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मंगलवार, 30 जून 2020

संघर्षो से भरा राजनीतिज्ञ जीवन में देखे कई उतार-चढ़ाव, अब उप चुनाव की अग्नि परीक्षा

पूर्व विधायक राम रौतेल जन्म दिवस विषेश:-

अनूपपुर। चिरप्रतिद्वंदी एक ही पार्टी में साथ -साथ हैं बल्कि पूर्व विधायक के कंधों पर बिसाहूलाल को जिताने का दारोमदार है। जिनका जन्म दिवस 1 जुलाई को ५३ वर्ष पूर्ण कर ५४वें वर्ष में प्रवेश करेगें। जिन्होने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे है। जैतहरी के समीप ग्राम चोरभठी में स्व. सोनई राम रौतेल के घर 1 जुलाई 1967 को जन्मे रामलाल रौतेल का प्रारंभिक जीवन अत्यंत गरीबी तथा संघर्षमय तरीके से बीता। खेती - मजदूरी करने वाले सोनई राम के अन्य बच्चों से अलग रामलाल को पढऩे, साफ - सुथरे कपड़े पहनने तथा गाँव की समस्याओं को लेकर संघर्ष करना बहुत पसंद था। तब के अशासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में पढ़ते हुए उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गये। संभवत: यह उनका पहला बड़ा चुनावी अनुभव था। उसके पहले वार्ड सदस्य (1988) निर्वाचित हुए थे। 1992 से 2000 तक वे भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री, मंडल अध्यक्ष, जिलामंत्री भाजयुमो एवं मंडल अध्यक्ष, जिला मंत्री भाजपा रहे। 2002 से 2006 तक वे प्रदेश अजजा मोर्चा के प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, 2010 - 13 तक मप्र अजजा आयोग अध्यक्ष, 2014 मे राष्ट्रीय महामंत्री अजजा मोर्चा, एवं 2016 से अभी तक प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा हैं। 2003 व 2013 में वे विधायक रहे। 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी रहे हैं। इन सभी चुनावों में उनका मुख्य मुकाबला बिसाहूलाल सिंह से ही रहा।

अनूपपुर के उप चुनाव जीतने के लिये चुनाव संचालक बनने दो विपरीत धुवों के साथ आ जाने से सब कुछ ठीक होगा यह समय बतायेगा। 1980 से धुर - कांग्रेसी रहे बिसाहूलाल के भाजपाई अवतार से ना केवल कांग्रेस में उनके कट्टर समर्थक रहे लोगों मे भारी नाराजगी है बल्कि स्वत: भाजपा का एक खेमा, जो लगातार बिसाहूलाल तथा उनके समर्थकों के निशाने पर रहा है, वह हतप्रभ है। इन दोनों वर्गों को एक मंच पर लाए बिना बिसाहूलाल की राह आसान नहीं है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व को यह तय करना होगा कि बिसाहूलाल की कीमत पर रामलाल एवं उनके समर्थकों के हितों की बलि नहीं चढ़ाई जाएगी। यह थोथा आश्वासन ना होकर, धरातल पर प्रत्यक्ष दिखलाए बगैर भाजपा के मूल सदस्यों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। इसके साथ यह भी तय है कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को संतुष्ट किये बिना चुनाव जीतने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उप चुनाव में कड़ी परीक्षा रामलाल की भी है। यह चुनाव 2023 या उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन मजबूत करने का उनके लिये सुनहरा अवसर होगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ,संगठन महामंत्री सुहास भगत ने राजेन्द्र शुक्ला, संजय पाठक को अनूपपुर चुनाव प्रभारी बना कर सामान्य मतदाताओं के पिछले गुस्से पर मरहम लगाने की कोशिश की है। 22 सदस्यीय प्रबंध समिति के गठन मे रामलाल को जिस तरह से फ्री हैण्ड दिया गया है, वह भी पार्टी की रणनीति का संकेत दे रहा है।

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