विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से सितम्बर में भी नर्मदा नही लबालब,गर्मी में पानी की मचेगी त्राहि
अनूपपुर। प्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा अपने उद्गम स्थल पर ही
बे-पानी और बदहाल हो गई है। नर्मदा उद्गम स्थल से प्रवाहित जलधारा को सरंक्षित
रखने बनाया गया पुष्कर और माधव सरोवर का किनारा पानी के कटाव में अगस्त माह के
दौरान बह गया था, जिसमें मुख्य पुष्कर सरोवर में भंडारित
जल धीरे-धीरे सरोवर से नीचे बनी लक्ष्मी,कपिल सरोवर
सहित माधव सरोवर के रास्ते नीचे उतर डिंडौरी की ओर बह गया। सुधार कार्य में लगे
डब्ल्यूडीआरसी अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों ने सरोवर के इस क्षतिग्रस्त
हिस्से के सुधार में अनदेखी की। लगभग ३२ लाख से सुधार कार्य के पांच माह से अधिक
समय बीत गए। लेकिन पुष्कर डैम सहित अन्य डैम का सुधार कार्य पूर्ण नहीं हो सका।
हालात यह हैं
कि उद्गम से रिसकर सरोबर तक आने वाला पानी पतली धारा के रूप में बहने लगी है।
जिसके कारण भाद माह के दौरान लबालब पानी से भरा रहने वाला उद्गम स्थली से जुड़े
पुष्कर, लक्ष्मी, माधव सरोबर अब जलविहीन नजर आने
लगे हैं। 10-12 फीट मोटी पानी से भरे रहने वाले सरोबर
में अब चंद छिछलीदार कीचडय़ुक्त पानी बच गया है, जहां वर्तमान
में चल रहे पितृपक्ष के दौरान लोगों को तर्पण करने के लिए भी पानी नसीब नहीं हो पा
रहा है। बावजूद नगरीय प्रशासन सहित डब्ल्यूआरडीसी और प्रशासन डैम सुधार कार्य में
तेजी नहीं ला रहे हैं। नगरवासियों का कहना है कि अगर नर्मदा की यही हालत बनी रही
तो चंद माह बाद नर्मदा तो सूख जाएगी, नगर में पानी
के लिए त्राहि त्राहि मच जाएगा।
उल्लेखनीय है
कि नर्मदा उद्गम से प्रवाहित होने वाली नर्मदा जलधारा को सरोवर के रूप में स्थापित
करने दशकों पूर्व बनाया गया पुष्पकर डैम अगस्त माह में सुधार कार्य के दौरान अचानक
क्षतिग्रस्त होकर फूट गया था। जिसमें डैम का पानी तेजी के साथ नीचे उतरते हुए
अंतिम डैम माधव पर दवाब बनाने लगी। हालात यह बने कि चंद दिनों के उपरांत माधव डैम
का भी उपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर फूट गया। जिसके बाद पुष्कर से लेकर माधव डैम
तक भरा पानी तेजी के साथ निचले क्षेत्रों की ओर बह गया। पुष्पकर डैम लगभग 25-30
वर्ष पुराना है। वर्ष 2019 में डैम के निचले हिस्से में कटाव होने
के कारण एक हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। हालांकि अधिकारियों ने दो
दिनों में पुन: डैम का सुधार कार्य पूरा कराते हुए पानी के बहाव को रोकने में
सफलता पाई थी। इस वर्ष भी 2019-20 में जिला
प्रशासन ने डब्ल्यूआरडी को सुधार कराने के निर्देश दिए थे। जिसमें लगभग 32 लाख
की लागत से सुधार कार्य कराए जा रहे थे। ठेकेदार द्वारा मई माह से सुधार कार्य
आरम्भ कराया गया था।
तर्पण के लिए
नहीं नर्मदा जल
माधव डैम के
पास ही संगम स्थल बना हुआ है, जहां पितृपक्ष के दौरान लोग अपने
पितरो को जल अर्पण कर तर्पण करते हैं। लेकिन वर्तमान नर्मदा की हालत ऐसी बन गई है
कि यहां पितरों को जल अर्पित कर परिजनों को पानी नसीब नहीं हो रहा है। पानी इतना
दूर कि वहां तक पहुंचने के लिए कीचडय़ुक्त दलदली जमीन से वहां तक गुजरना होगा।
लेकिन वहां भी छिछली और कीचडय़ुक्त पानी।
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