अनूपपुर। महिला से संबंधित अपराध और पॉक्सो अधिनियम के मामले में तत्काल प्रथम
सूचना रिपोर्ट दर्ज किया जाना चाहिए। पीडि़त को प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि
व अभियोग पत्र की प्रतिलिपि नि:शुल्क दी जानी चाहिए। अनुसंधान के दौरान गिरफ्तारी
प्रक्रिया, चिकित्सकीय परीक्षण की अनिवार्यता के बारे में बताया कि पीडि़त
को तत्काल चिकित्सक के पास ले जाकर परीक्षण कराना है। यदि किसी चिकित्सक द्वारा
परीक्षण करने से मना किया जाये तो उनके विरूद्घ भी दाण्डिक अपराध दर्ज किया जा
सकता है। पीडि़त महिला के साथ पुलिस को उदारता एवं मित्रवत व्यवहार करना चाहिए,
जिससे
वह बिना डरे अपराध के संबंध में जानकारी दे सके। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा
२३ जून को महिलाओं एवं बालकों से संबंधित अपराध के अनुसंधान की कमियों को दूर करने
तथा पीडि़त व्यक्तियों के प्रति सजग एवं संवेदनशीलता से कार्य करने को पुलिस
अधीक्षक कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित कार्यशाला में उच्च न्यायिक सेवा के
अधिकारी भू-भास्कर यादव ने कहीं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में महिलाओं की सहायता
के लिये स्थापित हेल्प डेस्क के बारे में भी बताया।
इस दौरान
पुलिस अधीक्षक किरणलता केरकेट्टा, जिला विधिक सहायता अधिकारी
जीतेन्द्र मोहन धुर्वे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राजन तथा
महिला सशक्तिकरण अधिकारी मंजूशा शर्मा ने जिले के अनुसंधानकर्ता अधिकारियों को
कानूनी जानकारी दी।
किरणलता
केरकेट्टा ने पुलिस अधिकारियों को पीडि़त के प्रति संवेदनशीलता,निर्भीकता
तथा निष्पक्षता से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होने बताया पॉक्सो अधिनियम
के संबंध में अनुसंधान करने वाले पुलिस अधिकारियों को आवश्यक तकनीकि कम्प्यूटर
कैमरा आदि दिया जा रहा है।
जिला विधिक
सहायता अधिकारी जीतेन्द्र मोहन धुर्वे ने बताया कि आर्थिक रूप से निर्योग व्यक्ति,
महिला,
बच्चे,
बंदी,
अनुसूचित
जाति,जनजाति के व्यक्तियो को विधिक सहायता से नि:शुल्क अधिवक्ता
दिलाया जायेगा। मंजूशा शर्मा ने महिलाओं से संबंधित सुविधा और योजनाओं की जानकारी
दी। अभिषेक राजन ने कार्यशाला का संचालन व आभार व्यक्त किया।
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