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शनिवार, 6 जून 2020

अब कोई राष्ट्र केवल आर्थिक शक्ति के आधार पर बड़ा नहीं बन सकता - कुलपति

अनूपपुर/अमरकटंक
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग के द्वारा कोविड-19 एवं उभरती विश्व व्यवस्था विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन शनिवार को कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने की अध्यक्षता में किया गया। इसमें प्रो. एच.के. शर्मा, राजनीति विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज, प्रो. संजय कुमार पाण्डे, अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययन केन्द्र जवाहरलाल नेहरू विष्वविद्यालय दिल्ली एवं प्रो. राकेश कुमार मिश्रा, राजनीति विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ ने अपने- अपने विचार रखे।  

कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने कोविड-19 के बाद उभरने वाली विश्व व्यवस्था के कई पहलुओं के साथ कई मुद्दों एवं चुनौतियों पर भी बात करते हुए कहा कोरोना के कारण आर्थिक दृष्टि से समृद्घ राष्ट्रों की हालात दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है, समूची दुनिया का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप बदल रहा है। अर्थव्यवस्था के चरमरा जाने से मानवता के समक्ष कई संकट खड़े हो रहे है। चीन को लेकर पूरे विश्व में असंतोश और आक्रोश का माहौल पनप रहा है। उन्होने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि हो सकता है चीन को भविष्य में सामाजिक दूरी का पालन करना पड़े और वह अलगाव में चला जाये। कोविड-19 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई राष्ट्र केवल आर्थिक शक्ति के आधार पर बड़ा नहीं बन सकता है। विश्व की वर्तमान व्यवस्था में जो महाशक्तियां है उनका क्रम परिवर्तित होगा,पूर्व महाशक्तियों का महत्व कम होगा और कई नये राष्ट्र सशक्त रूप से उभरेगे। शोध के नये क्षेत्र उभरेंगे तथा पुरातन और नूतन ज्ञान के समावेश पर अधिक जोर दिया जायेगा। विश्व स्तर पर सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी बदलाव होंगे। जो राष्ट्र शान्ति के उपासक है वे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले निर्णयों में प्रभावशाली भूमिका में होंगे।

प्रो.एच.के.शर्मा प्रयागराज ने कहा कोविड 19 के बाद उभरती हुई विश्व व्यवस्था के केन्द्र में पर्यावरण होगा और वैश्विक स्तर पर इस पर अब और अधिक चर्चा होगी। कई राष्ट्र विश्व बाजार पर नियन्त्रण स्थापित करने का प्रयास करेंगे तथा कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा गरीब राष्ट्रों को उधार देकर उनका शोशण भी किया जायेगा। चीन अपने आर्थिक साम्राज्य की स्थापना करने का प्रयास करेगा।

प्रो.संजय कुमार पाण्डे दिल्ली ने कहा कि मानवता आज एक बड़ी समस्या से जुझ रही है हालाँकि पूर्व में भी इस तरह की समस्याओं से विश्व पीडि़त रहा है। कोविड-१९ के बाद विश्व बहुत कुछ बदला हुआ होगा। वैश्विक स्तर पर व्यक्तिगत शुचिता, सामाजिक संबंध, परिवार की महत्ता, तकनीकी का महत्व और ऐसे सैकड़ों विषयों में बदलाव आयेगा। प्रत्येक राष्ट्र स्वावलंबन पर अधिक जोर देगा। प्रो. राकेष कुमार मिश्रा लखनऊ ने कहा कि अभी उभरने वाली विश्व व्यवस्था के स्वरूप और उसके प्रभाव को रेखांकित करना जल्दबाजी होगी क्योंकि कोविड कब, कैसे और किस स्तर पर समाप्त होगा यह भविष्य की कोख में है लेकिन हम कयास लगा सकते है। दुनिया दो ध्रुर्वीय स्वरूप में आयेगी। नई विश्व व्यवस्था में बायोलॉजिकल हथियारों का मुद्दा बहस का एक प्रमुख विषय बनेगा। वैश्वीकरण जिसे हम विकास का एक सषक्त प्रारूप मानते थे वो कितना कमजोर है इसे कोविड ने सिद्घ कर दिया है। प्रो. सरोजकुमार वर्मा राजनीति विज्ञान विभाग, जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा बिहार ने भी कोविड-१९ के बाद की बदली हुई विश्व व्यवस्था के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। व्याख्यान के बाद प्रतिभागियों ने कई मुद्दों पर प्रमुख वक्ताओं से प्रश्न किये। वेबिनार के अन्त में संयोजक प्रो. अनुपम शर्मा, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, इगांराजविवि ने आभार व्यक्त किया। वेबिनार में संकायाध्यक्ष प्रो. राकेश सिंह एवं राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग के संकाय सदस्य प्रो. नरोत्तम गान, डॉ. उदयसिंह राजपूत, डॉ. चकाली ब्रम्ह्यया, डॉ. अनिल कुमार एवं ज्योति सिंह शामिल रहे। इसमे भारत के विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थाओं से 100 से अधिक अध्यापक व शोद्यार्थी गूगलमीट एप्लीकेशन के माध्यम से जुड़े।

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