नर्मदा कुंड
के पानी पर मंडराया खतरा
अनूपपुर। आखिरकार जिसका डर था वहीं हुआ, अमरकंटक
नर्मदा नदी पर बनाए गए पुष्कर बांध के साथ माधव सरोवर बांध का भी एक हिस्सा
गुरुवार की रात क्षतिग्रस्त होकर बह गया। इससे पूर्व पुष्कर डैम का एक हिस्सा 24
जुलाई को क्षतिग्रस्त होकर बह गया था। जिसके बाद पुष्कर से लगातार पानी के तेज
बहाव का दवाब माधव सरोवर पर भी बढने लगा था। दोनों सरोवर के क्षतिग्रस्त के बाद अब
नर्मदा उद्गम कुंड के जल पर खतरा मंडराने लगा है।
सरोवर से
लगातार हो रहे पानी बहाव के बाद आगामी गर्मी के दिनों में अमरकंटक नगर में पानी की
समस्या से नगरवासियों को जुझना पड़ेगा। वहीं माधव बांध के क्षतिग्रस्त की सूचना पर
शुक्रवार को अमरकंटक पहुंचे पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने
क्षतिग्रस्त दोनों बांधो का निरीक्षण किया और इसे गम्भीर मामला बताया। उन्होंने
कहा जब मीडिया के माध्यम से जानकारी दी गई थी और डब्ल्यूआरडी की टीम ने इसका
निरीक्षण किया था तो लापरवाही कहां हुई। जिसके कारण माधव सरोवर का हिस्सा
क्षतिग्रस्त हुआ। इस मामले को विधायक ने विधानसभा सत्र के दौरान उठाने की चेतावनी
दी है। साथ ही कलेक्टर से मामले में बातचीत के लिए कहा है।
विदित हो कि
पुष्पकर डैम के क्षतिग्रस्त होने के बाद सबसे अंत में बने माधव सरोवर के उपरी
हिस्से तक पानी का भराव हो गया। जिसमें माधव सरोवर का उपरी हिस्सा पानी के लगातार
कटाव में बहता चला गया। जबकि पुष्पकर डैम में पानी ने नीचे से कटाव कर डैम के
मिट़्टी वाले क्षेत्र को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
प्रशासन और
जलसंसाधन विभाग को पुष्कर डैम के क्षतिग्रस्त होने और नगर में पानी की समस्या को
लेकर अगाह किया था। कि पुष्कर बांध से पानी के बहाव में अधिक दवाब पर माधव बांध को
नुकसान हो सकता है। परिणाम यह हुआ कि 10 दिनों में पानी का दवाब इतना बढ़ा कि माधव
बांध के एक किनारे का उपरी हिस्सा पानी के बहाव में कटकर बह गया। इससे नर्मदा में
प्रवाहित होने वाली नदी का पानी लगातार तेज बहाव के साथ नीचे उतरने लगा है। दरअसल
नर्मदा उद्गम कुंड से प्रवाहित जलधारा को चंद मीटर के फासले पर पुष्कर बांध के
माध्यम से जल संरक्षित करने की योजना में बनाई गई थी। इसके साथ पानी को दवाब को
रोकने तीन अन्य लक्ष्मी सरोवर, कबीर सरोबर और माधव सरोवर बांध
को बनाया गया था। लेकिन माधव सरोवर लगातार बारिश की बौछार मे क्षतिग्रस्त हो गया
है।
विधायक
पुष्पराजगढ़ फुंदेलाल सिंह ने कहा यह बहुत ही गम्भीर मामला है। हमने निरीक्षण किया
है। नर्मदा उद्गम के साथ नगर की जलापूर्ति की समस्या गहराएगी। इसे सत्रकाल में
उठाते हुए मुख्यमंत्री से पूछा जाएगा कि जब नर्मदा उद्गम पर ही संरक्षित नहीं तो
प्रदेश में कैसे हो पाएगी।
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