भगवान भरोसे नगर की सफाई, केबिन में गुजर रहा अधिकारियों का समय
अनूपपुर। सफाई किसी नगर का आइना और और उसकी
विशिष्ठता की पहचान होती है। जितनी अच्छी सफाई, उतनी ही अच्छी तहजीब मानी जाती है। आदिवासी जिले के
रूप में अनूपपुर जिला मुख्यालय नगरीय क्षेत्र प्रदेश के 51 जिलो में वर्ष 2019 में
प्रदेश की टॉप 10 की सूची में शामिल होकर सम्मान पाया था। लेकिन सालभर में
अधिकारियों की लापरवाही में यह प्रदेश स्तरीय स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में
80 पायदान फिसल गई। अगस्त 2020 में जारी स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में अनूपपुर 10
वें से 87वें स्थान और देश स्तरीय सूची में 96वें स्थान से 402 वें स्थान पर पहुंच
गई है। सूची जारी हुए 15 दिन से अधिक समय बीत गए हैं, लेकिन नगरीय प्रशासक सफाई व्यवस्था को
सम्भालने साहस नहीं दिखा रहे हैं। एक ही साल में अर्श से फर्श पर नगर की सफाई
व्यवस्था आ गिरी है। बावजूद अधिकारी कार्यालय के केबिन से बाहर कदम नहीं निकाल रहे
हैं।
जबकि परिषद के भंग होने के कारण प्रशासकीय अधिकारी के
रूप में खुद जिला प्रशासन नगरीय प्रशासक की जिम्मेदारी सम्भालें हुए हैं। यहां
सफाई पर नगरीय प्रशासक द्वारा रोजाना 20 हजार खर्च करती है। लेकिन नगरपालिका के 15
वार्ड की मुख्य सड़कों से लेकर वार्ड की गलियों व उसके साथ गुजरी नालियों की हालत
दयनीय बनी हुई है। मुख्य मार्ग में शामिल सामतपुर-सोननदी मॉडल सड़क, रेलवे अंडरब्रिज मॉडल सहित सहित
अमरकंटक-तिपानी मुख्य मार्ग बदहाली से जूझ रही है। इनके किनारे बनी नालियों में
जंगली घासों का कब्जा है। पानी सड़कों पर जमा हो रहा है। सड़क के बीच बने डिवाईडर
पर फूलों के साथ गाजर और बबूल के पौधे उगे भरे हैं। जगह जगह लोगों ने नालियों को
पत्थर व मिट्टी से भराव कर उसे जाम कर दिया है। यहीं नहीं वार्ड की नालियां आधी
अधूरी सफाई में अटी पड़ी है। जहां प्रत्येक बारिश की बौछार में पानी नाली की जगह
सड़कों पर आ पसरता है। मॉडल सड़क तालाब सी शक्ल ले लेती है, यहां दिनभर विभागीय व वरिष्ठ प्रशासनिक
अधिकारियों की वाहनें गुजरती है। लेकिन किसी भी अधिकारी की नजर नगर की इन
अव्यवस्थाओं पर नहीं जाती।
विदित हो कि नगरपालिका सफाई पर प्रति माह 5-7 लाख का
खर्च करती है। सफाई के लिए नगरीय क्षेत्र तीन जोन में बांटी गई है। इनमें बस्ती,
चेतनानगर, और बाजार क्षेत्र शामिल हैं। जिसमें 2
सुपरवाइजर सहित 58 सफाईकर्मी लगाए गए हैं। यानि एक वार्ड के लिए 15 सफाईकर्मी।
इनकी मदद के लिए 4 ट्रैक्टर वाहन, 4 कचरा संग्रहण और 2 बैटरी संचालित रिक्शा लगाए गए हैं। यहीं नहीं कचरा
परिवहन पर प्रति माह 1.50 लाख रूपए से अधिक डीजल पर खर्च भी किए जा रहे हैं। लेकिन
सफाई से इन खर्चो का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं। सबसे आश्चर्य की बात है कि 2007
से मिली टंचिंग ग्राउंड 13 साल बाद भी एमआरएफ स्तर की नहीं बनाई जा सकी है। यहां
तक नगर की दूर्षित जलों की निकासी के लिए ड्रेनेज जैसी कोई सुविधा ही नहीं है।
करोड़ों की प्रशासकीय भवन के सामने झाड़
प्रदेश के अन्य कलेक्ट्रेट कार्यालय व जिला पंचायत भवन
आइने के सामान चमकते नजर आते हैं। लेकिन अनूपपुर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय और जिला
पंचायत भवन मानों जंगल के बीच बना हो। बिल्डिंग के सामने ही बबूल सहित अन्य कंटीले
पौधों की ओट में छिपा है। देखने से मानो लगता है कि यहां सफाई वर्षो से नहीं हुई
है।
सफाई निरीक्षक डीएन मिश्रा ने बताया कि नगर की नियमित सफाई
कराई जा रही है। वर्तमान में सीएमओ सहित पांच कर्मचारी क्वारंटीन हैं, इसलिए
निरीक्षण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। जल्द ही नगर की सफाई को बेहतर बनाया
जाएगा।
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