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शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

अमरकंटक नर्मदा जंयती पर विषेश :-

 शिव के कंठ से निकला एक बूंद पसीना अमरकंटक में गिरा,कहलाई शिव पुत्री नर्मदा 
गंगा में नहाने नर्मदा को देखने मात्र से होता है पुण्य लाभ 
अनूपपुर। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में 'अमरकंटक हिन्दुओं की पावन और पवित्रस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहां से उद्गमित हुई नर्मदा,सोन और जोहिला नदी भारतीय सभ्यता और परम्पराओं की जीवनदायिनी नदी भी मानी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य से सटे विंध्य और सतपुड़ा की पहाडिय़ों के मिलन स्थल तथा मैकाल पहाडिय़ों में स्थित समुद्रतल से १०६५ मीटर उंचाई पर बसा अमरकंटक अपनी प्राकृतिक विहंगमता के साथ खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाडिय़ों और शांत वातावरण से परिपूर्ण है। इनमें धुनी पानी, दूधधारा, सोनमुड़ा, माई की बगिया, कपिलधारा, कबीर चबूतरा, सर्वोदय जैन मंदिर, श्रीयंत्र मंदिर, सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थल है। अनेक परंपराओं और किवदंतियों को आत्मसात किए अमरकंटक के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी नदी रूप में यहीं से बहती है। नर्मदा पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन में निकले विष को शिव ने ग्रहण किया तो कंठ में अटके विष के असर की व्याकुलता में ब्रह्मांड का चक्कर काट रहे भगवान शिव इस मैकल सतपुड़ा की पहाडिय़ों पर ठहरे, जहां कंठ के पास से पसीने के रूप में निकला एक बूंद पसीना अमरकंटक में गिरा और इसी शिव के पसीने की बूंद से माता नर्मदा कन्या रूप में उत्पत्ति हुई। माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं, जिन्हें दुर्गा की प्रतिमूर्ति माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार जहां गंगा में नहाने से नर्मदा को देखने मात्र से पुण्य लाभ मिलता है।
नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उदगम स्थल है। इसके चारों ओर अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू गोरखनाथ मंदिर,श्री सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार  सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराधा कृष्ण मंदिर, घंटेश्वर महादेव मंदिर, छंदेश्वर महादेव मंदिर और ग्यारह रूद्र मंदिर आदि प्रमुख हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे। अमरकंटक में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा सावनी मेले सहित विशेष पर्वो में भी हिन्दु धर्मावलम्बिओं द्वारा स्नान और पूजन अर्चन किया जाता है।  
नर्मदाकुंड के दक्षिण में कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर भी बने हुए हैं। इन मंदिरों को कलचुरी महाराजा कर्णदेव ने 1041-1073 ई. के दौरान बनवाया था। मछेन्द्रथान और पातालेश्वर मंदिर इस काल के मंदिर निर्माण कला के बेहतरीन उदाहरण हैं। इसके अलावा धुनी पानी अमरकंटक का गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है कि यह झरना औषधीय गुणों से संपन्न है और इसमें स्नान करने से शरीर के असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। मंदिर से १ किलोमीटर की दूरी पर दूधधारा नाम का झरना ऊंचाई से गिरते समय दूध के समान प्रतीत होता है। इसीलिए इसे दूधधारा के नाम से जाना जाता है। जबकि सोनमुदा सोन नदी का उदगम स्थल है। सोनमुड़ा नर्मदाकुंड से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर मैकाल पहाडिय़ों के किनारे पर है। सोन नदी 100 फीट ऊंची पहाड़ी से एक झरने के रूप में यहां से गिरती है। सोन नदी की सुनहरी रेत के कारण ही इस नदी को सोन कहा जाता है।
वहीं अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक जड़ी-बटी पौधो के लिए भी प्रसिद्ध है। जिसमें गुलबकावली, ब्राह्मनी, जटाशंकरी,सफेद मूसली,काली मूसली, जटामानसी, भालूकंद,अमलताश, सर्पगंधा, भोगराज, जंगली हल्दी, श्याम हल्दी सहित हर्रा,बहेरा और आवंला भरपूर संख्या में उपलब्ध है। 

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