किसानों का आरोप अधिकारी चाय की
दुकान, गांव के चौराहों पर पूंछकर खानापूर्ती
अनूपपुर। जिले में तीन दिनों की बारिश और ओलावृष्टि से कई गांवो में फसलो को
नुकसान पहुंचा है सबसे ज्यादा जैतहरी विकाशखंड के गांवो में किसानो को इसकी मार
झेलनी पड़ी है। मौसम खुलने के बाद अधिकारी खेतो तक नही पहुंच सके जिससे किसानो का
दर्द कम किया जा सके। भोपाल से लेकर जिले अधिकारियो ने मैदानी शासकीय सेवको को तीन
दिनो में ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिर्पोट देने के निर्देश दिए थे। ओलावृष्ट से
नुकसान जंगली क्षेत्र में अधिक देखने को मिला है। वहीं 58 गांव को
ज्यादा प्रभावित माना है।
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी.दूर
ग्राम अवढ़ेरा, अकुआ व पटपरहा के दर्जनों किसान है जिनकी खेत की फसल ओलावृष्टि
की मार में तबाह हो गई है। किसान खेतों की दशा को देखकर हताश है। उन्हें यह समझ
नहीं आ रहा है कि वे बर्बाद फसल का क्या करें। किसानों को आशा है कि शासन-प्रशासन
स्तर पर उनके बर्बाद हुए फसल का सर्वे कार्य कराकर कुछ राहत प्रदान की जाएगी।
लेकिन दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी इन वास्तविकताओं से दूर हैं। असमायिक बारिश और
ओलावृष्टि की प्राथमिक रिपोर्ट में जिले के चार विकास खंड में कोतमा को छोड़कर
अनूपपुर, जैतहरी, और पुष्पराजगढ़ के 58 गांव
को प्रभावित माना है, जिसमें फसल नुकसान की प्राथमिक अनुमान 15-20 फीसदी
है। बावजूद राजस्व विभाग ने क्षेत्र के आरआई और पटवारियों को फसल नुकसान की
जानकारी देने के निर्देश देते हुए खुद किसानों की खेतों की मेढ़ से दूरी बना ली
है।
अकुआ के किसान रामदयाल यादन ने
बताया कि ओलावृष्टि के बीते 5 दिन से अधिक समय हो गए हैं। लेकिन
अधिकारी आजतक ने वास्तविक नुकसान का आंकलन करने खेतों में नही पहुंच सके। यहीं
कारण है कि पांच दिनों बाद भी किसानों की फसलों का वास्तविक नुकसान आंकलन जिला
प्रशासन के पास नहीं पहुंच सका है। किसानों ने आरोप लगाया कि सभी जानते हैं कि
प्रकृति की इस मार में हर बार पटवारी और आरआई चाय की दुकान, गांव के
चौराहों पर ग्रामीणों से नाम पता की जानकारी लेकर उनके फसल के नुकसान की रिपोर्ट
प्रशासन को भेज देते हैं। कभी खेत-खलिहानों पर कदम नहीं रखते। गलत रिपोर्टिंग के
कारण हर बार प्रकृति की मार में किसानों के हाथ व्यय से कम राहत की राशि पहुंचती
है।
उल्लेखनीय है कि प्राथमिक
रिपोर्ट में जिले के अनूपपुर तहसील के 10 गांव जहां 10-15 फीसदी, कोतमा में नुकसान की कोई जानकारी नहीं,
जैतहरी
में सर्वाधिक 45 गांव के प्रभावित होने तथा 15-20 फीसदी
तक फसलों के नुकसान के अनुमान, तथा पुष्पराजगढ़ के 3 गांव
प्रभावित माने गए, जहां नुकसान की जानकारी नहीं मिल सकी थी। इस प्रकार जिले के 58 गांवों
की फसलें बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित होना माना गया था। जिले में 22 और 23 फरवरी
को हुई असमायिक बारिश और ओलावृष्टि में प्रशासन ने जिला प्रशासन ने जिले के चारों
विकासखंड राजस्व अधिकारियों को अपने अमले के साथ सर्वेक्षण कराकर नुकसान की
रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें प्रभावित गांवों की संख्या, प्रभावित
क्षेत्रफल, प्रभावित किसान, अनुमानित नुकसान सहित अन्य
जानकारी शामिल थे। हालांकि बाद में सर्वेक्षण कार्य के लिए राजस्व और कृषि विभाग
की संयुक्त टीम द्वारा सर्वेक्षण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और जानकारी
मांगी थी। जांच रिपोर्ट को तीन दिनों में सौंपा जाना था। लेकिन अबतक पांच दिनों के
गुजर जाने के बाद भी वास्तविक नुकसान की जानकारी अधूरी है।
उपंसचालक कृषि एनडी गुप्ता के
अनुसार इस वर्ष गेहूं की निर्धारित लक्ष्य से 10 हजार
हेक्टेयर अधिक बुवाई हुआ है। लक्ष्य 22 हजार हेक्टेयर रकबा था। लेकिन
खेतों में नमी के कारण 32 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की बुवाई हुई
है। इसके अलावा चना 10 हजार हेक्टेयर, मटर 2 हजार
हेक्टेयर, मसूर १५ हजार हेक्टेयर, अन्य दलहनी
फसल 220 हेक्टेयर कुल दहलन 27.22 हजार
हेक्टेयर, सरसों 8 हजार हेक्टेयर, अलसी 6 हजार
हेक्टेयर कुल तिलहन 5.34 हजार हेक्टेयर, तथा गन्ना 10 हेक्टेयर
पर फसल बुवाई की गई है। इनमें बारिश और
ओलावृष्टि से चना, मसूर, गेहूं, मुनगा,
अरहर,
मटर,
टमाटर,
अलसी,
बटरी,
गोभी,
धनिया,
बैगन,
महुआ
सहित अन्य फसलों को नुकसान के अनुमान हैं।
अधीक्षक भू-अभिलेख अधिकारी
अनूपपुर एसएस मिश्रा ने बताया कि अभी तक वास्तविक नुकसान की रिपोर्ट नहीं आई है।
तीन दिनों में जांच कर रिपोर्ट मांगी गई थी। अनूपपुर और जैतहरी विकासखंड ही
प्रभावित क्षेत्र हैं।
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