प्रशिक्षण,तकनीक और बाजार
उपल्बध करा रहा विश्वविद्यालय
अनूपपुर (अमरकटंक)।
औषधीय गुणों से भरपूर पौधों की खेती के माध्यम से किसानों की आय में ब$ढोत्तरी के संकल्प
के साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक में हर्बल गार्डन की
शुरूआत की गई है। 50
एकड में बनाए गए इस गार्डन में प्रमुख रूप से अमरकटंक क्षेत्र में पाए जाने वाले
औषधीय और सुगंध युक्त पौधों की खेती की जाएगी। इसके साथ ही बेहतर उपज के लिए उचित
वातावरण तैयार कर बडे पैमाने पर खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्य
भी प्रारंभ हो गया है। प्रयास किया जा रहा है कि आने वाले समय में इसे दो सौ एकड
तक वृहद रूप दे दिया जाए। इन पौधों के औषधीय गुणों का वैज्ञानिक अध्ययन भी प्रारंभ
कर दिया गया है।
श्रेत्र अपने
औषधीय गुणों से भरपूर जैव विविधता के लिए विश्वभर में विशिष्ट पहचान रखता है। यहां
पाया जाने वाले गुलबकावली का अर्क नेत्रों के लिए काफी उपयोगी माना गया है। इसके
अलावा अमरकटंक क्षेत्र में कपूर, ब्रजदंती, वन अदरक, सतावरी, ममीरा, घृत कुमारी, चित्रक,पथरचूर,अपराजिता, बछमूल, गिलोय, गु$डमार, काली हल्दी, सफेद मुसली, गुग्गुल, गज प्रसारणी, पुनर्नवा, कर्कर आदि
प्रजातियों की खेती भी ब$डे
पैमाने पर की जा सकती है। क्षेत्र का वातावरण इनके लिए काफी अनुकूल है। इन औषधीय
पौधों की उपयोगिता को वैज्ञानिक आधार पर सिद्घ करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय
का रासायन विज्ञान विभाग (बॉटनी) और पर्यावरण विभाग संयुक्त रूप से कार्य कर रहा
है। विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. रविंद्र शुक्ला ने बताया कि क्षेत्र में पाए
जाने वाले कई पौधे गंभीर बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी सिद्घ हुए हैं। स्थानीय
वैद्यो ने वर्षों से इसका प्रयोग कर रहे हैं। अब इन पर आधारित प्रयोगों से
वैज्ञानिक रूप से इनकी उपयोगिता सिद्घ करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने
बताया कि गुलबकावली के अर्क से आंखों की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है, इस पर प्रयोग किया जा
रहा है। अभी प्रयोग का इन विट्रो चरण पूरा किया जा चुका है जिसके परिणाम
उत्साहवर्द्धक हैं। अब इसकी उपयोगिता को जानवरों पर जांचा जाएगा। इसके अलावा
सर्पगंधा जो विलुप्त पौधों की श्रेणी में हैं,
अमरकटंक में प्रचुर मात्रा में पाया जा रहा है। निगुडी के एंटी
एलर्जिक गुण को भी परखने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही गुडमार के एंटी
डायबिटीक होने के बारे में भी प्रयोग किया जाएगा।
उन्होंने
बताया कि हर्बल गार्डन में अभी 57
प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं जिनमें सात ऐसे पौधे हैं जो सिर्फ अमरकटंक
क्षेत्र में पाए जा रहे हैं। पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.तरूण ठाकुर ने
बताया कि औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य
से विश्वविद्यालय में निरंतर कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं जिनमें मध्य प्रदेश
जैव विविधता विभाग का सहयोग मिल रहा है।
कार्यशाला
में डीन (साइंस) प्रो. नवीन शर्मा के निर्देशन में प्रो.एम.पी.ठाकुर,डॉ.अरूण कुमार
त्रिपाठी, डॉ.
अनीता ठाकुर, डॉ.
प्रशांत सिंह, योगेश
कुमार और सुनील कुमार सहित विभिन्न विशेषज्ञ किसानों की जिज्ञासाओं को शांत कर
उन्हें औषधीय खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
कुलपति प्रो.
टी.वी. कटटीमनी ने कहा है कि किसानों को औषधीय पौधों की जानकारी के साथ ही उन्हें
तकनीक प्रदान करने और उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास भी किया
जाएगा। इसके लिए उत्पादों की ब्रांडिंग और बाजार के लिए संसाधन और विशेषज्ञता
विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने क्षेत्र के किसानों की आर्थिक
उन्नति का संकल्प भी व्यक्त किया है।
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