फसल के लिए होगी फायदेमंद,
तेज
बारिश से दलहनी और तिलहनी फसलो को हो सकता है नुकसान
अनूपपुर। बंगाल की खाड़ी में बनी हवाओं के दबाव
में 4
जनवरी की सुबह जिले के समस्त हिस्सों में रिमझिम बारिश की शुरूआत हुई, जो
दिनभर सावन की झड़ी के समान बरसती रही। इस दौरान आसमान काले बादलों की चादर में
सिमटा रहा, और दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। बारिश के कारण दिन के
तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 25 डिग्री से 20 डिग्री
सेल्सियस पर आ पहुंचा, वहीं रात के समय न्यूनतम तापमान में भी
हल्की गिरावट दर्ज की गई है, न्यूनतम तापमान 8 डिग्री
सेल्सियस रिकार्ड किया गया है। मौसम विभाग
ने सम्भावना जताई जा रही है कि अभी एकाध दिन और बारिश की बौछार धरती को सराबोर
करेगी। यह बारिश जिले के समस्त हिस्सों अनूपपुर, जैतहरी,
कोतमा,
पसान,
बिजुरी
और अमरकंटक सहित ग्रामीण अंचलों में एक सामान्य रूप में बरसती रही। इससे शहरी
क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलों में जनजीवन प्रभावित रहा। बारिश के कारण खेतों में
नमी बनी आई है। कृषि विभाग ने मंगलवार की सुबह आरम्भ हुई बारिश को रबी फसलों के
लिए फायदेमंद बताया है। साथ ही तेज बारिश के दौरान दलहनी फसल मसूर को नुकसान होने
की आशंका जताई है। अधीक्षक भू-अभिलेख विभाग अधिकारी एसएस मिश्रा ने बताया कि सुबह
से आरम्भ हुए बारिश से 4 फरवरी की शाम तक जिले में अनुमानित औसत
बारिश 8-10 मिमी की सम्भावना जताई गई है। बंगाल की
खाड़ी में बने निम्न दवाब के कारण यह बारिश होना माना है। इसमें मौसम विभाग ने एक-दो
दिनों तक बारिश होने की आशंका जताई है। जिसमें पहला दिनभर बारिश के दौर में दिन
गुजर गया है, शेष एकाध दिन और बारिश होगी। इससे हवाओं में नमी अधिक बढ़ गई
है और ठंडक बढऩे के अनुमान लगाए जा रहे है। इस बारिश को देखते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख
ने ओलावृष्टि होने की भी आशंका जताई है। इस ओलावृष्टि के प्रकोप से गेहूं के साथ
दलहनी खासकर तुअर, मटर, मसूर, चना सहित
तिलहनी फसल सरसों की फसल को अधिक नुकसान होगा। उनके अनुसार जनवरी-फरवरी माह के
दौरान लगातार बदलते मौसम में बारिश की बन रही स्थितियों में ओलावृष्टि होने की
सम्भावनाएं अधिक होती है। अगर बारिश लगातार होती है तो इससे गेहूं की फसल के साथ
रबी की अन्य फसलों को लाभ होगा और तैयार होने की कगार पर पहुंची दलहनी फसलों के दाने
और अधिक पुष्ट होंगी। लेकिन चिंता की बात है कि इस सीजन के दौरान इस प्रकार के
मौसम में आ रहे बदलाव और बारिश ओलावृष्टि के सूचक माने जाते हैं, जिसमें
तैयार फसलों के नुकसान होने की अधिक सम्भावना बनी रहती है। जबकि वर्तमान में गेहूं
के लिए पानी की आश्यकता थी, लेकिन बारिश होने से खेतों में नमी बन
आई जहां किसान अब सिर्फ खादो का छिड़काव कर फसल को पुष्ट बना सकते हैं। किसानों को
गेहूं सिंचाई के लिए अब परेशान नहीं होना होगा।
उल्लेखनीय है कि जिले में इस
वर्ष रबी फसल के लिए 63.31 हजार हेक्टेयर भूमि लक्षित की गई है।
जिसमें 22 हजार हेक्टेयर पर गेहूं, जौ व अन्य
अनाज फसल 80 हेक्टेयर कुल अनाज 22.08 हेक्टेयर,
चना
10
हजार हेक्टेयर, मटर 2 हजार हेक्टेयर, मसूर 15 हजार
हेक्टेयर, अन्य दलहनी फसल 220 हेक्टेयर कुल दहलन 27.22 हजार
हेक्टेयर, सरसों 8 हजार हेक्टेयर, अलसी 6 हजार
हेक्टेयर कुल तिलहन 5.35 हजार हेक्टेयर, तथा गन्ना 10
हेक्टेयर
निर्धारित की गई है। इनमें दलहनी और तिलहनी जैसी फसल पुष्पराजगढ़ विकासखंड में
सर्वाधित की जाती है। लेकिन अमरकंटक क्षेत्र से सटे और पठारी क्षेत्र होने के कारण
पुष्पराजगढ़ और जैतहरी में ओलावृष्टि का असर सर्वाधिक माना जाता है।
दलहनी तिलहनी फसल को नुकसान
उपसंचालक कृषि एनडी गुप्ता ने
बताया कि तेज बारिश से फूल निकलने की तैयारी में मसूर, चना की फसल
को नुकसान हो सकता है। बारिश के कारण फूल झड़ सकते हैं। इसके अलावा बटरा की फसल भी
प्रभावित होगी। जबकि बारिश के कारण मसूर और अलसी में उकथा रोग प्रभावित करेगी।
तिलहनी सरसो में माहू का प्रकोप बढ़ेगा और फसल को नुकसान पहुंचाएगा। वहीं टमाटर,
की
फसल को भी नुकसान पहुंचेगा। जानकारों का मानना है कि बसंत पंचमी के बाद जहां मौसम
में गर्मी का अहसास आरम्भ हो गया था, वहीं अब बारिश के बाद पुन: ठंडक
लौटेगी। फिलहाल बारिश की बौछार से दिनभर ठंडक बरकरार रही।
अधीक्षक भू-अभिलेख
एसएस मिश्रा का कहना है कि यह बारिश रबी की फसलों को फायदा ही पहुंचाएगा, थोड़ी
तेज बारिश से मसूर दलहनी फसल को नुकसान हो सकता है। इस सीजन में बारिश के दौरान
ओलावृष्टि होने की प्रबल सम्भावना बनी रहती है। इससे रबी की तैयार फसल को अधिक
नुकसान होने की आशंका बनी हुई है।
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