रसोईया नीति बना अधिनियम के तहत 10 हजार मानदेय की रखी मांग
अनूपपुर। आंगनबाड़ी केन्द्र, प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में
संचालित माध्याह्न भोजन में कार्य करने वाली महिला रसोईयों के हितों के संरक्षण के
लिए रेसाईया नीति और अधिनियम बनाकर 10 हजार रूपए मासिक भुगतान किए
जाने की मांग लिए गोंगपा ने 22 जनवरी को आम सभा का आयोजन किया। जहां
सभा उपरांत गोंगपा के बैनर तले हजारों की तादाद में महिला रसोईयों ने कलेक्ट्रेट
कार्यालय तक रैली निकाल अपर कलेक्टर बीडी सिंह को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापनकर्ताओं का कहना था कि प्रदेश के साथ साथ पूरे देश में राज्य तथा केन्द्र
सरकार के समन्वयक देश में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों, प्राथमिक व
माध्यमिक स्कूलों में दोपहर का भोजन बनाने में लाखों महिलाएं रसोईयों के रूप में
कार्यरत है। इनके हितों के सरंक्षण के लिए अबतक कोई ठोस नीति अथवा अधिनियम नहीं
है। जिसके कारण मनमर्जी तरीके से ऐसे रसोईयों को कभी भी कार्य मुक्त कर दिया जाता
है। जबकि ये महिलाएं कार्यस्थल पर मौजूद अन्य स्कूली कर्मचारियों के बराबर सुबह 10 बजे
से दोपहर 3 बजे तक अपना श्रम देती हैं। इसके अलावा ये अलग से कोई रोजगार
नहीं कर पाती। मप्र में इनकी मासिक मानदेय 2 हजार रूपए
जो बहुत कम है। यह श्रम के प्रति न्यायोचित प्रतिदान नहीं है। वहीं गोंगपा ने 7 सूत्री
मांगों में रसोईयों के हितों के सरंक्षण के लिए अधिनियम बनाए जाने, मप्र
श्रमायुक्त द्वारा बनाई गई अनुसूचीमें उल्लेखित वेतन की दरों से भुगतान, बीमा
लाभ दिए जाने, स्थायीकरण करते हुए कर्मचारी का दर्जा दिए जाने, पीपीएफ
की व्यवस्था की जाए, लगातार कार्य कर रही रसोईयों को कार्यमुक्त नहीं किया जाए,
विधानसभा
में इन मुद्दों को रखने की मांग रखी।
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