या देवी
सर्वभूतेषु शक्ति रूपेंण संस्थिता,नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:
अनूपपुर। नववर्ष एवं शक्ति आराधना का चैत्र नवरात्रि पर्व रविवार से प्रारंभ होगा। नवरात्रि के प्रथम दिवस मॉ शैलपुत्री की पूजा उपासना की गई। चैत्र नवरात्र को लेकर जिले के अमरकंटक, तुलरा, धरहर, राजनगर, चचाई, भठिया, केशवाही, मरखी माता, काली मंदिर में जवारा एवं अन्य कई कार्यक्रमों की तैयारी जोरों पर देखी जा रही है। मॉ दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमवान् की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुई। वृषभारूढ़ भगवती शैलपुत्री अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बायें हाथ में सुन्दर कमल-पुष्प धारण करती हैं। इनके सिरपर अर्धचन्द्र और स्वर्ण-मुकुट सुशोभित हैं। अपने पूर्वजन्म में इन्होने दक्ष-कन्याओं के रूप में अवतार लिया था, उस समय इनका नाम सती था। वहां भी इन्होंने अपनी कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न करके उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था। पिता के यज्ञ में अपने पति की उपेक्षा देखकर इन्होंने योगाग्नि में स्वयं को भस्म कर दिया और अपने दूसरे जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई तथा पुन: भगवान शंकर की अर्धाग्नि बनीं। मनोवांञ्छित सिद्धि के लिये इनकी उपासना नवरात्र पूजन के प्रथम दिन की जाती है।
अनूपपुर। नववर्ष एवं शक्ति आराधना का चैत्र नवरात्रि पर्व रविवार से प्रारंभ होगा। नवरात्रि के प्रथम दिवस मॉ शैलपुत्री की पूजा उपासना की गई। चैत्र नवरात्र को लेकर जिले के अमरकंटक, तुलरा, धरहर, राजनगर, चचाई, भठिया, केशवाही, मरखी माता, काली मंदिर में जवारा एवं अन्य कई कार्यक्रमों की तैयारी जोरों पर देखी जा रही है। मॉ दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमवान् की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुई। वृषभारूढ़ भगवती शैलपुत्री अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बायें हाथ में सुन्दर कमल-पुष्प धारण करती हैं। इनके सिरपर अर्धचन्द्र और स्वर्ण-मुकुट सुशोभित हैं। अपने पूर्वजन्म में इन्होने दक्ष-कन्याओं के रूप में अवतार लिया था, उस समय इनका नाम सती था। वहां भी इन्होंने अपनी कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न करके उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था। पिता के यज्ञ में अपने पति की उपेक्षा देखकर इन्होंने योगाग्नि में स्वयं को भस्म कर दिया और अपने दूसरे जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई तथा पुन: भगवान शंकर की अर्धाग्नि बनीं। मनोवांञ्छित सिद्धि के लिये इनकी उपासना नवरात्र पूजन के प्रथम दिन की जाती है।
नवरात्रि के
पावन अवसर पर जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में भक्तगणों की भारी भीड़ उमड़ेगी।
पवित्र नगरी अमरकंटक में मॉ नर्मदा मंदिर, ज्वालेश्वरधाम
के दुर्गा मंदिर, तुलरा
की विरासनी माता मंदिर, राजेन्द्रग्राम, बेनीबारी, जैतहरी, वेंकटनगर, कोतमा, बिजुरी, राजनगर, आमाडांड के देवी
मंदिरों में एवं अनूपपुर स्थित मढिय़ा, बूढ़ी
माई मंदिर, दुर्गा
मंदिर, जैतपुर
स्थित भठिया, पकरिहा
स्थित मरखी देवी में आज प्रात: से ही भक्तगण विधि-विधान से मॉ दुर्गा की
पूजा-अर्चना कर परिवार की खुशहाली के लिए
आशीर्वाद मांगेगे। भक्तगण देवी को खुश करने के लिए एवं परिवार की सुख शांति की
कामना को लेकर घर एवं मंदिरों में जवारे बोएंगे, वहीं अखण्ड ज्योति जलाये जाने की
परम्परा का पालन भी किया जाएगा। दुर्गा मंदिर मढिंया में समूहिक रूप से जवारा बोया
जा रहा है। मुख्यालय सहित आसपास ग्रामीण अंचलों समेत जिले के तमाम देवी मंदिरों
में नवरात्रि के लिए तैयारियां हो रही है। नगर के दुर्गा मंदिर, सामतपुर स्थित
त्रिमूर्ति देवी मढिय़ा, बूढ़ी
माई मंदिर, पटौरा
टोला स्थित, खेरमाई
मढिय़ा, चचाई
रोड स्थित दुर्गा मंदिर, सिद्धबाबा
आश्रम में नवरात्र पर्व श्रद्धालुओं द्वारा अपूर्व भक्ति व उत्साह के साथ
प्रतिवर्ष समितियों के माध्यम से मनाया जाता है।
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