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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

रबी की सिंचाई के लिए खेतों तक नहीं सुविधा, 52 जलाशय लबालब,दिनोंदिन घट रहा रबी का रकबा

खेती योग्य 1.85 लाख हेक्टेयर बाद भी मात्र 62 हजार हेक्टेयर पर रबी की बुवाई
अनूपपुर मौसम की लगातार मार और बदलाव के साथ सिंचाई के लिए बनाये गये जलाशयों से खेतों तक पानी के नही पहुंच पाने के कारण जिले में रबी फसल का रकबा दिनोंदिन घट रहा है। अधिक संख्या में किसानों के बाद भी खरीफ की तुलना में रबी की फसल लगाने में किसान आर्थिक खतरा मोल नहीं उठा रहे हैं। इसका मुख्य कारण खेतों की नमी माना जा रहा है। मानसून की बौछार के बाद रबी की सीजन में बारिश की कम मात्रा गिरने तथा खेतों तक जलाशयों के नहरों की पहुंच नहीं होने के कारण नवम्बर से मार्च माह के बीच खेतों की नमी सूख जाती है। अनूपपुर जिले में रबी की कम मात्रा में बुवाई हो पाता है। कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार सम्भाग की लगभग 73 प्रतिशत मिट्टी हल्की एवं रेतीली है। मृदा ढलान अधिक होने के कारण मिट्टी कटाव अपेक्षाकृत अधिक है। मिट्टी की जलधारण क्षमता भी कम होने के कारण उत्पादकता का स्तर भी कम है। जिले में लगभग 1 लाख 10 हजार 811 किसान पंजीकृत है। इसके अलावा बिना पंजीयन अन्य छोटे किसान भी शामिल हैं। लेकिन अनूपपुर जिले में खेती योग्य लगभग 1 लाख 85 हजार 236 हेक्टेयर भूमि  होने के बाद भी इनमें खरीफ की खेती लगभग 1 लाख 69 हजार 680 हेक्टेयर पर होती है। वही रबी की फसल मात्र 62 हजार 800 हेक्टेयर भूमि पर ही सम्भव हो पाती है। उपसंचालक कृषि विभाग का मानना है कि जिले में उपलब्ध जलाशयों का समुचित उपयोग करते हुए स्थानीय स्तर पर ही सिंचाई व्यवस्थाओं के माध्यम से रबी की खेती करना शुरू करें तो यह रकबा अधिक बढ़ सकता है। लेकिन सिंचाई की समुचित सुविधा के अभाव में भी किसान रबी की फसल से दूरी बना लेते हैं। पिछले तीन-चार सालों के आंकड़ों को देखा जाए तो निर्धारित लक्ष्य से अधिक उत्पादन का लक्ष्य रबी में सामने नहीं आया है। विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2016-17 में रबी की अनुमानित रकबा 70 हजार हेक्टेयर निर्धारित की गई थी। लेकिन बारिश के कारण वास्तविक पूर्ति 72 हजार के आसपास पहुंच गई। लेकिन इसके बाद वर्ष 2017-18 में लक्ष्य 70 हजार निर्धारित हुआ और पूर्ति 63 हजार हेक्टेयर ही हो सकी। वर्ष 2018-19 में निर्धारित लक्ष्य 74 हजार हेक्टेयर रखा गया और पूर्ति मात्र 60 हजार हेक्टेयर हो सकी। वहीं वर्ष 2019-20 में लक्ष्य को कम करते हुए मात्र 63 हजार हेक्टेयर रखा गया, जिसमें अब फसल कटने के दौरान सर्वेक्षण में लक्ष्य पूर्ति स्पष्ट हो पाएगी। विदित हो कि जिल के चारो विकासखंड में कुल 52 जलाशय हैं। इनमें अधिकांश जलाशयों से निकलने वाली नहरों का पक्की निर्माण नहीं हुआ है, कुछ के नहर क्षतिग्रस्त हैं तो कुछ जलाशयों में पानी कम होने के कारण उनका पानी खेतों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है।
इस वर्ष 11 हजार कम हेक्टेयर में रबी की बुवाई
रबी फसल उत्पादन के लेकर विभाग द्वारा प्रतिवर्ष दिए गए लक्ष्य में इस वर्ष 11 हजार कम हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित करते हुए 63.31 हजार हेक्टेयर रकबा निर्धारित किया गया हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11 हजार कम हैं। वर्ष 2018-19 के दौरान रबी फसल के लिए 74.400 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था।
कहां कितनी भूमि उपयोगी
भौगोलिक क्षेत्र- 374671 हेक्टेयर
पड़त भूमि- 23634  हेक्टेयर
निरा फसल क्षेत्र- 175236 हेक्टेयर
अकृषि योग्य भूमि- 79761 हेक्टेयर
सामान्य खरीफ फसल क्षेत्र- 156780 हेक्टेयर
सामान्य रबी फसल क्षेत्र- 61000 हेक्टेयर
दो फसल क्षेत्र- 58000 हेक्टेयर
सिंचित क्षेत्र- 16.53 प्रतिशत
इनका कहना है
रबी सीजन में खेतों में नमी की कमी के कारण किसान फसल लगाने का जोखिम नहीं उठा रहे हैं। हल्की और रेतीली मिट्टी के कारण खेतों की नमी इस सीजन में उखड़ जाती है। सिंचाई की भी व्यवस्था का अभाव होने के कारण खेतें खाली रह जाती है।
एनडी गुप्ता, उपसंचालक कृषि विभाग अनूपपुर।


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