वाहन मालिक की निविदा शर्तो को
खुली चुनौती
अनूपपुर। चहेतो को बचाने या उपकृत करने के
लिए नियम कायदे को किस प्रकार तोड़ा मरोड़ा जा सकता हैं। अमरकंटक ताप विद्युत गृह
चचाई के अधिकारियो को अच्छा तरह आता है। विभिन्न विभागो के लिए आमंत्रित की जाने
वाली निविदा के मामले मे यह स्पष्ट हैं। साल २०१८-१९ में ताप विद्युत गृह व
चिकित्सालय में एमरजेंसी सेवा वाहन (एम्बूलेंस) लगाने के लिए जारी की गई निविदा को
कई बार संशोधित कर चहेते को उपकृत करने के लिए अधिकारियो ने भले ही कायदे कानूनो
की परवाह नही की लेकिन ताप विद्युत गृह मे लगाये गये एमरजेंसी सेवा वाहन (एम्बूलेंस)
को वाहन मालिक ने समय से पूर्व निकालते हुये समझौते को तो ठेंगा दिखाया ही
अधिकारियों को भी अपनी नियत बता दी फिर भी अधिकारी है कि कार्यवाही करने के वजाय
उसे सुरक्षित रखने के लिये नित नई चाल चल रहे है।
पीएनडब्ल्यू विभाग द्वारा ताप
विद्युत गृह व चिकित्सालय में एमरजेंसी सेवा वाहन की आमंत्रित की जाने वाली निविदा
के साथ शर्तो का उल्लेख किया गया। जिसमे वाहन लगाने वाले मालिक के द्वारा ईको
एम्बूलेंस की मांग पर ईको वाहन लगाते हुये पहले शर्तो का उल्लंघन किया गया उसके
बाद वाहन को एम्बूलेंस सेवा मे रजिस्ट्रेशन फिटनेश न होने के बाद भी अधिकारियो न
बिल को पास कर दिया। अधिकारियो की यह लापरवाही पर मुख्य अभियंता की मौन स्वीकृत
समझ के परे है।
वाहन मालिक द्वारा हटा लेने के
बाद अधिकारी अब कागजों में पैतरेबाजी चल रहे है। वाहन मरम्मत के लिए हटा लिया गया
है, वह
शायद यह भूल गये कि निविदा शर्तो मे ही उल्लेख रहता है, कि यदि वाहन
रख रखाव हेतू मालिक द्वारा ले जाया जायेगा तो उसके स्थान पर उसी तरह का दूसरा वाहन
उपलब्ध कराया जायेगा ताकि किसी भी प्रकार से सेवा बाधित न हो। अधिकारी उसे क्यो
बचा रहे है। सेवा बाधित होने से हमेशा खतरे की आशंका मे कर्मचारी यहां कार्य करने
को विवश है। एमरजेंसी सेवा वाहन (एम्बूलेंस) के मामले मे अधिकारियो की यह लापरवाही
पहले तो उन्हे गैरजिम्मेदाराना साबित करती है। वाहन मालिक के विरूद्घ ब्लैक
लिस्टेड करने की कार्यवाही न समझ से परे है।
ताप विद्युत गृह के विभिन्न
विभागो मे लगभग 400 से ज्यादा अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत है। जो तीन सिफ्टो मे
कार्य करते है कई ऐसे विभाग है जिनमे हमेशा जोखिम भरा कार्य रहता है। ऐसे मे असमय
किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार हो जाता हैं, तो उसे
तत्काल चिकित्सालय पहुंचाने मे प्रबंधन को एमरजेंसी सेवा वाहन (एम्बूलेंस) उपलब्ध
न होने के कारण जद्दोजहद उठानी पड़ेगी। यदि कोई गंभीर हादसा इस बीच हो गया तो इसका
जिम्मेदार कौन होगा।
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