अनूपपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनूपपुर द्वारा मंगलवार को
अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर जिला न्यायालय परिसर अनूपपुर में विधिक जागरूकता
कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जिला न्यायाधीश डॉ. सुभाष कुमार जैन कहा कि
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दिसम्बर मानव अधिकार किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी,
बराबरी
और सम्मान का अधिकार है,भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ
गारंटी देता है, बल्कि इसे तोडऩे वाले को अदालत सजा देती है। मानवाधिकार से
मतलब समानता, स्वतंत्रता, और शिक्षा जैसे उन मौलिक अधिकारों से है,
जिनके
हकदार दुनिया के सभी लोग है। मानव अधिकार आयोग यह एक ऐसी संस्था है, जो
मानव के हित में किए जा रहे अधिकारों की रक्षा करती है। भारत में 28 सितम्बर
1993
से मानव अधिकार कानून अमल में आया, 12 अक्टूबर 1993 में
सरकार ने मानव अधिकार आयोग का गठन किया।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भू-भास्कर यादव ने कहा कि
मानव अधिकार मनुष्य के मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार है, जिनमें मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग
आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इस दिवस पर हमें प्रत्येक वर्ष कुछ ऐसा करना
चाहिए जो हमारे समाज और राष्ट्र को गौरवान्वित करें। इस अवसर पर न्यायाधीशों एवं
अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व मानवाधिकर घोषणा पत्र
में मानव अधिकारों के लिए जिन बातों का मुख्य रूप से जिक्र किया गया है। उनमें
शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, रोजगार, भोजन
और मनोरंजन से संबंधित इंसान की बुनियादी जरूरते हैं। अगर कोई इंसान इन चीजों से
वंचित है, तो यह
माना जाता है कि कही न कही उसके मानव होने के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। कार्यक्रम
में प्रथम अपर जिला न्यायाधीश राजेश कुमार अग्रवाल,मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्योति राजपूत, व्यवहार
न्यायाधीष राकेश सनोडि़या, व्यवहार
न्यायाधीश आरती रतौनिया, प्रशिक्षु
न्यायाधीश शिखा लोकेश दुबे,निधि
चिटकारा, रवि
कुमार साहू, सिंह
एवं जिला विधिक सहायता अधिकारी जीतेन्द्र मोहन धुर्वे, अधिवक्ता
संघ के अध्यक्ष दुर्गेश पाण्डेय, अधिवक्ता अनिल तिवारी, चन्द्रकांत पटेल, संतोष
सिंह परिहार, साबिर
अली सहित अधिवक्तागण, कर्मचारीगण
तथा पक्षकारगण उपस्थित रहे।
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