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सोमवार, 27 अगस्त 2018

जिला चिकित्सालय अनूपपुर रेफरल केस में हो रही लापरवाही- मनोज द्विवेदी

शहडोल चिकित्सको की टीम भावना से बची महिला की जान  
अनूपपुर। जिला चिकित्सालय मे मरीजों को बिना प्रारंभिक इलाज दिये बिना रेफर करने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं। इसके कारण मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है तो दूसरी ओर परिजन भी खासे परेशान हो रहे हैं। ऐसे ही एक मामलेमे अनूपपुर जिला चिकित्सालय रेफर जैतहरी की महिला को बिना प्रारंभिक इलाज किये शहडोल भेज दिया गया। जहाँ उसकी जान खतरे में पड गयी। चिकित्सको व यहाँ के स्टाफ ने अतुलनीय योगदान देते हुए टीम भावना से कार्य कर अन्तत: महिला की जान बचा ली। रक्तदान - महादान की पर्याय बनी डा. सुधा नामदेव व उनकी टीम का सराहनीय योगदान विशेष उल्लेखनीय है। किसी चिकित्सक द्वारा मामला संज्ञान मे लाए जाने पर वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज द्विवेदी ने इसकी जानकारी सभांगायुक्त जे.के.जैन व कलेक्टर अनुग्रह पी को दी और जिले की चिकित्सा व्यवस्था सुधारने,कोतमा-बिजुरी में चिकित्सकों की संख्या बढाने जैसे विषयों पर ध्यानाकर्षण किया है। मामले से जुडे सूत्रों के अनुसार संभागीय चिकित्सालय में  एक-और-बेहतरीन-कोशिश की गयी। मौके पर उपस्थित एक वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार घटना कल लगभग 12 बजे दिन की है। हम ब्लड बैंक में अपने कक्ष में बैठे कुछ विशेष कार्य कर रहे थे,कि तभी मैटरनिटी वार्ड से एक स्टाफ नर्स का फोन आया कि एक मरीज बहुत सीरियस हो गयी है। उसको तुरन्त ब्लड चाहिए हालत बहुत गम्भीर है। हमारे द्वारा कहने पर की मरीज का ब्लड सैंपल और ब्लड का मांग पत्र भेजो हम तुरन्त देते हैं ब्लड। अगले 2 मिनट में स्टाफ नर्स दौड़ते हुए  मरीज का ब्लड सैंपल और खाली मांग पत्र लेके  हांफते हुए आई। उसके आते ही हमने तुरन्त पूरी फॉर्मेलिटी करके 1 यूनिट पैक्ड सेल सिस्टर को ही थमाई। बाकी की फॉर्मेलिटी ब्लड देने के बाद पूरी की गयी। एक मरीज,जो कि गर्भवती थी,जैतहरी की रहने वाली थी। उसे घर मे अचानक खून जाने लगा था। उसका पति ऑटो में उसे जिला चिकित्सालय अनूपपुर लेकर आया। जहाँ  से उसे बिना कोई  प्राइमरी उपचार दिए शहडोल ये कहके भेज दिया कि वहाँ डॉक्टर नही है। ये तो अनूपपुर की रोज की कहानी है ।
इतनी अधिक ब्लीडिंग में बिना कोई दवा चालू किये वो मरीज अनूपपुर से शहडोल आया। आते ही मैटरनिटी के डॉक्टरों के द्वारा परीक्षण करने पर पाया कि उसे प्लेसेंटा प्रीविया है,याने ये वो स्थिति होती है जिसमे गर्भावस्था में प्लेसेंटा बिल्कुल गर्भशय के मुह पर नीचे की ओर होता है। जिससे डिलीवरी के दर्द के समय उस पर दवाब पड़ता है और महिला को खतरनाक रक्तस्त्राव होता है। अब चूंकि रास्ते मे आते आते ही उसका काफी ब्लड बह चुका था। इसका इलाज केवल आपरेशन करके जल्दी से जल्दी बच्चे को निकालना रहता है। इसलिए अब आपरेशन थिएटर में 2 एनेस्थीसिया विशेषज्ञ,2 स्त्री रोग विशेषज्ञ,स्टाफ नर्स सबने भाग दौड़ करके उसका इतना चैलेंजिंग आपरेशन किया।ये आपरेशन मरीज के भर्ती होने के 45 मिनट के अंदर हो गया था। महिला की हालत इतनी खराब थी कि न ही उसकी नाड़ी और न ही ब्लड प्रेशर रिकॉर्ड हो रहा था ।बस वार्ड से लगातार ब्लड की डिमांड आती जा रही थी ।तब हमने और हमारे ब्लड बैंक के स्टाफ ने भी  बड़ी  ततपरता दिखाते हुए उसे ब्लड बैंक से 4 पैक्ड आर बी सी, 4 एफ एफ पी और 2 प्लेटेलट्स बारी बारी से जल्दी जल्दी देते गए।
महिला ऑपरेशन थिएटर से बाहर आ गयी थी पर उसकी हालत गम्भीर ही थी। शाम तक कुछ हालत सुधर पाई थी। तब सबने थोड़ी चैन की सांस ली आज उसकी हालत काफी अच्छी थी। ये सब लिखने का मतलब ये है कि डॉक्टर और पूरा स्वास्थ्य विभाग अपना पूर्ण उत्तम मरीज को देने की कोशिश करते हैं। आज इस पूरी टीम में से कोई एक भी कमजोर होता,क्या स्टाफ नर्स,क्या स्त्री रोग विशेषज्ञ,क्या अनसथेसिया विशेषज्ञ,क्या ब्लड बैंक,क्या हम उसे बचा पाते,हालांकि बचाने वाले तो ईश्वर है,पर उनकी प्रेरणा से ही हम काम करते हैं। शहडोल जिला चिकित्सालय की चिकित्सकीय टीम के प्रति आभार प्रकट करते हुए भाजपा नेता ने सभांगायुक्त व अनूपपुर कलेक्टर को पूरा मामला बतलाते हुए मांग की है कि चिकित्सकों को निर्देश हो कि बिना पर्याप्त कारण मरीज शहडोल या अन्यत्र रेफर न किये जाएं। आवश्यकता होने पर प्रारंभिक चिकित्सा प्रदान करके ही मरीज रेफर करें। डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी जिला चिकित्सालय का नोडल अधिकारी बनाए जाएं। जो लगातार निरीक्षण करते रहें। कोतमा-बिजुरी मे चिकित्सकों की कमी दूर करने की मांग भी की गयी है।

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