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गुरुवार, 2 अगस्त 2018

मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं ने राष्ट्रीय चेतना को जगाया



हिन्दी साहित्य में अहम योगदान के लिए याद किए गए
अनूपपुर। हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में विगत दिवस कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रमुख शिक्षाविदों ने प्रकाश डाला। इस अवसर पर छात्रों का आह्वान किया गया कि वे मुंशी प्रेमचंद के राष्ट्रीय चेतना को जगाने वाले साहित्य को आत्मसात कर सामाजिक विकास में अहम योगदान दे।
मुख्य अतिथि डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने साम्राज्यवाद के दौर में साहित्य लेखन की चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुंशी जी की रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना रेखांकित होती है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद की पहली कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रत्न का सरस पाठ भी किया। संकायाध्यक्ष प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों में व्यक्त किसानों की जीवन शैली और उसकी वर्तमान प्रासंगिकता के बारे में बताया। विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू ङ्क्षसह ने प्रेमचंद के ङ्क्षचतन और उनके आध्यात्मिक सामाजिक दृष्टिकोण के बारे में जानकारी साझा की। डॉ. वीरेंद्र प्रताप ने प्रेमचंद के वैचारिक लेखन समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो.तीर्थेश्वर सिंह, डॉ. आशुतोष कुमार सिंह, डॉ.जितेंद्र कुमार सिंह, डॉ. प्रवीन कुमार आदि ने भाग लिया। संचालन नंदिनी जायसवाल ने किया,धन्यवाद रेशम सोनकर ने दिया।

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