ब्राम्हणों के ठेकेदार समाज के हितों पर बने भार
अनूपपुर। देश में जाति आधारित सामाजिक संगठनों की राजनीति नयी नहीं है। समाज के नाम पर कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते रहे हैं। इनके कहने पर वोट चाहे एक ना मिलता हो,लेकिन एकमुश्त वोटों का फरेब फैला कर उम्मीदवार से कुछ लोग अपना उल्लू जरुर सीधा करने में लगे रहते हैं। चुनाव में समाज के नाम पर भीड़ दिखा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने पालिका चुनाव की दावेदारी दिखाना भी है।
अनूपपुर में विधानसभा उपचुनाव होना है। इसके तुरन्त बाद नगरपालिका चुनाव की संभावना सूंघ कर जाति आधारित प्रोपेगंडा की शुरुआत हो गई है। शनिवार को कोरोना नियमों की घज्जियां उड़ाते जैतहरी रोड स्थित एक निजी भवन में ब्राह्मण समाज की बैठक के नाम पर लोगों को जोडऩे की कोशिश की गई। बैठक के समय तथा उद्देश्य को लेकर समाज के प्रबुद्ध तथा वरिष्ठ लोगों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए इससे दूरी बनाए रखी। विंध्य के एक पूर्व मंत्री के नाम पर ब्राम्हणों को एकत्रित करने का प्रयास विफल हो रहा। बमुश्किल पचास लोगों को देख पूर्व मंत्री नाराज दिखे। समाज का ठेकेदार बने लोगों का दंभ भी चूर-चूर हो गया। वरिष्ठ लोगों ने समाज के संगठन का राजनैतिक लाभ उठाने की कुचेष्ठा की निंदा की है।
जबकि विगत तीन साल से इसके अध्यक्ष ने एक बैठक तक नहीं बुलाई। 2016 लोकसभा उप चुनाव में ब्राम्हण समाज की ऐसी ही एक बैठक में तब दो हजार से अधिक लोग एकत्रित हुए थे। तब भी यही भाषणवीरों ने बड़ी-बड़ी डींगे हांकी थी। इन्ही बदनाम चेहरों से मोहभंग होने के कारण उस वक्त भी लोगों ने सख्त आपत्ति की थी। आज बमुश्किल आधा सैकड़ा लोगों की उपस्थिति से जमकर भद्द पिट रही है।
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