राइस मिलर,वेयरहाउस और अधिकारियों की रही मिली भगत, वर्ष 2016-17 में वेयरहाउस से हुई थी चोरी
अनूपपुर। सजहा वेयरहाउस अनूपपुर खाद्यान्न माफियाओं का ठिकाना बन गया है। जिसमें वेयरहाउस प्रबंधक, विभागीय अधिकारी व मिलर्स की सांठगांठ में अबतक खाद्यान्नों के सड़ाने तथा राशन की दुकानों तक जाने वाली खेपों में गड़बडियों को लेकर सुर्खियों में छाया रहा। लेकिन अब वेयरहाउस सजहा से 23 हजार क्विंटल चावल लगभग 6 करोड़ 4 लाख से अधिक की चोरी के मामले में वेयरहाउस, विभागीय अधिकारी और मिलर की सहभागिता सामने आई है।
मामला वर्ष 2016-17 के दौरान का बताया जा रहा है। जिसमें वेयरहाउस से 23 हजार क्विंटल चावल चोरी हो गई। जिसे लेकर अब एससीएससी (मप्र स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल) प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल ने सतना आरएम रवि सिंह को पत्र लिखते हुए आर्थिक क्षति की राशि 6 करोड़ 4 लाख 8 हजार 826 रूपए वसूली केन्द्र प्रभारी रज्जू कोल, तथा वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन शाखा प्रबंधक वायपी त्रिपाठी तथा सम्बंधित मिलर्स से करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रबंध संचालक ने केन्द्र प्रभारी रज्जू कोल तथा वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के शाखा प्रबंधक वायपी त्रिपाठी और सम्बंधित मिलर्स के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने तथा उन्हें सेवा से पृथक किए जाने के लिए नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने निर्देशित किया है। 26 मई को प्रबंधक संचालक भोपाल ने अपने पत्र में पांच अन्य पत्रों का हवाला देते हुए आजतक सम्बंधित दोषियों के विरूद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं किए जाने की बात और ना ही इस सम्बंध में कॉर्पोरेशन मुख्यालय को अवगत कराने की बात कही है। इसके तहत शासन के निर्देशों के अनुरूप निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन करने के दोषी कॉर्पोरेशन के सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। कार्रवाई शीघ्र कर मुख्यालय को अवगत कराने के भी निर्देश दिए हैं।
पत्र में बताया गया है कि अनूपपुर में कूटरचित दस्तावेजों से 22573.12 क्विंटल चावल खुर्दबुर्द किया गया। इसमें शासन को 6, 04, 08, 826 रूपए आर्थिक क्षति हुई है। जिसमें वसूली और कार्रवाई को लेकर राज्य शासन की ओर से जारी 26 सितम्बर 2019, प्रबंधक संचालक भोपाल से 6 दिसम्बर 2019, 27 जनवरी 2020, 7 फरवरी 2020 तथा 12 मार्च 2020 को पत्र जारी किया जा चुका है।
मिलिंग की नहीं हुई मॉनीटरिंग
बताया जाता है कि वर्ष 2016-17 के दौरान धान की हुई उपज के उपरांत चावल के लिए मिलर्स को आवंटन दिए गए। जिसमें मिलर्र्स ने विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत में औने पौने कागजों पर धान का उठाव किया। लेकिन उठाए गए धान के बदले चावल की खेप को गोदामों तक नहीं पहुंचाया। इसे लेकर कभी विभागीय अधिकारी भी मॉनीटरिंग नहीं की। जबकि प्रावधानों के अनुसार जिला कलेक्टर सहित जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी(जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक) ने कभी मिलों का निरीक्षण नहीं किया और ना ही गोदामों तक पहुंचने वाले चावल की खेपों का मिलान किया। यहीं नहीं विभाग ने मिलिंग और ट्रांसपोटिंग का भी पूरा भुगतान कर दिया।
समझे गणित
बताया जाता है कि खाद्यान्न थम्ब इम्प्रेशन मशीन से पूर्व खाद्यान्नों के वितरण में राईस मिलर्स, वेयरहाउस और विभागीय अधिकारियों ने खूब बंदरबांट किए। इसमें गोदामों से धान मिलर्स के पास जाते थे, जिसमें मिलर्स धान के बदले तत्काल बाहर से कम मात्रा में चावल का आवंटन करता था। यहां से राशन की प्रत्येक दुकानों पर जाने वाले खेपों में प्रत्येक खेप से 10-10 क्विंटल कम भेजे जाते थे। इन चावल को दो नम्बर बता दिया जाता था। जिले में 312 दुकानों के एवज में एक बार में यह मात्रा 3120 क्विंटल हो जाता था, जिसे दूसरी खेप में इन्हीं चावल को राशन की दुकान पर भेजकर इसके बदले धान की मात्रा चुरा जाते थे। इस प्रकार के खेल में बिना चावल का खेप मिल से गोदाम पहुंचे कागजों में पूरा दर्शा दिया जाता था। लेकिन इनमें शामिल रहे डीएसओ आज भी जिले में पदस्थ हैं।
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