भाजपा कार्यालय में सांसद ने
किया पत्रकार वार्ता
अनूपपुर। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अंदर कुछ दलों ने जानबूझकर
एक विशेष समुदाय को गुमराह करने का जो कृत्य किया है वह समाज के हित में नहीं हैं,
जबकि
इस कानून से किसी भी समुदाय को कोई भी नुकसान होने वाला नहीं है प्रधानमंत्री और
गृहमंत्री स्पष्ट रूप से बार-बार इस बात को बता रहे हैं कि यह कानून किसी की
नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि देने का है लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले कुछ
दलों ने समाज के अंदर इस कानून की आड़ में जहर घोलने का जो काम कर रहे हैं उससे
सभी को अवगत कराना हम सभी की जिम्मेदारी है शुक्रवार को सांसद हिमाद्री सिंह ने
भारत सरकार का पक्ष रखते हुए कही। उन्होने कहा १२ दिसम्बर २०१९ को विधेयक
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बना अफगानिस्तान, बांग्लादेश
और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताडऩा के कारण आए लोग भारत के नागरिक बन सकेंगे।
31 दिसम्बर 2014 से
पूर्व भारत में प्रवेश कर चुके हैं। पहले यह प्रावधान 11 वर्षों का
था और अब 5 वर्षों की निवास अवधि प्रमाणित करनी होगी। मोदी सरकार ने केवल
वही काम किया है, जिसका आदेश महात्मा गांधी ने 26 सितम्बर 1947 को
दिया था। गांधी जी की इच्छा को कानूनी जामा पहनाने का काम भाजपा ने किया है। गांधी
ने कहा था-पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, यदि
वह वहां निवास नहीं करना चाहते। उन्हें नौकरी देना, उनके जीवन को
सामान्य बनाना,भारत सरकार का कत्र्तव्य है।
सांसद ने कहा कि कांग्रेस सहित
वे सभी दल जो नागरिकता संशोधन के नाम पर देश में आग लगाना चाहते हैं। वे गांधीजी
का भी अपमान कर रहे हैं। विरोधी जवाब दे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत
थी जो आज 3.7 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में 22 प्रतिशत थी
जो आज 7.8 प्रतिशत हो गई है। ठीक इसी के उलट भारत में मुस्लिमों की
संख्या 9.8 प्रतिशत थी, जो आज 14 प्रतिशत के
ऊपर हो गई है। नये कानून का विरोधी बताये कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में
अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, इसाई, जैन, बौद्घ,
पारसी
आदि को आसमान निगल गया या वे जमीन में समां गए। आज नागरिकता संशोधन के नाम पर जो
लोग बवाल कर रहे हैं,मुसलमानों के खिलाफ
नहीं है।
सांसद ने बताया कुछ लोग कह रहे हैं
कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ हैं। हम ऐसे लोगों को चुनौती देते हैं कि वे पूरे
कानून में एक लाइन मुसलमानों के खिलाफ ढंूढकर बताएं। देश में बाहर के मुसलमानों को
भी नागरिकता देने का प्रावधान है। मोदी के शासनकाल में ही पिछले 5 वर्षों में 566 मुसलमानों को नागरिकता दी गई है।
पत्रवार्ता में सांसद ने कहा प्रदेश के मुख्यमंत्री सबकुछ जानकर भी वोटों के लालच
में और अपने आकाओं को खुश करने के लिए नागरिकता कानून को मध्यप्रदेश में लागू नहीं
करने की बात कह रहे हैं। जबकि नागरिकता देना और नहीं देना यह राज्यों का विषय है
ही नहीं। नागरिकता देश की होती है, प्रदेश की नहीं। यह कमलनाथ भी भलिभांति
जानते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस मानवीय विषय पर भी वे वोटों की फसल
उंगाने का प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष रामलाल रौतेल
अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र सिंह मरावी, जिला
महामंत्री भूपेंद्र सिंह सेंगर, जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह,
कार्यालय
मंत्री चंद्रिका द्विवेदी उपस्थिति रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें