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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

विधायक बनने की होड़ मे पार्टी लाईन का नही ज्ञान

गांव विशेष के जनाधार पर विधानसभा पहुंचने का सपना
अनूपपुर जैसे-जैसे विधानसभा के चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे टिकट के दावेदार सफेद रंग के कुर्ते मे सजे अपने हर बड़े नेता के सामने चक्कर लगा चेहरा दिखाने की होड़ में है। ऐसा ही नजारा अनूपपुर विधानसभा के टिकट के लिए पंच, सरपंच,जनपद सदस्य के साथ जिला पंचायत के सदस्य भी दौड़ रहे है। इनके पीछे इन्हे दौडऩे वाले पार्टी के कल तक अदने से नेता के पीछे चलने वाला प्यादा था आज उसके कंधे मे बंदूक रख अपना प्रतिशोध लेने केे प्रयास में है। यह हाल दोनो ही राजनीतिक दल का है जिसे देखो वही विधायक बनने का सपना संजोए है और होना भी चाहिए पार्टी को हर बार नये चेहरे के साथ चुनावी दंगल मे आ कर किस्मत आजमाना किन्तु पार्टी को यह भी देखना जरूरी है कि टिकट का दावेदार पार्टी के लिए कितना निष्ठावान है क्या वह किसी की बैसाखी बन दावेदारी कर रहा है। दावेदार का पंचायत प्रतिनिधि होना टिकट की दावेदारी करना और कहना कि मै 3-4 वर्ष से पंचयतो मे काम किया। जैसे कई तरह से दावेदारी पेश करना यह मापदंड नही है अगर इस तरह से है तो कई दावेदार हो सकते है जिन्होने 4 से 5 वर्ष से पंचयतो का प्रतिनिधित्व कर रहे है। दलो को इस पर कड़ी नजर रखना चाहिए कि फला नेता का जनाधार कितना है समाज के सभी वर्गो मे सामंजस है या नही ऐसे मे टिकट के दावेदारो की पहचान होगी। कांग्रेस मे कई दावेदार है जो अपनी गांडी लेकर चार समर्थको के साथ स्वागत मे सबसे पहले खडे नजर आते है। दिग्विजय सिंह की एकता यात्रा पर एक अखबार मे प्रतिशत विज्ञापन मे सभी छोटे बड़े नेता नजर आ रहे है किन्तु जिलाध्यक्ष व कार्यवाहक जिलाध्यक्ष को इसमे स्थान न मिलना कही न कही दर्शाता है कि पार्टी के अन्दर भारी गुटबाजी का शिकार है। किसी भी दल का प्रमुख उस विशेष क्षेत्र का मुखिया है जब उसकी उपेक्षा है तो समझ मे आता है कि वह विज्ञापन देने या दिलाने वाले की मंशा क्या है। कंागे्रस सूत्रो की माने तो पार्टी ने अपने टिकट तय कर दिये है। अनूपपुर में बुधवार को दिग्विजय सिंह के आगवन पर जो जो घटना क्रम हुये उससे यह तय हो गया।


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