अनूपपुर। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते
हुए कहा गया है 'प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि,
प्रज्ञा
तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती
सरस्वती ही हैं। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा,
वीणावादनी
और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं।
संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को
इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। वसंत पंचमी या श्रीपंचमी को विद्या की
देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के
पांचवे दिन भगवान विष्णु और कामदेव की भी पूजा होती, जिसे वसंत
पंचमी का त्यौहार कहा जाता है। माना जाता कि ऋतुओं में बंसत राजा है, जिसके
आगमन से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव के साथ साथ पशु-पक्षी तक उल्लास से भर
जाते हैं। गुरूवार को बंसत पंचमी के उपलक्ष्य में विद्या की देवी मां सरस्वती की
जिलेभर में विशेष पूजा अर्चना के साथ आराधना की गई। अनूपपुर मुख्यालय अंतर्गत
शासकीय व निजी संस्थानों में माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चन कर विद्या की
देवी मां सरस्वती से ज्ञान का वरदान मांगा। इस मौके पर अनेक स्कूलों में
छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इस मौके पर जिले के
अनेक स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया गया। जबकि भालूमाड़ा में भी बसंत पंचमी के
अवसर पर शासकीय व निजी विद्यालयों में मां सरस्वती का पूजन विधि विधान से किया
गया। नगर के बाल शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आदर्श गीता
हाई स्कूल सहित शासकीय हाई स्कूल में भी पूजन किया गया, जहां स्कूल
के बच्चे सुबह से ही रंग बिरंगे पेशाकों में सज-धज कर पूजन सामग्री लेकर अपने अपने
स्कूल पहुंचे। अनेक स्कूलों में पूजन बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन कीर्तन का
आयोजन हुआ। वहीं बसंत पंचमी के मौके पर
ग्राम केरहाधाम में मेले का आयोजन किया गया। मान्यता है कि यहां पर पत्थरों
के बीच स्वत: जलधारा प्रवाहित होती रहती है जो नदी के रूप में नजर आती है। यहां
गांव व आसपास के बड़ी संख्या में लोग पूजा अर्चना करते हैं। बसंत पंचमी के दिन
यहां पर काफी लोगों की भीड़ जुटती है और मेले का आयोजन होता है। वहीं जैतहरी में
बसन्त पंचमी के पावन पर्व पर नगर सहित आसपास ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में
विद्यादायिनी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।
नगर के शासकीय कन्या उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय, सरस्वती
उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय, लिटिल फ्लॉवर इंग्लिश मीडियम कान्वेंट स्कूल,
गायत्री
शिशु मंदिर पुरानी बस्ती, पैरामाउंट अकादमी इंग्लिश मीडियम स्कूल
सहित अन्य में पूजा अर्चना कर शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की
कामना करते हुए बसंत पंचमी का पर्व मनाया।
वही नगर के पूर्व दक्षिण दिशा में ग्राम सिवनी के समीप तिपान नदी के तट के गाजर
घाट में बीते 40 वर्षो से बसंत पंचमी
पर भव्य मेला आयोजित किया जा है, जहां
नगर सहित आसपास ग्रामीण अंचल के लोग मेले का आनंद लेने पहुंच रहे हैं।
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