को अनूपपुर कन्या से मेडिय़ारास व दिव्या श्रीवास्तव को मेडियारास से कन्या अनूपपुर भेजा गया था। 18 अक्टूबर को जारी आदेश के बाद धुर्वे ने संभागायुक्त का दरवाजा खटखटाया और कलेक्टर के आदेेश के ठीक एक माह बाद 18 नवंबर को कमिश्नर आर.बी.प्रजापति ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालक से लिखित सुझाव लेने के बाद मूलत: शिक्षा विभाग के कर्मचारी रहे धुर्वे का आदिवासी विकास में किया गया स्थानांतरण रद्द कर दिया गया। कमिश्नर के इस आदेश पर लोक शिक्षण विभाग की आयुक्त जयश्री कियावत ने भी मुहर लगाते हुए 21 नवंबर को खांडा में किया गया स्थानांतरण निरस्त कर दिया, तभी से कलेक्टर और प्राचार्य के बीच शीत युद्व शिक्षा विभाग के गलियारो में नजर आने लगा।
कलेक्टर का नोटिस, कमिश्नर की राहत
शिक्षा विभाग में वापस आने और मॉडल विद्यालय का प्रभार लेने के बाद छिड़ा शीत युद्व शांत नही हुआ, ऐसा माना जा रहा है कि इसी फेर में ही 17 दिसंबर को कलेक्टर कार्यालय द्वारा पुन: मॉडल विद्यालय के प्राचार्य ओंकार सिंह धुर्वे को लेशन प्लान, समय सारणी, बोर्ड परीक्षा की परिणाम सुधारना तथा संचालित नि:शुल्क कोचिंग में योगदान न देने के कारण नोटिस दिया गया, इस बार भी धर्वु ने कलेक्टर के पत्र और आरोपो को चुनौति दी और संभागायुक्त की शरण ली। पूरे मामले को संज्ञान में लेने के बाद 10 जनवरी को संभागायुक्त ने कलेक्टर द्वारा जारी कारण बताओं सूचना पत्र को बिना किसी दण्ड़ व कार्यवाही के समाप्त करने के आदेश दिये।
इधर राहत, उधर निलंबन

शिक्षा के जीर्णोद्वार के नतीजे चाहे जो आये, लेकिन इस फेर में कलेक्टर ने विभाग में पदस्थ प्राचार्यो के बीच दो फाड अवश्य कर दिये। एक तरफ डीएस राव जैसे प्राचार्य है, जिन पर कलेक्टर की कृपा इस तरह बरसी की कभी डीपीसी रहे राव सहायक आयुक्त और अब जिला शिक्षाधिकारी के पद को सुशोभित कर रहे है वही ओंकार सिंह धुर्वे जैसे भी प्राचार्य है जिनके ऊपर मनमानी के आरोपों के बाद संभागायुक्त ने प्राप्त जवाबो को संतोषप्रद बताते हुए कार्यवाही बिना किसी दण्ड के समाप्त कर राहत दे दी, वहीं जब यह आरोप लोक शिक्षण कार्यालय भोपाल पहुंचे तो आयुक्त ने धुर्वे पर निलंबन की गाज गिरा दी।

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