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गुरुवार, 23 अगस्त 2018

उज्जवला ने सुधरत बैगा का पोछा आँसुओं को

अनूपपुरआदिवासी अंचल के ग्रामीणों का संघर्ष खाद्य पदार्थ की व्यवस्था के पश्चात चूल्हे के धुएँ तक जारी रहता है। इस धुएँ से लम्बे समय में होने वाली हानि के साथ रोजमर्रा के आँसू भी महिलाओं को खाना पकाने के समय प्राप्त होते हैं। इन्हीं आँसुओं को पोछने के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की गयी है। ग्राम पंचायत बरबसपुर की सुधरत बैगा के आँसुओं को पोछने का कार्य किया है उज्जवला योजना ने। सुधरत बताती हैं कि उनका परिवार ब$डा हैं बहुएँ है नाती पोते हैं। खाना बनाना एक ब$डी गतिविधि है ऐसे में चूल्हे में खाना बनाना,उनके साथ-साथ बहुओं के लिए भी काफी कष्टदायी होता था। आपने कहा उन्होंने बड़े अरमान संजोये थे कि अपनी बहुओं को अपने से अच्छा जीवन देंगी किंतु बड़े परिवार में चूल्हे के धुएँ से कैसे बचे यह उन्हें समझ नही आ रहा था। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने उनकी इस समस्या को हल कर दिया आज बहुओं समेत उनका परिवार धुएँ से मुक्त हो गया है और न बारिश की किच किच ही उन्हें अब तंग कर पाती है। बच्चे भी धुएँ मुक्त वातावरण में अच्छा जीवन जी रहे है, साथ ही बच्चों की छोटी छोटी खाने की फरमाइशों को पूरा करना भी आसान हो गया है। सुधरत की नयी बहु का कहना है कि सासु माँ सदैव हमारी परेशानी को देखकर चिंतित रहती थी। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने उनकी चिंता और हमारी परेशानी दोनो को दूर कर दिया है।


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