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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

कांग्रेस की आदिवासी जन चेतना यात्रा कहीं बर्चस्व की लड़ाई तो नहीं



अनूपपुर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के दिन करीब पहुंच रहे हैं, वैसे-वैसे सियाशी पार्टियां जनता के बीच पहुंच रही हैं और अपनी उपलब्धियां बताकर आने वाले दिनों के लिए अपने पक्ष में मतदान करने की बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं प्रमुख दो दल के भावी प्रत्याशियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में दौरे प्रारंभ कर दिये हैं। कहीं पार्टी के सलाह पर तो कहीं व्यक्तिगत दौरा कर अपनी पैठ बनाने का प्रयास जारी है। गत दिनों कांग्रेस की आदिवासी चेतना यात्रा का आगाज बडे ही नाटकीय ढंग से जिला मुख्यालय में हुआ। इस यात्रा में स्वयंभू भावी प्रत्याशी ने इसका शुभारंभ चंद लोगों की मौजूदगी में किया। इस यात्रा की सूचना न तो नगर कांग्रेस और न जिला कांग्रेस कमेटी को दी गई। दोनों ही जिलाध्यक्षों से जब इस बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने इससे अनभिज्ञता जताई और कहा कि यह तो पार्टी का कार्यक्रम है, किंतु इसकी सूचना हमें नहीं है। इसी तरह कुछ नगर कांग्रेस अध्यक्ष ने भी बात कही। अब सवाल यह है कि क्या बिना जिला कांग्रेस अध्यक्ष को सूचना दिए पार्टी का कोई कार्यकर्ता ऐसी यात्रा निकाल सकता है वह भी आदिवासियों के चेतना के लिए और इस चेतना मेें जिले के वरिष्ठ आदिवासी नेता को दर किनार कर वैमनुष्यता के साथ जारी रख सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों मेें इस यात्रा को कोई खास तबज्जो नहीं मिल रहा है। यह यात्रा सभी की सहमति और सलाह से निकाली जाती तो इसका जगह-जगह स्वागत होता। चंद लोग पार्टी के आदेशों को धता बताते हुए अपने आपको आगामी चुनाव के लिए विधायक मान रहे हैं। यह अच्छा है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलता है। फिर राजनैतिक दल जिस व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाती है उसके पीछे पार्टी खड़ी होती है। पार्टी की टिकट लेने के लिए कई लोग ऐड़ी-चोटी एक कर रहे हैं, किंतु टिकट तो एक को ही मिलेगी।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने सभी नेताओं को दो टूक शब्दों में कहा है कि गुटबाजी छोड़ते हुए सभी जन पार्टी के पक्ष में कार्य करें। इसके बावजूद भी ग्राम से लेकर राजधानी तक कांग्रेस कई गुटों में बटी है। इसकी जिम्मेदार पार्टी के वह नेता है जिन्होंने इस गुटबाजी को इतना बढ़ावा दिया है। ग्राम पंचायत, जिला पंचायत का चुनाव जीतने वाला व्यक्ति आज विधायक का स्वप्न देख रहा है। यह जरूरी है कि वह इसे साकार करने के लिए अपने घर, जमीन तक गिरवी रख टिकट पाने की जुगत लगा रहा है। चुनाव के आते-आते पार्टी किसे अपना प्रत्याशी घोषित करती है यह तो समय बतायेगा। किंतु अभी से वैमनुष्यता और वरिष्ठजनों से दूरी बनाकर चलना यह पार्टी और स्वयं के लिए भी ठीक नहीं है। आदिवासी जन चेतना यात्रा में अगर आदिवासी ही न हो तो फिर यह कैसी यात्रा। सभी आदिवासी विधानसभा सीटो में यह यात्रा निकाली जा रही है। जहां पुष्पराजगढ़ में सभी ने एकजुटता का परिचय देते हुए यात्रा का शुभारंभ किया, वहीं अनूपपुर विधानसभा में यह एकता नजर नहीं आई। इसमें स्वयंभू एक व्यक्ति के इशारे पर इसका संचालन हुआ, जिसमें चंद लोग ही मौजूद रहे। अगर यह सबको एक लेकर किया जाता तो शायद यात्रा में अधिक से अधिक लोग होते और इस यात्रा का मकसद सही होता। अभी भी कांग्रेस के पास समय है, आपसी मनमुटाव को भुलाकर पार्टी के लिए समर्पित हो जायें तो आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर होगी।

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